कानपुर। यमुना इस समय उफान पर है। नदी का जलस्तर बढ़ने से उसका पानी अब गांवों में दस्तक दे चुके है। जिसके चलते ग्रामीण घर में तालेबंद कर पलायन कर रहे हैं तो वहीं पानी के चलते कई एकड़ में खड़ी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। बाढ़ से निपटने और लोगों को बचाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी टीमों के साथ डटे हुए हैं।
15 गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
हमरपुर और घाटमपुर के बीच से निकली यमुना नदी उफनाई आई हुई है।यमुना पट्टी से सट्टे करीब एक दर्जन गांव इससे प्रभावित हैं और ग्रामीण अपने घरों से पलायन कर रहे हैं। तिरहर ग्रामपंचायत के प्रधान बलवंत सिंह निषाद ने बताया कि बाढ़ ने करीब पंद्रह गाव प्रभावित हैं। नदी के पानी ने खेतो में दस्तक दे दी है जिससे सिर्फ मेरे गांव में खड़ी सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूब गई है। जलजले ने 8 सौ परिवार को भुखमरी पर ला दिया है।
नहीं मिली मदद
यमुना का पानी गांवों प्रवेश कर चुका है और अब ग्रामीण नाव के जरिए घर में रखे सामान को सुरक्षित स्थानों में पहुंचा रहे हैं। तिरहर निवासी किसान मनोज कहते हैं कि एक सप्ताह से यमुना का पानी कहर ढाहे हुए है। अभी तक शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली। लोग रिश्तेदारों के अलावा पंचायत घरों में रहने को मजबूर हैं। घरों में पानी आने के कारण सारी गृहस्थी बह गई है, जिससे अब दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हैं।
चलने लगी नावें
ग्रामीण रामकरण बताते हैं कि बाढ़ को देखते हुए राहत व बचाव के नाम पर मात्र कुछ नावें ही चलाई जा रहीं हैं। ग्रामीण मोटर वोट की मांग कर रहे हैं, जिससे अनहोनी से बचा जा सके। इस बीच प्रशासन ने कई गांवों मे ंनाव भेजी हैं, जिसके जरिए ग्रामीण अपने-अपने घरों से बाहर आ रहे हैं। घाटमपुर के उप जिलाधिकारी वरुण कुमार पांडेय का कहना है कि अभी कोई ऐसी बात नहीं है। फिर भी बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली गयी हैं। बाढ़ चैकिया अलर्ट पर हैं। टीमें बाढ़ग्रस्त गांवों में राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं