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कानपुर। पेट्रोल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अब इथेनॉल का आसान विकल्प मिल गया है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसका आसान रास्ता खोज निकाला, जिसके मुताबिक अब मक्का, चुकंदर, कसावा और राइस ब्रान से भी इथेनॉल बनाया जा सकेगा। एनएसआई को लंबे शोध के बाद इसमें सफलता मिली है। इससे न सिर्फ किसानों को अधिक लाभ होगा बल्कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की समस्या भी दूर होगी।
चीनी मिलों से ही होता था उत्पादन
अभी तक चीनी मिलों में शीरे व मोलासिस से ही इथेनॉल का उत्पादन किया जाता रहा है। एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि चीनी मिलों में अधिकतम सात फीसदी और सामान्य रूप से पांच फीसदी इथेनॉल का उत्पादन हो पाता है। इसको देखते हुए संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने शोध शुरू किया, जिससे दूसरे माध्यमों से भी इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके। करीब एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अन्य तरीकों से भी इथेनॉल बनाने का तरीका खोज लिया है।
पेट्रोल में पांच से २० प्रतिशत इथेनॉल
एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि पेट्रोल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने का फैसला लिया है। शीरे व मोलासिस से उत्पादन काफी कम है। इसलिए मक्का, कसावा, चुकंदर और राइस ब्रान का प्रयोग जरूरी है। वैज्ञानिकों की टीम के इस सफल प्रयोग की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी। इससे इथेनॉल का पर्याप्त उत्पादन संभव है।
चार फसलों से मिलेगा इथेनॉल
एक टन राइस ब्रान से 220 से 240 लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो सकता है। गेहूं और चावल के बाद सबसे अधिक उत्पादन मक्का का होता है। एक टन में 400 से 450 लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो सकता है। इसी तरह कसावा से साबुदाना बनाया जाता है। एक टन कसावा से 150 लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो सकता है। देश में चुकंदर का उत्पादन अच्छा है। यह पांच माह की फसल है और इसे गन्ने के साथ भी पैदा किया जा सकता है। इसलिए किसानों को इसका उत्पादन सस्ता पड़ेगा। चुकंदर में पानी की खपत भी काफी कम है। एक टन चुकंदर से 90 से 100 लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।
Published on:
08 Jul 2019 12:09 pm
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