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106 वर्ष पहले हिंदू-मुस्लिम ने रखी थी ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ की नींव

locationकानपुरPublished: Nov 12, 2019 12:21:42 am

Submitted by:

Vinod Nigam

अयोध्या मामले के फैसले को सभी ने किया कबूल, मछली वाली गली से निकला एशिया का सबसे बड़ा जुलूस, सभी समुदाय के लोगों ने लिया भाग।

106 वर्ष पहले हिंदू-मुस्लिम ने रखी थी ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ की नींव

106 वर्ष पहले हिंदू-मुस्लिम ने रखी थी ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ की नींव

कानपुर। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी ने दिल खोलकर स्वागत किया। निर्णय के बाद पूरे कानुपर में पहले की तरह दौड़ा। लोग अपने-अपने पर्व को धूमधाम के साथ बना रहे हैं। मेस्टन रोड के मछली वाली गली स्थित मस्जिद से ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ जुलूस रवाना हुआ। जिसमें दोनों समुदाय के लोग सड़क पर उतरे और एक-दूसरे को गले लगाकर आपसी भाईचारे का संदेश दिया। 14 किमी तक जुलूस पूरे शहर में घूमा। छतों से फूल बरसाए गए और गंगा-जमुनी तहजीब की बयार ऐसा से बहे, इसके लिए दुआ मांगी।
नहीं सफल हुई साजिश
शहर के घने बाजार वाले क्षेत्रों में शुमार मेस्टन रोड के मछली बाजार में मंदिर और मस्जिद आमने-सामने हैं। अंग्रेज सरकार ने 1913 में कानपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के तहत गंगा तट पर सरसैय्या घाट से बांसमंडी को मिलाने वाली सड़क के विस्तार की योजना बनाई थी। जो नक्शा तैयार किया गया उसमें मस्जिद का कुछ हिस्सा रुकावट बन रहा था। यहीं सामने मंदिर भी था। अंग्रेजों ने हिंदुओं-मुसलमानों को लड़ाने के लिए मस्जिद के एक हिस्से को तोड़ दिया लेकिन मंदिर को छुआ तक नहीं।
सड़क पर उतरे दोनों समुदाय
जमीअत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी बताते हैं, अंग्रेजों की इस हरकत को दोनों समुदाय के लोग जान गए और गोरों के खिलाफ एकजुट होकर सड़क पर उतर आए। कईदिनों तक संघर्ष होता रहा और सैकड़ों लोगों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दोनो ंसमुदाय के लोगों ने चंदा किया और वकीलों की टीमें बनाईं। काफी मशक्कत के बाद गिरफ्तार लोगों की रिहाई हो सकी।
दूसरे साल पूरा शहर सड़क पर
ओसामा बताते हैं, 1914 में 12 रबी उल अव्वल के दिन घटना की याद में परेड ग्राउंड पर फिर लोग एकत्रित हुए। खिलाफत तहरीक के मौलाना अब्दुल रज्जाक कानपुरी, मौलाना आजाद सुभानी, मौलाना फाखिर इलाहाबादी और मौलाना मोहम्मद उमर के नेतृत्व में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया, जो एशिया का सबसे बड़ा जुलूस कहलाया। पिछले 106 साल से ये जुलूस ऐसे ही निकलता है और सभी धर्मो के लोग इसमें शामिल होते हैं।
अमने-सामने मंदिर-मस्जिद
ओसामा बताते है कि मंदिर-मस्जिद एक ही स्थान पर हैं पर न तो किसी को अजान से परेशानी होती है और न ही किसी को आरती से। दोनों समुदाय एक-दूसरे का सम्मान करते हुए इन बातों का लिहाज रखते हैं। मंदिर की जिम्मेदारी रोहित साहू के पास है। बताते हैं, मंदिर-मस्जिद सौहार्द की अनूठी मिसाल आज भी है। इससे सीख लेने की जरूरत है। वहीं डीएम विजय विश्वास पन्त, एसएसपी अनन्त देव तिवारी ने लोगों को इसी तरह से मिल जुलकर देश को विकास के पथ पर ले जाने का संकल्प दिलाया।

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