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इन पांच सालों में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने शहर कानपुर को क्या दी सौगात, निवास की सड़क तक ठीक नहीं करा पाए अफसर

President of India: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई से समाप्त हो गया। 25 जुलाई को नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शपथ ली है। इन पांच सालों मे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर के लिए क्या किया।

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 In these 5 years President Ramnath Kovind What Gift to his city Kanpur officers not Constructed road of His residence

In these 5 years President Ramnath Kovind What Gift to his city Kanpur officers not Constructed road of His residence

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पांच साल का कार्यकाल कानपुर के लिए कुछ सौगात लेकर आया तो उनकी इच्छा कसक बनकर रह गई। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार वह शहर आए थे। तब उन्होंने कहा था कि कानपुर शहर में प्रवेश करते वक्त ही खूबसूरती का अहसास होना चाहिए। इसके लिए हर मार्गों पर एंट्री गेट बनाए जाएं तो बेहतर होगा। उनकी इसी इच्छा पर जाजमऊ में केडीए ने 13.77 करोड़ से भव्य गेट बनाया। यह अलग बात है कि बाकी मार्गों पर एंट्री गेट आज तक नहीं बन सके।

गंगा बैराज पर भव्य गेट बनाने के लिए केडीए अब कार्ययोजना तैयार कर रहा है। उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने इसकी पहल की है। हालांकि नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा यहां गेट बनाने की कई बार बात तो हुई मगर काम नहीं हुआ। सेल्फी प्वाइंट जरूर बनाए गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा था कि कानपुर की पहचान कूड़े से होने लगी है। इस स्वरूप को बदला जाना चाहिए। एंट्री गेट इसकी अच्छी कवायद हो सकते हैं। पनकी में कूड़ा निस्तारण प्लांट में कूड़े का पहाड़ तो खत्म हो गया मगर भौंती में गेट बनाने के प्रस्ताव पर कोई बात ही नहीं हुई। यही हाल हमीरपुर रोड, प्रयागराज रोड और जीटी रोड पर अलीगढ़ रूट का है।

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फ्लीट निकलने पर महिला की मौत के बाद भी नहीं ठीक हुआ ट्रैफिक

राष्ट्रपति बनने के बाद तीसरी बार जब रामनाथ कोविंद आए तो उन्होंने कहा था कि कानपुर में जाम बहुत लगता है। इससे निजात के ठोस इंतजाम होने चाहिए। एंबुलेंस के लिए अलग से कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए। तब अफसरों ने खूब गंभीरता दिखाई। एक योजना भी तैयार हुई मगर आज तक न तो ग्रीन कॉरिडोर बन सका और न ही जाम पर ही अंकुश लग सका। यह हाल तब है जब स्मार्ट सिटी और आईआईएम के बीच एमओयू तैयार करने पर भी सहमति हो चुकी है।

आज भी ठीक नहीं हुई सड़क

राष्ट्रपति की यह भी इच्छा थी उनके स्थानीय आवास के पास की सड़कें ठीक हो हो जाएं। जलभराव से लोगों को मुक्ति मिल जाए मगर थोड़ी सी कवायद होकर बंद हो गई। दयानंद विहार और इंदिरा नगर की कुछ सड़कें बनीं, मगर ज्यादातर में आज भी गड्ढे हैं। इंदिरा नगर की मेन रोड पर ही भारी जलभराव होता है। यहां से जल निकासी के इंतजाम हुए ही नहीं।

चार साल बाद चालू हुआ ईश्वरीगंज प्लांट

राष्ट्रपति ने सितंबर 2017 में स्वच्छता अभियान के तहत ईश्वरीगंज में कचरा एकत्रीकरण व निस्तारण की शुरूआत कराई थी। यह अलग बात है कि समारोह के अगले दिन से ही इस पर काम बंद हो गया। उन्होंने गलियों में जाने के लिए विशेष प्रकार के जिस ठेले को रवाना किया था वो आज तक सीडीओ दफ्तर में शो पीस बना पड़ा है। इसमें पांच पात्र रखे गए थे। सूखे और गीले कचरे के लिए अलग और प्लास्टिक पर खतरनाक कचरे के लिए अलग। यह अलग बात है कि अभी राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए तीन दिन पहले सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने प्लांट को चालू करा दिया है। बगदौधी बांगर में कचरा उठाने वाली गाड़ी आती है।

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