कानपुर। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बीते दिनों निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा मंत्रिमंडल शवयात्रा में पैदल चल पड़ा तो वहीं बीजेपी ने उनकी अस्थियों को कलश के अंदर रखकर देश की सभी नदियों में विसर्जन किया था। लेकिन रविवार को उनकी पौत्री ने पौत्र का धर्म निभाते हुए सरसैया घाट स्थित पितृपक्ष के अवसर पर उनकी आत्मशांति के लिए पिण्डदान श्राद्ध किया। इसके मौके उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि हर महिला व युवती अपने पूर्वजों का पिंडदान करे। क्योंकि अटल जी भी अक्सर महिला उत्थान के लिए हमेसा आगे रहते थे और पुरानी प्रथाओं के खात्में के लिए आंदोलन भी किए।
सरसैया घाट से था खास लगाव
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पौत्री नंदनी मिश्रा रविवार को दर्जनभर से ज्यादा महिलाओं के साथ सरसैया घाट पहुंची। मां गंगा के घाट पर उन्होंने पूरे विधि-विधान से अटल जी का तर्पण किया और उनकी आत्मशांति के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर नंदनी ने कहा कि अटल जी का लगाव सरसैया घाट से बहुत था। वो स्कूल के दिनों में यहीं आकर अपने मित्रों को कविताएं सुनाया करते थे। उनकी आवाज को सुनने के लिए कभी-कभी मां गंगा भी लहरों के बीच से तालियां बजाया करती थी। इसी के चलते हमने अपने अटल जी को पितृपक्ष के अवसर पर तर्पण किया और उनकी आत्मशांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
कई सालों से महिलाएं यहां करती हैं तर्पण
सरसैया घाट में पहली बार महिलाओं ने अपने पूर्वजों का तपर्ण नहीं किया, बल्कि पिछले कई सालों से बेटी बचाओ औी बेटी अभिष्यान नामक संगठन करवाता आ रहा है। बेटी-बचाव, बेटी पढ़ाओ के संयोजक मनोज सेंगर कहते हैं कि आज महिलाएं पुरूषों के मुकाबले हर मामले में बहुत आगे हैं। पर वो पुरानी परम्परों के चलते अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं कर सकती थीं। हमने पांच साल पहले इस परम्परा को खत्म करने की शुरूआत की और कई युवतियों और महिलाओं को गंगाघाट लाकर उनके पूर्वजों को उन्हीं के जरिए तर्पण करवाया। इसके बाद कई महिलाएं आगे आई और अब हर वर्ष हजारों महिलाएं व युवतियां पितृपक्ष में पूर्वजों को पानी देकर उनकी आत्मशांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
पहली बार महातर्पण
मनोज सेंगर ने बताया कि महान विदुषी गार्गीय खुद अपने पिता का तर्पण करती थीं। मुगलकाल में हिन्दू नारियों की अस्मिता रक्षा के लिये पर्दे में रखा गया तो तमाम कर्मकाण्डों से नारियां दूर हो गयीं। लेकिन बेटियों के हाथों तर्पण वेद सम्मत है और अब प्रगतिशील जमाने में जब नारियां हर काम में पुरूष के कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं तो सनातन परम्पराओं को बहाल किया जा सकता है। इस महातर्पण में अटल बिहारी वाजपेई की पौत्री नंदिता मिश्रा भी शामिल हुई। मनोज सेंगर कहते हैं कि बेटियों को अपने पूर्वजों को पितृपक्ष में तर्पण करने का हक है और पुराणों में भी लिखा है। हम बेटियों से अपील करते हैं कि वो बेटों की तरह अपने पूर्वजों का पिंडदान कर पुष्ण कमाएं।