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बीहड़ की खुंखार शेरनी सीमा यादव की दहाड़, Facebook पर दी धमकी, उड़ा दूंगी सरकार की धज्जियां

सरकार और प्रशासन यह न समझे कि हथियार रखवाने से सीमा हथियार चलाना भूल गई है...

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Former dacoit Seema Yadav threat government on Facebook Kanpur UP news

बीहड़ की खुंखार शेरनी सीमा यादव की दहाड़, Facebook पर दी धमकी, उड़ा दूंगी सरकार की धज्जियां

कानपुर. बीहड़ और चम्बल जिसके नाम से थर-धर कांपता था। उसके बूटों की आहट से दर्जनों गांव के लोग सहम जाते थे। अगर कोई बच्चा रोने लगता तो उसकी मां कहती बेटे चुप हो जा नहीं तो डकैत सीमा यादव आ जाएगी। महज 12 साल की उम्र में हथियार लेकर गैंग के आगे वह चलती और रास्ते में जो पड़ जाता उसे दुनिया से उठा देती थी। पांच दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज होने के बाद सरकार ने सीमा के सिर पर ईनाम रखा और एसटीएफ को इसे पकड़ने के लिए लगाया। पुलिस का दबाव देख सीमा ने सरेंडर कर दिया। सजा पूरी करने के बाद वह जेल से बाहर आ गई है और सियासत में अपना कॅरियर बनाने के लिए जुटी है। पर उसने फेसबुक में कुछ शब्द लिखकर पोस्ट किया है, जिसके चलते पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। सीमा यादव ने एक बार फिर से हथियार उठाने की धमकी देते हुए Facebook पर लिखा है कि, सरकार और प्रशासन यह न समझे कि हथियार रखवाने से सीमा हथियार चलाना भूल गई है। मेरी जिंदगी में बदलाव हुआ है, इसका मतलब ये नहीं कि मेरी दहाड़ और शिकार करने का तरीका बदल गया। मैं आज भी शेरनी की तरह दहाड़ सकती हूं।


कौन है सीमा यादव

सिकंदरा थाना अंतर्गत महरूपुर गांव निवासी जुलुम सिंह के घर सीमा यादव का जन्म हुआ था। पिता ने सीमा का विवाह महज 11 की उम्र में अक्टूबर 1998 में इटावा के भवानीपुर गांव निवासी कल्लू सिंह के साथ कर दिया। सीमा ने बताया कि हमारे यहां डकैतों का तांडव था और पिता उनसे मुझे बचाने के लिए शादी कर दी। पति 25 साल का था और मैं 11 की। पति डकैतों का मुखबिर था और उनके ठहरने और खाने की व्यवस्था करता था। जिसने कारण पिता ने मेरा विवाह कराया, वह ससुराल में पहले से मौजूद थे। शादी के एक हफ्ते बाद मेरे घर दर्जनभर बंदूकधारी पति और ससुर से मिलने आए। मैं हैरान थी कि ये डकैत यहां क्या कर रहे हैं। मैंने डरते हुए पूछा तो मुझे चुप करवा दिया गया। मैं जब मायके गई और यही बात पिता को बताई तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। ससुराल में आए-दिन डकैत आते-जाते थे। एक रात दो दर्जन से ज्यादा डकैत आए। मेरे पति ने मुझसे सभी के लिए खाना पकाने को कहा तो मैंने मना कर दिया। इसपर मुझे इतना मारा गया कि मैं बेहोश हो गई। कोई मुझे बचाने नहीं आया।


निर्दोष को पुलिस ने मुठभेड़ में मार डाला

ससुराल वालों ने डकैतों के साथ सोने का दबाव बनाया। मैंने पिता के जरिए अपने मुंहभोले भाई गंभीर सिंह के पास उत्पीड़न की बात पहुंचाई। निर्भय सिंह ससुराल आया और पति, ससुर को पीटा। गंभीर एक अच्छा इंसान था और गांव, की बहन बेटियों के लिए डकैतों से भिड़ जाता था। सीमा ने बताया कि शादी के करीब 7 महीने बाद ही पति ने मेरा सौदा सलीम गैंग के मुखिया से कर दिया। सलीम गैंग जब मुझे लेने के लिए आया तो मैंने गंभीर बा नाम उन्हें बताया। मेरे भाई का नाम सुनकर सलीम भाग गया। भाई मुझे मायके लाकर छोड़ गया और पूरा खर्च उठने लगे। इसी दौरान पति ने सफेदपोशों से मिलकर मेरे भाई को मारने की प्लॉन बनाया। 1999 में पुलिस एनकाउंटर में मेरा भाई मारा गया और मेरे बुरे दिन शुरू हो गए।

भाई के मरने के बाद पति ने मुझे बेच दिया

मुंहभोले भाई की मौत के बाद पति ने मेरे शरीर का सौदा नामी डकैत चंदन यादव से कर दी। पति और ससुर जबरन मुझे मायके से ले आए और खाने में नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर दिया। रात को डकैत चंदन से 60 हजार रूपए लेकर मुझे बेच दिया। 12 साल की उम्र में मैं डकैतों के बीच फंस चुकी थी।“मैंने उसके हाथ पैर-जोड़े तो उसने मेरे पिता से 5 लाख रुपए और 5 बीघा जमीन की मांग की, लेकिन उन्होंने देने से मना कर दिया। इसके बाद उसने मेरे हाथ में भी हथियार पकड़ा दिए और मुझसे डकैत बना दिया। मैं भी थक-हार चुकी थी और अपने मुंहभोले भाई के हत्यारों से बदला लेने के लिए चंदन के साथ हाथ मिला लिया। मैंने पति, ससुर को मार दिया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अब नहीं होंगे फर्जी एनकाउंटर

आजमगढ़ में 27 जनवरी 2018 को पुलिस एनकाउंटर में 50 हजार के इनामी बदमाश मनोज की मौत हो गई थी। इस घटना से सीमा यादव दुखी हैं। उनका मानना है कि मनोज बेकसूर था, पुलिस ने उसका फर्जी एनकाउंटर किया। सीमा यादव का कहना है, पुलिस ने मुकेश को उसके घर के बाहर से उठाया और किसी सुनसान जगह ले जाकर उसका फर्जी एनकाउंटर कर दिया। मैं इसकी सीबीआई से जांच चाहती हूं और आजमगढ़ के एसपी को तत्काल सस्पेंड किया जाए। इस केस को लेकर मैंने कानपुर देहात में प्रशासनिक अफसरों से मिलने की कोशिश की, लेकिन सभी ने मिलने से मना कर दिया। सरकार ने अगर मेरी मांग नहीं सुनी तो मैं दोबारा से हथियार उठा लूंगी और मेरे निशाने पर होंगे प्रशासनिक अफसर। यह सारी बात सीमा यादव ने फेसबुक पर पोस्ट कर कही है।