
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
कानपुर. यूपी में बढ़ते धर्मांतरण के खिलाफ यूपी कैबिनेट बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। इस बीच कानपुर में ऐसी घटनाओं को लेकर गठित की गई एसआईटी जांच टीम ने कानपुर आईजी को एक रिपोर्ट सौंपी हैं जिसमें 14 मामलों में से 11 में जबरन धर्मांतरण की घटनाओं की पुष्टि हुई है। यह ऐसे मामले में जिनमें आरोपियों ने हिन्दू नाम रख लड़कियों को बरगलाया है। इनमें तीन आरोपियों के खिलाफ मिले दस्तावेज में नाम बदलने की पुष्टि हुई है। फंसाई गई लड़कियों में आठ नाबालिग हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि एक धर्म विशेष से जुड़े लोगों ने ऐसा किया है।
‘राहुल सिंह’ व ‘आर्यन मल्होत्रा’ जैसे नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाए और अपनी पहचान बताई। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर फर्जी नाम रखकर इन्होंने लड़कियों को अपने झांसे में फंसाया। न सिर्फ इनका शारीरिक शोषण किया बल्कि शादी कर जबरन धर्म परिवर्तन भी कराया। 14 में से तीन मामलों में ही लड़कियों ने बताया कि वह बालिग हैं और उन्होंने अपने मर्जी से विवाह किया है।
मुख्तार अहमद बना 'राहुल'-
मामले ने तूल तब पकड़ा जब कुछ माह पूर्व जूही मोहल्ले की चार लड़कियों को भगा कर ले जाने की उनके परिवारों की ओर से शिकायत की गई। बाद में दो और शिकायतें पुलिस को प्राप्त हुई। इस पर गठित की गई एसआईटी ने अलग-अलग इलाकों में 14 मामले पाए। यह सभी पिछले 6 महीने में गैर समुदाय के लड़कों की ओर से हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाने, भगाने और गलत तरीके से शादी करने की शिकायतों से जुड़े थे।
परिवार भी आया धोखे में-
नौबस्ता इलाके के एक मामले में मुख्तार अहमद नाम का युवक पहले से ही हिंदू लड़की से शादी कर चुका था व उसने उसी समुदाय की एक दूसरी लड़के को राहुल सिंह बनकर फंसाया था। यह बात उजागर तब हुई जब अदालत में कोर्ट मैरिज करते वक्त उसका असली नाम मुख्तार अहमद लिखा पाया गया। नौबस्ता थाने के ही अन्य मामले में फतेह खान नामक लड़के ने हिंदू लड़की से आर्यन मल्होत्रा बनकर मित्रता की। उस लड़की के परिवार वाले भी उसकी असलियत नहीं पहचान पाए और उसे आर्यन ही समझते रहे। उसने फर्जी आधार कार्ड भी बनवा रखा था।
Published on:
24 Nov 2020 09:00 pm
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