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बसपा का ये सांसद निकला मास्टर-ब्लास्टर, मायावती-अखिलेश के टूटते गठबंधन में डाली जान, निकाला ये फॉर्मूला

बसपा के इस सांसद ने किया कमाल, गठबंधन को लेकर निकाला ऐसा फॉर्मूला, अखिलेश-मायावती हो गए राजी...

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BSP MP Dr Ashok Sidharth meet Khilesh Yadav for Gatbandhan strategy

बसपा के इस सांसद निकला मास्टर-ब्लास्टर, मायावती-अखिलेश के टूटते गठबंधन में डाली जान, निकाला ये फॉर्मूला

कानपुर. फूलपुर और गोरखपुर में मिली जीत के बाद मायावती और अखिलेश यादव ने 2019 को लोकसभा चुनाव गठबंधन कर लड़ने का ऐलान किया था। दोनों दलों के नेता व कार्यकर्ता कई सालों से पड़ी दूरियों को भर पीएम मोदी को हराने का हुंकार भरी। लेकिन बसपा सुप्रीमो के एक बयान ने पूरी सियासत ही पलट दी। मायावती ने यूपी में बसपा को 40 सीटें दिए जाने की डिमांड कर दी। इसी के बाद दोनों दलों के बीच फिर से दूरियां बड़ गई। लेकिन अखिलेश यादव ने फिर से त्यागी पुरूष की भूमिका में आते हुए बसपा सुपीमो के समक्ष सरेंडर कर दिया। अखिलेश ने कहा कि हम भाजपा को हराने के लिए कुछ भी बलिदान देने को तैयार हैं। पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान के पीछे एक कद्दावर नेता का अहम रोल है। मुलायम के गढ़ फर्रूखाबाद निवासी और बसपा के राज्यसभा सांसद डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ रविवार को अखिलेश यादव के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा की और किसे कितनी सीटें मिलेंगी उसकी पूरी रूपरेखा तैयार की।

अखिलेश ने किया गठबंधन का ऐलान

मायावती के 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सपा और बसपा के बीच गठबंधन टूट गया था। दोनों दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच भी दुरियां बड़ गई थीं। खुद अखिलेश यादव व सपा प्रदेश अध्यक्ष ने अकेले चुनाव लड़ने की बात अपने पदाधिकारियों से कही थी। लेकिन मैनपुरी में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर बसपा के साथ गठबंधन बरकरार रखने की हामी भरी है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी बसपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन किसी भी शर्त पर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लंबी है, लेकिन बसपा के साथ गठबंधन जारी रहेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बीजेपी की हार तय हो। जरूरत पड़ी तो समाजवादी लोग सीटों का त्याग करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं को बसपा का सहयोग करने के निर्देश भी दिए।

डॉक्टर ने नब्ज को थाम ला दी जान

स्पा और बसपा के बीच लगभग-लगभग गठबंधन टूट गया था, लेकिन फर्रूखाबादी डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ ने टूट रही नब्ज को ठीक करने का बीणा उठाया। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव के सैफई प्रवास के दौरान डॉक्ठर सिद्धार्थ ने उनसे संपर्क किया और गठबंधन बनाए रखने के लिए उन्हें राजी किया। सूत्र बताते हैं कि बसपा सुमीमो समाजवादी पार्टी को 40 सीटें देने को राजी हैं। बाकी पर वह अपने उम्मीदवार उतारेंगी। इन्हीं 40 में से समाजवादी पार्टी को कांग्रेस, अजीत सिंह के इन कुष्णा पटेल को भी सीटें देनी है। अखिलेश और डॉक्टर सिद्धार्थ के बीच जो फार्मूला बना है उसके मुताबिक बसपा के खाते में 35 से 40 के बीच सीटें आएंगी। बची सीटों में से पांच कांग्रेस, दो से तीन राष्ट्रीय लोकदल, एक सीट कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी को दी जाएंगी। शेष 31 से लेकर 33 सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। सूत्र बताते हैं कि लगभग-लगभग यह फार्मूला पूरी तरह से दोनों दलों के सुप्रीमो ने मान लिया है।

कर्नाटक में निभाया था अहम रोल

मायावती ने कर्नाटक का प्रभार डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को दिया हुआ था। वह विधानसभा चुनाव से दो माह पहले बेंगलुरू पहुंच गए थे और एचडी देवगौड़ा के दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। जहां बसपा के दक्षिण में पहली बार खाता खुला।मतगणना के बाद किसी भी दल को जब बहुमत नहीं मिला तो डॉक्टर सिद्धार्थ एक्शन में आए और मायावती से बात कर सोनिया गांधी को एचडी देवगौड़ा से बात करने को कहा। मायावती ने सोनिया गांधी से बात कर कुमास्वामी को सीएम बनाए जाने को कहा। सोनिया गांधी ने तत्काल एचडी देवगौड़ा से बात की और कर्नाटक में कांग्रेस, बसपा और आरजेडी की सरकार बन गई। कर्नाटक में मिली सफलता के बाद डॉक्टर सिद्धार्थ को मायावती ने मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी दी। डॉक्टर सिद्धार्थ एमपी में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।

पर कांग्रेस को नहीं होगा मंजूर

जिस तरह से सपा-बसपा के बीच सीटों को लेकर बातचीत हुई है, उससे कांग्रेसी खासे नाराज हैं और अंदरखाने अकेले चुनाव लड़ने के लिए पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सपा, बसपा कांग्रेस को कानपुर नगर, देहात, रायबरेली, अमेठी के साथ एक अन्य सीट देने को राजी है। लेकिन कांग्रेस कम से कम 10 सीटों दिए जाने की मांग कर रहे हैं। पर जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी के पास मोदी सरकार को हराने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं हे। इसलिए जो भी मायावती व अखिलेश कहेंगे वह राहुल गांधी को मानना पड़ेगा। एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि अगर यूपी में महागठबंधन होता है तो इसका नुकसान भी सभी दलों को उठाना पड़ सकता है। टिकट नहीं मिलने के चलते पार्टी के नेता दल छोड़ने के साथ ही चुनाव के वक्त भीतरघात कर भाजपा को जिता सकते हैं। कांग्रेसी कार्यकर्ता सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि यूपी में भाजपा के बाद हमारे दल का संगठन दूसरे नंबर पर है। निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। साथ ही सभी दलों के एक साथ आने से भाजपा हिन्दुकार्ड खेल सकती है, जो चुनाव के वक्त भारी पड़ सकता है। हम तो चाहते हैं कि कांग्रेस को पिछलग्गू के बजाए फंट पर आकर भाजपा से मुकाबला करना चाहिए।