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उन्नाव में अतुल सिंह की बोलती थी तूती, जेल में फफक-फफक कर रो रहा बाहुबली

जेल में नहीं मिल रही वीवीआईपी सुविधा, आमबंदी की तरह बैरक में रह रहा अतुल सिंह

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जेल में नहीं मिल रही वीवीआईपी सुविधा, आमबंदी की तरह बैरक में रह रहा अतुल सिंह

कानपुर। एक माह पहले मांखी के साथ ही पूरे उन्नाव जिले में अतुल सिंह की तूती बोलती थी। कारो का काफिला जहां रूक जाता वहीं शराब और कवाब की दावत शुरू हो जाती। कोतवाली से लेकर थाने, कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील तक में तैनात अफसर भाजपा विधायक के छोटे भाई अतुल सिंह की जीहुजूरी करने लगते। जिसे चाहा जेल भिजवा दिया, जिसने मुंह खोला उसे मरवा दिया। पिछले 23 साल से तीनों भाईयों की मांखी में सल्तनत चलती आ रही है। पैसे, बाहुबल और नाना के नाम पर एक खास तबके के वोटबैंक के चलते कुलदीप सिंह सियासत में जमा रहा। प्रधानी से लेकर विधायकी तक वह एक भी चुनाव नहीं हारा। लेकिन एक मासूम लड़की के साथ गैंगरेप के आरोप में विधायक कानून के शिकंजे में फंस गया और मर्डर के साथ कई अन्य मामलों में छोटा भाई अतुल सिंह उन्नाव जेल में मच्छरों बीच रात गुजारने के साथ वो फफक-फफक कर रो रहा है। कभी जेलकर्मियों को पैसे देकर तो कभी धमकी के जरिए वीवीआई सुविधा की डिमांड करता, पर सीबीआई के सख्त निर्देशों के चलते बाहुबली को आम बंदी की तरह रखा जा रहा है।
लालच पर बात नहीं बनी तो दी धमकी
कहते हैं किस्मत कितने रंग बदलती है और कब किसे आसमा में पहुंचा दे तो कब किसे जमीन में गिरा दे। कुछ यही हाल भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई का है। कभी उन्नाव जेल के अंदर उसका बोलबाला था। कैंटीन से लेकर भोजन तक का ठेका अतुल सिंह के करीबियों और रिश्तेदारों को मिलता था। गैंगरेप और मर्डर के आरोप में जेल जाने के बाद विधायक के भाई की आवाभगत खुब हुई, लेकिन सीबीआई के केस लेने के बाद जेल प्रशासन ने अपने काम करने का तरीका बदल लिया जो अतुल सिंह को नहीं पसंद आया। अतुल सिंह ने जेलकर्मियों को पैसे के साथ अन्य लालच दिए पर वह उसके बहकावे में नहीं आए और आम बंदी की तरह उसके साथ पेश आए। रविवार को मेडिकल के बाद उसे जेलकर्मी जेल लेकर आए और बैरक में जाने को कहा तो वह उखड़ गया और उनके साथ अभद्रता करने लगा। बाद में जेलर के आने के बाद वह शांत पड़ा।
पांचों को एक साथ रखने की मांग
विधायक कुलदीप सेंगर का भाई रविवार को जिला जेल में अपने सह आरोपियों शीलू सिंह, विनीत, बउवा व सोनू के साथ एक ही बैरक में रखने की जिद पर अड़ गया। जब जेल अधिकारियों ने विरोध किया तो उन्हें अर्दब में लेकर दबाव बनाने लगा। अतुल विरोध में बोल उठा पांचो लोग एक ही बैरक में रहेंगे। पांचो विरोध करते हुए एक ही बैरक में रखने की जिद पर अड़ गए और जेल कर्मियों से देख लेने की धमकी देते हुए झगड़ा करने पर आमादा हो गए। जेलर और डिप्टी जेलर के आने पर शांत नहीं हुए। आखिर में वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडेय ने अतुल सहित सभी आरोपियों को जेल कर्मियों से जबरन अलग बैरकों में ले जाकर बंद करा दिया और जेल के कानून का पालन करने की हिदायद दी। नहीं मानने पर जेल के कानून के तहत सजा भुगतने की धमकी। सजा सुनकर विधायक का भाई की सारी हेकड़ी निकल गई और बैरक में गर्मी और मच्छरों के बीच आम कैदी की तरह रात गुजारी।
पीड़िता के चाचा पर केस दर केस
दुष्कर्म पीड़िता द्वारा विधायक पर आरोप लगाए जाने के बाद उसके चाचा को मुकदमों के जाल में फंसाने का खेल शुरू हो गया।विधायक कुलदीप सेंगर के साथ आरोपित शशि सिंह ने 22 अक्टूबर 2017 को माखी थाने में तहरीर देकर यह आरोप लगाया कि 21 अक्टूबर की रात 10 बजे पीड़िता के चाचा ने उसके घर में घुसकर न सिर्फ मारा पीटा बल्कि डराया और धमकाया भी। विधायक के खास विनोद मिश्र ने 30 अक्टूबर को माखी थाने में अपराध संख्या 475/17 से मुकदमा दर्ज कराया। तहरीर में 21 अक्टूबर को घटना का वक्त शाम छह बजे बताते हुए मानहानि, सम्मान को ठेस पहुंचाने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए पीड़िता के चाचा आरोपी बनाया। रिश्तेदार राजकुमार सिंह ने माखी थाने में ही अपराध संख्या 477/17 में मुकदमा दर्ज कराया। उन्होंने भी घटना 21 अक्टूबर की बताते हुए एक नवंबर को जो तहरीर दी उसमें फेसबुक पोस्ट का जिक्र करते हुए आइटी एक्ट और डरा धमकाकर जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराते हुए पीड़िता के चाचा के साथ चाची को भी नामजद किया।