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120 सेंकेड में मां पहुंची सोनीपथ से आईआईटी, फांसी पर लटके बेटे की बचा ली जिंदगी

फोन पर मां को दी सुसाइड की जानकारी, और फांसी पर झूला छात्र, रस्सी टूटने से बची जान

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120 सेंकेड में मां पहुंची सोनीपथ से आईआईटी, फांसी पर लटके बेटे की बचा ली जिंदगी

कानपुर। मां मैं अब इस दुनिया को छोड़ कर जा रहा हूं। अपना और पापा का ख्याल रखना। आपलोगों ने खून-पसीने की कमाई से मुझे पढ़ाया, पर मेहमन के बाद भी मुझे आईआईटी परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिलते। यह शब्द कह आईआईटी कानपुर के छात्र ने गले में रस्सी का फंदा डाल लटक गया और चलता हुआ फोन जमीन पर गिर गया। बेटे की दर्द की आवाज मां के कानों में गूंजी तो उसने तत्काल आईआईटी के अलाधिकारियों को फोन के जरिए सूचना दी। आनन-फानन में कर्मचारी कमरे के दरवाजे को तोड़ अंदर दाखिल हुए तो छात्र जमीन पर तड़प रहा था। से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले की जांच के लिए आईआईटी प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है।
बात करते-करते लगा ली फांसी
बीएस मैथ तृतीय वर्ष का छात्र मूल रूप से सोनीपत हरियाणा का रहने वाला है। पिछले कई दिनों से पढ़ाई में अच्छा परफॉरमेंस न कर पाने के चलते वह डिप्रेशन का शिकार हो गया था। उसे कुछ पारिवारिक परेशानी भी थी। इसके चलते वह और गंभीर हो गया। देर रात छात्र ने मां से फोन पर करीब आधे घंटे तक बातचीत की। मां से अपनी जान देने की बात कहकर छात्र फंदे में झूल गया। उसके हाथ से मोबाइल जमीन पर गिर गया। बेटे के कराहने की आवाज मां के कानों में सुनाई दी तो उसने तत्काल इसकी सूचना आईआईटी प्रशासन को दी। जानकारी मिलते ही अलाधिकारियों के साथ ही वार्डन तुरंत छात्र के कमरे पर पहुंचे तो अंदर से दरवाजा बंद था। खिड़की से छात्रों ने देखा तो वह फर्श पर गिरा हुआ था। दरवाजा तोड़कर सभी अंदर पहुंचे और छात्र को तुरंत मधुराज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। आईआईटी प्रशासन के मुताबिक छात्र ने पंखे पर रस्सी का फंदा लगाकर जान देने की कोशिश की। रस्सी टूटने से वह फर्श पर गिर गया।
आठ साल में 10 छात्रों ने दी जान
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाना एक सपना होता हैण् लेकिन हाल में आईआईटी परिसर में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने अब इन संस्थानों के प्रबंधन को सकते में डाल दिया है। कानपुर आईआईटी में 2010 से लेकर 2018 तक 10 स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आईआईटी मेकैनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट शर्मा कहते हैं अब संस्थान और छात्रों को काउंसेलिंग को ज्यादा गंभीरता से लेने का वक्त आ गया है। संस्थान के एक प्रोफेसर कहते हैं कि अब प्रोफेसरों को भी छात्रों से संपर्क बढ़ाना चाहिए ताकि उनको आत्मघाती कदम उठाने से रोका जा सके। प्रोफेसर के मुताबिक एक ओर पढ़ाई समेत तमाम क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव, अभिभावकों का दबाव और दूसरी ओर इसकी वजह से लगातार बढ़ते एकाकीपन के चलते कई छात्र पहले नशीली दवाओं का सहारा लेते हैं और फिर धीरे.धीरे मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं। हालांकि तमाम संस्थानों में काउंसेलिंग सेंटर खोले गए हैं, लेकिन छात्रों पर नजदीकी निगाह रखने का कोई तंत्र नहीं होने की वजह से अक्सर शुरूआती दौर में इस समस्या का पता नहीं चल पाता।
इसके चलते उठा रहे हैं खौफनाक कदम
वहीं मनोवैज्ञानिक डॉक्टर रोहित अग्रवाल का कहना है कि जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता के बाद आईआईटी में दाखिला पाने वाले छात्रों व उनके अभिभावकों को पहले लगता है कि महज दाखिला मिलते ही सुनहरे भविष्य के दरवाजे खुल गए हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। परिसर के भीतर जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता का माहौल होता है। ऊपर से अपने.अपने स्कूलों में टाप पर रहते आए छात्रों को यहां आ कर झटका लगता है। इसकी वजह है कि यहां तो तमाम टापर ही रहते हैं। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान महज कक्षा ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने का निरंतर दबाव रहता है। यहां आने वाले छात्रों ने स्कूली जीवन में कभी नाकामी नहीं देखी होती हैए लेकिन परिसर में उनका पाला इसी शब्द से पड़ता है। कई बार वह सेमेस्टर में पिछड़ जाते हैं तो कई बार प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने मे।
डीन ने माना ड्रिपेशन में था छात्र
डीन एकेडमिक प्रोफेसर नीरज मिश्रा ने बताया कि छात्र कुछ दिनों से डिप्रेशन में था लेकिन अभी तक इसका कारण नहीं पता चल पाया है। उन्होंने बताया कि छात्र पर किसी तरह का एकेडमिक प्रेशर नहीं था। प्राफेसर मिश्रा ने बताया कि छात्र की हालत में सुधार है। कैंपस आने के बाद उसकी काउंसलिंग कराई जाएगी। छात्रों पर पढ़ाई का किसी तरह से दबाव नहीं डाला जाता है। साथ ही संस्थान जल्द ही उन्हें टूर पर ले जाएगा। डीन ने माना कि पिछले कुछ सालों से छात्रों के सुसाइड के मामले बड़े हैं, जिस पर रोक लगाए जाने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं संस्थान में की गई हैं। छात्रों को मूवी के अलावा अपने परिजनों से मिलने की भी छूट दी गई है।