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उदयपुर घटना में फिर सुर्खियों में आई दावते इस्लामी, खुफिया ने शुरू की जांच, क्या है कानपुर कनेक्शन

locationकानपुरPublished: Jun 30, 2022 12:35:46 pm

Submitted by:

Snigdha Singh

Udaipu Murder Case: उदयपुर घटना के बाद एक फिर दावते इस्लामी चर्चा में आ गई। पहले तो जान लीजिए क्या है दावते इस्लामी।

Intelligence Department started Dawate Islami group investigation

Intelligence Department started Dawate Islami group investigation

उदयपुर में हुई नृशंस हत्या के बाद जयपुर के डीजीपी ने एक हत्या आरोपी के दावते इस्लामी का सदस्य होने का आरोप लगाया है। उसके साथियों के कानपुर से जुड़े होने के दावों के बाद से शहर में खुफिया को अलर्ट कर दिया गया है। खासबात यह भी कि ठीक एक वर्ष पहले सूफी खानकाह एसोसिएशन के अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने दावते इस्लामी पर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी।
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि वह पहले भी मुख्यमंत्री और स्थानीय स्तर पर दावते इस्लामी के खिलाफ जांच की मांग कर चुके हैं। उनका दावा है कि इस तंजीम की स्थापना पाकिस्तान में हुई थी। पारदर्शी फंडिंग बॉक्स दुकानों पर रखकर चंदा जुटाने के भी आरोप लगाए थे। अब खुफिया उदयपुर से मिल रहे इनपुट के आधार पर छीनबीन में जुटी है। राजस्थान की पुलिस भी कनेक्शन तलाशे हैं।
सूफी इस्लामिक बोर्ड (अब सूफी खानकाह एसोसिएशन के अध्यक्ष) के प्रवक्ता व प्रभारी सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने चार जुलाई 2021 को आरोप लगाया था कि दावते इस्लामी खाड़ी देशों में रह रहे गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण कराने में लिप्त रही है। अपने दावों को सही ठहराने के लिए एक दर्जन से अधिक वीडियो भी जारी किए थे। यह भी आरोप लगाया था कि दावते इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा दे रही है।
क्या है दावते इस्लामी का इतिहास

बताते हैं कि दावते इस्लामी की स्थापना 1981 में पाकिस्तान में हुई थी। 1991 में जब हलीम इंटर कॉलेज ग्राउंड पर कांफ्रेंस हुई तो संस्थापक मौलाना इलियास कादरी ने इसमें भाग लिया था। 2000 में नारामऊ में इजतेमा (धार्मिक सम्मेलन) हुआ था, इसमें लाखों लोगों ने शिरकत की थी। 1991 के बाद दावते इस्लामी का दावते इस्लामी ऑफ इंडिया और सुन्नी दावते इस्लामी में विभाजन हो गया था। 2010 के बाद दावते इस्लामी ने फिर अपनी जड़ें मजबूत कीं। दावते इस्लामी के सदस्य हरी पगड़ी या सफेद पगड़ी बांधते हैं। कुछ काली पगड़ी भी बांधने लगे हैं।
फंडिंग बक्सों का भी उठा था मुद्दा

आरोप लगाया गया था मुस्लिम अधिसंख्य आबादी वाले क्षेत्रों में फंडिंग के लिए बॉक्स रखे गए हैं। आरोप लगाया था कि प्रशासन यह तय कराए कि चंदे का क्या किया जाता है। सूफी इस्लामिक बोर्ड के आरोपों के बाद से दुकानदारों ने एहतियातन फंडिंग बॉक्स हटा लिए थे। अभी भी कुछ स्थानों पर यह बॉक्स रखे हुए हैं।
दीनी और समाजी काम का दावा

दावते इस्लामी ऑफ इंडिया पूर्व में कहती रही है कि कोई भी संस्था आरोप लगाए उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं है। पर प्रशासन कोई जांच पड़ताल करता है तो वह उसकी मदद को तैयार हैं। उनका काम दीनी व समाजी है।

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