
Corona Co-Vaccine Trial Success for 2 to 12 Years Children
छोटे बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल काफी कारगर साबित हुआ है। कानपुर में 2-12 वर्ष के 35 बच्चों पर बीते साल हुए ट्रायल के रिजल्ट ने कोरोना से लड़ने का एक और हथियार दे दिया है। ऐसे में 86 फीसदी तक एंटीबॉडी पाई गई है जबकि सबसे कम उम्र की 2.6 साल की बच्ची में 85 फीसदी एंटीबॉडी मिली है।
इसका परिणाम तीन दिन पहले चिकित्सा जगत के जाने-माने जर्नल लैंसेट में भी प्रकाशित किया गया है। लैंसेट ने प्रखर हॉस्पिटल में 35 बच्चों पर किए गए ट्रायल के बाद पांच बार लिए सीरम के आधार पर एंटीबॉडी पर आकलन भी किया। स्टडी के तहत इसका 12-18 उम्र वालों के बीच के ट्रायल रिजल्ट से तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया। कोरोना काल में नए-नए वैरिएंट को बच्चों के लिए भविष्य में खतरा मानने की आशंका जताई गई थी। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे में कोवैक्सीन कारगर हो सकती है। हालांकि अभी 12-14 साल वाले वर्ष के बच्चों के लिए कार्बेवैक्स भी लगाई जा रही है जबकि 14-18 साल के बच्चों के लिए कौवैक्सीन लगाई जा रही है।
दस महीने तक एंटी बॉडी
ट्रायल टीम के चीफ गाइड डॉ. जेएस कुशवाहा के मुताबिक बच्चों को 0.5 एमएल की सिंगल डोज दो बार दी गई थी। इसमें पांच बार सीरम लेकर दस महीने तक बच्चों में एंडीबॉडीज के रहने का आकलन किया गया। इंजेक्टेबल कोवैक्सीन से बच्चों में लंबे समय तक एंडीबॉडी के रहने की स्पष्ट तस्वीर सामने आई है। साथ ही यह भी पाया गया है कि जिन बच्चों को दोनों डोज लगाई गई, उन्हें 300 दिनों तक सीजनल बीमारियां यानी सर्दी-जुकाम तक नहीं हुआ। लैंसेट ने इसी रिजल्ट के आधार पर पेपर प्रकाशित किया है।
अबतक 64 वालंटियरों को दी गई नेजल वैक्सीन
प्रखर हॉस्पिटल में इंट्रा नेजल वैक्सीन के तीसरे ट्रायल में अब तक 64 वालंटियरों को नाक से चार-चार बूंद की डबल डोज दी जा चुकी है। डॉ. जेएस कुशवाहा के मुताबिक जुलाई तक समय मिला है। ऐसे में 180 वालंटियरों को नेजल वैक्सीन का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
Updated on:
21 Jun 2022 10:36 am
Published on:
21 Jun 2022 10:28 am
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