
कानपुर. केंद्र सरकार ने देश भर में पिछले दिनों जिन 2.9 लाख फर्जी कंपनियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, उनमें से लगभग 6 हज़ार 900 कंपनियां उत्तर प्रदेश की हैं। कानपुर स्थित कम्पनी रजिस्ट्रार कार्यालय में ऐसी 6900 कंपनियां पंजीकृत थीं जिनका पंजीकरण फर्जी तरीके से कराया गया था। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर अपने पते दर्शा कर संचालित हो रही कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया गया है। इनके खिलाफ यह कार्रवाई प्रारंभिक जांच के बाद की गई है।
फर्जी पते से रजिस्टर्ड हुई थी कंपनियां
बताया जा रहा है कि बहुत सारी कंपनियां ऐसी संचालित हो रही थीं जिनके रजिस्टर्ड पते पर संपर्क करने पर कोई ऑफिस तक नहीं मिला या फिर ऑफिस के नाम पर बोर्ड तो मिला लेकिन कम्पनी या दफ्तर जैसी कोई चीज नहीं मिली। ऐसी बहुत सारी कंपनियों का पंजीकरण सरकारी लोन प्राप्त करने और उद्योग व कारोबार के नाम पर संचालित हो रही योजनाओं का लाभ उठाने के माध्यम से की गई थी। अनुमान है कि इन कंपनियों ने बड़ी मात्रा में सरकारी धन का गबन किया जिसकी अलग से जांच चल रही है। उत्तर प्रदेश में ऐसी कंपनियों को लेकर पूर्व में भी कार्रवाइयां हुई हैं लेकिन यह पहला मौका है जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
क्या कहते हैं रजिस्ट्रार
कानपुर स्थित कम्पनी रजिस्ट्रेशन कार्यालय के रजिस्ट्रार पुनीत ने पत्रिका संवाददाता को बताया कि कानपुर कार्यालय में पंजीकृत लगभग 6900 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। इन कंपनियों ने गलत सूचनाएँ अथवा विवरण देकर अपना पंजीकरण कराया था। ये कंपनियां उत्तर प्रदेश में कानपुर, लखनऊ सहित अन्य शहरों के पते से पंजीकृत कराई गई थीं।
मायावती के भाई पर हो चुकी है कार्रवाई
बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार के भाई पर पूर्व में फर्जी कंपनियां संचालित करने के आरोप लगे थे। उनके मामलों की ईडी और आयकर विभाग ने जांच शुरू की थी। आनंद कुमार पर आरोप लगे थे कि उन्होंने फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों रूपये का लोन लिया और इन रुपयों को रियल स्टेट कारोबार में निवेश किया। उन पर आरोप लगा था कि ऐसी फर्जी कंपनियों की मदद से उन्होंने जमकर कमाई की।मायावती के सत्ता में रहते हुए आनंद कुमार की संपत्ति 7.5 करोड़ रूपये थी जो 2014 में बढ़कर 1316 करोड़ रूपये हो गई।
पूरे प्रदेश में फैला है फर्जी कंपनियों का जाल
फर्जी कंपनियों का जाल पूरे प्रदेश में फैला है। बैंकों से लोन लेकर उस रकम को ठिकाने लगाने वाली कंपनियां पूरे प्रदेश में सक्रिय रही हैं। इनमें से कई कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत भी हुई है लेकिन ऐसी कंपनियों के गठन और उन्हें लोन दिलाने में आमतौर पर सरकारी अफसरों और बैंकों की मिलीभगत रहती है। ऐसे में जांच एजेंसियों के सामने इन मामलों में कार्रवाई करना बड़ी चुनौती रहती है। फिलहाल जिन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन पिछले दिनों रद्द हुआ है, उनके खिलाफ अब तक की कार्रवाई और उनके द्वारा गबन की गई धनराशि का विवरण अभी तक सरकारी जांच एजेंसियां जुटा पाने में नाकाम रही हैं।
Published on:
19 Oct 2017 02:35 pm
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