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फिल्म ‘उरी’ जैसा तैयार हुआ 300 ग्राम का ‘हॉक ड्रोन’, दुनिया के लिए क्यों है सबसे खास

New Technology Hawk Drone: आईआईटी द्वारा हॉक ड्रोन लांच किया गया। ये ड्रोन न केवल देश बल्कि दुनिया के लिए खास होती है। सेना के ऑपरेशन में ये ड्रोन मदद करेगा।

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IIT Kanpur Launched Light Weighted Hawk Drone

IIT Kanpur Launched Light Weighted Hawk Drone

अब सेना ही नहीं बल्कि आम लोगों के लिए भी नई तकनीक वाला छोटा सा ड्रोन आ गया है। फिल्म उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक में सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के ठिकाने की लाइव तस्वीरें भेजने वाला और लोकेशन बताने वाला बाज ड्रोन तो आपको याद ही होगा। अब आईआईटी कानपुर ने भी एक ऐसा नैनो ड्रोन तैयार किया है, जिसका नाम है हॉक। इसकी डिजाइन और सुविधाजनक बनाई गई है। यह सिर्फ 300 ग्राम का है, जो किसी भी बिल्डिंग ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 18 सेमी के इस ड्रोन की आवाज भी कम है, जिससे इसका उपयोग सेना के अधिकारी किसी भी आतंकी घटना में बिल्डिंग ऑपरेशन के दौरान कर सकते हैं।

आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक ड्रोन टेक्नोलॉजी पर लगातार नए शोध कर रहे हैं। संस्थान के वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक व इंक्यूबेट कंपनी इंड्योर एयर के रामा कृष्णा व चिराग जैन की टीम ने मिलकर हॉक तैयार किया है। सेना के सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने करीब दो साल की मेहनत के बाद इसे विकसित किया है। यह अब तक का सबसे छोटा ड्रोन है। इस ड्रोन पर बारिश नमी का कोई खास असर नहीं होगा।

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बारिश या अत्यधिक नमी का भी हॉक पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। यह खराब मौसम में भी अच्छी फोटो व वीडियो उपलब्ध कराता है। इसमें अत्याधुनिक व नाइटविजन कैमरे लगे हैं। इनकी मदद से ड्रोन दिन-रात, किसी अंधेरे कमरे या स्थान की भी निगरानी कर सकता है।

हॉक दो किमी की दूरी से भी सीधी (लाइव) जानकारी देने में सक्षम है। इससे मिलने वाली जानकारी को कंट्रोल रूम में रखे लैपटॉप पर छह बाई छह सेमी की स्क्रीन पर देख सकते हैं। यह ड्रोन लगातार 25 मिनट तक 14000 फुट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

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हॉक उड़ान के दौरान कमांडर के निर्देश का पालन करता है। किसी कारण से कमांडर का नेटवर्क टूट जाता है तो वह पहले से फीड स्थान पर जीपीएस की मदद से पहुंच जाता है और निगरानी जारी रखता है।

25 मिनट उड़ सकता है

14000 फीट ऊंचाई तक उड़ सकता है

बॉडी कंपोजिट मैटेरियल मटीरियल की है

बनाने में करीब 2 साल दिन लगे

करीब 20 से अधिक ट्रायल हो चुके

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