
rabies infection killed a 11 year old girl
विकास
वाजपेयी
कानपुर
– इंसान के शरीर में लगभग 70 प्रतिशत पानी होता है हलांकि इसमे होने वाली कमी को
पानी पीकर दूर किया जाता रहता है। हां यदि पानी की इस कमी को दूर न किया जाएं तो लोगो
की जान भी जा सकती है।
हैलेट
में इलाज कराने आयी एक लड़की की हालत यदि किसी ने देखी होती तो शायद उसके पैरो तले
से जमीन सरक जाती। लेकिन दो घूट पानी की चाहत के साथ वो जिन्दगी की जंग से हार
गयी।
पानी
की कमी और रोगो के संक्रमण को जब डाक्टरो ने भी ठीक कर पाने से मना कर दिया तो
घरवाले उसको वापस अपने गांव ले गये और अब घरवालो के पास केवल उसकी यादें है।
हलांकि सही समय पर रोग की जानकारी और लापरवाही करने पर घरवाले खुद को कोस रहे है।
जब
पानी से उसको लगा डर तो इलाज का ध्यान आया
कानपुर
से लगभग 100 किलोमीटर दूर जालौन जिले के जाखा में रहने वाले महेंद्र सिहं की 11
साल की बेटी वर्षा अब इस दुनियां में नहीं है। डाक्टरों के हाथ खड़ा करने के बाद
उसकी शुक्रवार देर रात मौत हो गयी।
करीब
दो महिने पहले वर्षा ने घरवालो को एक पागल कुत्ते के काटने की घटना बतायी थी लेकिन
परिवार वालो की लापरवाही और न समझी के कारण उसके इलाज की तरफ ध्यान ही नहीं दिया
गया।
हलांकि
करीब चार दिन पहले जब वर्षा घर पर अजीब हरकत करने लगी तो घरवालो को किसी बिमारी का
आशंका हुई। लेकिन गांव के डाक्टर की दवां खाने के लिए जैसे ही उसको पानी दिया गया
वो जोर जोर से चिल्लाने लगी।
काफी
देर से हैलेट में मर्ती कराया गया
कुत्ते
के काटने से वर्षा को रैबीज़ का इन्फेक्शन हो चुका था और इसका सबसे बड़ा कारण है
कि उसे जानकारी के बाद भी लापरवाही करते हुए एन्टी रैबीज़ इन्जेक्शन नहीं दिया गया था।
जब
रैबीज के विषाणुओं ने वर्षा को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया तो घर वाले कानपुर
के हैलेट अस्पताल में इलाज के लिए पहुचे। लेकिन इन्फेक्शन का असर वर्षा की सांस की
नली तक पहुंच गया था।
हलांकि
हैलेट अस्पताल के डाक्टरों ने वर्षा को पूरे दिन देखरेख में रख कर इलाज शुरू किया
लेकिन जब किसी सुधार की गुंजाइश नहीं दिखाई दी तो मरीज को वापस भेज दिया।
डाक्टर
अभिषेक त्रिवेदी का कहना है कि इस तरह की समस्या में कुत्ते के काटने के बाद रैबीज
का इन्जेक्शन लगाना ही इसका सफल इलाज है और यदि सही समय पर मरीज को ट्रीटमेंट मिल
जाता है तो मरीज की जान हच सकती है।
रैबीज
के लक्षण और उपाय
हैलेट
के डाक्टरों के मुताबिक कुत्ते के काटने के बाद उस पर निगाह रखनी जरूरी है कि कही
उसने पागल होने की वजह से तो किसी को नहीं काटा है और यदि ऐसा करने में दिक्कत हो
तो मरीज को तुरन्त एन्टी रैबीज इन्जेक्शन लगाने की आवशकता है।
रैबीज
के विषाणु के असर करने पर मरीज को दस दिनों के बाद हल्का बुखार, बदन में दर्द,
कमजोरी के साथ अकड़न की शिकायत होती है और फिर मरीज को पानी से नफरत होने लगती है।
जब
कभी भी मरीज के साथ इस तरह की परेशानी हो तो उसकी जांच के बाद एन्टी रैबीज सिरम लगाया
जाता है।
डाक्टर
अभिषेक त्रिवेदी के अनुसार यदि कुत्ते के पागल होने की जानकारी पहले से ही हो तो
तुरन्त एन्टी रैबीज वैक्सीन की एक डोज़ लगा देनी चाहिये साथ ही तीसरे , सातवें,
चौदवे और 28वें दिन वैक्शीन लगाना जरूरी है।
Published on:
10 Sept 2016 03:03 pm
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