2012 में पहली बार इस परियोजना को प्रस्तावित किया गया था, इसके तुरंत बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार हरदोई जिले में इस तरह की एक और परियोजना के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर सका। कानपुर में लेदर पार्क स्थापित करने के प्रस्ताव को पिछले साल केंद्र से फिर से मंजूरी मिल गई थी। यह परियोजना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गंगा में बढ़ते प्रदूषण के बाद कानपुर में टेनरीज जांच के दायरे में हैं। इस परियोजना के जरिए प्रदूषण की जाँच करते हुए चमड़ा उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भूमि के संबंध में कुछ बाधाएं थीं, जिन्हें हल कर लिया गया है, और इस परियोजना के अगले कुछ महीनों में शुरू होने की संभावना है। इस बीच, सरकार ने दावा किया कि कानपुर जल्द ही एक कपड़ा और चमड़े के शहर में रूप में जाना जाएगा। सरकार को कानपुर शहर के साथ-साथ कानपुर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करने के लिए 23 प्रस्ताव मिले हैं। बताया जा रहा है कि लगभग 4,000 करोड़ रुपये की इन परियोजनाओं के पूरा होने और काम शुरू होने के बाद लगभग 7,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
अधिकारियों के अनुसार, आरपी पॉलीपैक्स और कानपुर प्लास्टिक्स लिमिटेड ने कानपुर शहर और कानपुर (ग्रामीण) में क्रमश: 150 करोड़ रुपये और 200 करोड़ रुपये की लागत से कपड़ा कारखाने स्थापित किए हैं और पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया है। स्पर्श इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने कानपुर (ग्रामीण) में एक प्लास्टिक फैक्ट्री के निर्माण के लिए 600 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि रिमझिम स्टील कंपनी 550 करोड़ रुपये की लागत से कानपुर (ग्रामीण) में स्टील रोलिंग मिल का निर्माण कर रही है।