17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जितिन के चलते कांग्रेसियों की टेंशन बढ़ी, दावेदार दिल्ली दरवार में लगा रहे हाजिरी

राहुल गांधी की टीम में जितिन प्रसाद के आने से पुराने नेता परेशान, टिकट कटने के चलते अपने करीबियों से लगा रहे जुगाड़

3 min read
Google source verification
rahul gandhi did announce new team in Jitin Prasad place up news

जितिन के चलते कांग्रेसियों की टेंशन बढ़ी, दावेदार दिल्ली दरवार में लगा रहे हाजिरी

कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन 2019 का आगाज एक माह पहले ही कर दिया था, जिसको कामयाब बनाने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दो दिवसीय दौरे के लिए यूपी आए। इस दौरान उन्होंने पदाधिकारियों के साथ बैठक की और वर्तमान हालातों पर चर्चा के बाद कई निर्णय लिए और उन्हें जमीन पर उतारे जाने का आदेश दिया। इसी के बाद राहुल गांधी एक्शन में आए और पिछले सात माह से कांग्रेस वर्किंग कमेटी का गठन लटका हुआ था, जिसे मंगलवार को अमलीजामा पहना दिया। कई बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया, वहीं युवा और अपने समाज में अच्छा प्रभाव रखने वाले नेताओं को जगह दी। इन्हीं में से जितिन प्रसाद हैं, जो यूपी के बड़े ब्राम्हण चेहरा हैं। जितिन प्रसाद के जरिए राहुल गांधी यूपी के करीब 14 फीसदी ब्राम्हण वोटर्स को पंजे के साथ जोड़ने के लिए लगाएंगे। जितिन की इंट्री से कांग्रेसियों की भी टेंशन बढ़ गई है। कई दावेदार दिल्ली दरवार में हाजिरी लगा रहे हैं, पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में गुटबाज नेताओं के अलावा नए उम्मीदवार को पंजे का सिंबल दे सकती है।
ताकतवार होकर उभरेंगे प्रसाद

कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के सात महीने बाद राहुल गांधी ने पार्टी की कार्य समिति का गठन किया। जिसमें अनुभवी और युवा नेताओं का समावेश करने की कोशिश की गई, लेकिन कई ऐसे नामों को जगह नहीं मिली जो कुछ अरसा पहले तक पार्टी के दिग्गजों में शुमार किये जाते थे। पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत की ओर से जारी बयान के मुताबिक सीडब्ल्यूसी में 23 सदस्य, 18 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कार्य समिति में कई ऐसे नेताओं को जगह नहीं मिली है जो सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते हुए कार्य समिति के प्रमुख सदस्य हुआ करते थे। राहुल गांधी की टीम में युवाओं के साथ बेतहर प्रशासक और मजबूत नेताओं को मौका मिला है। जानकारों मी मानें तो यूपी से जितिन प्रसाद को लाना खास रणनीति का हिस्सा है। वह कई धड़ों में बंटी कांग्रेस को एक करने के साथ ही करीब 14 फीसदी ब्राम्हण वोटर्स को पंजे की तरफ लाने के लिए उतरेंगे।
कानपुर में होगा बड़ा फेरबदल

आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कोई भी चूक करने के मूड में नहीं है। पिछले चुनावों में गिरती साख से कांग्रेस ने सीख लेने का फैसला किया है। प्रदेश की लोकसभा सीटों पर पिछले परिणामों को और बेहतर बनाने के लिए संगठन तैयारी में जुट गया है। जिसके चलते जिलों में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति परखने को कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए गए। इन कार्यकर्ता सम्मेलन की मानीटोरग स्वयं प्रदेश प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने की। संगठन में खेमेबाजी खुलकर सामने आई। जिसके बाद से ही माना जा रहा था कि कांग्रेस प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव कर सकती है। नतीजा अब जल्द ही आने वाला है। शहर की बात करें तो यहां भी फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच कई नाम भी तेजी से लिए जा रहे हैं। इनका लखनऊ से दिल्ली तक का सफर भी पूरा हो चुका है। अब देखना है कि प्रदेश में बड़े फेरबदल के मूड में कांग्रेस शहर में कितना ठहराव लेती है।
पूर्व मंत्री-पूर्व विधायक के बीच रार

कानपुर नगर में भाजपा से बड़ा संगठन कांग्रेस के पास है। जमीन पर काम करने वाले नेताओं के अलावा पदाधिकारियों की पूरी फौज है, बावजूद 2014 लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस ग्रामीण के पूर्व सचिव सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के वक्त एक खेमें ने दूसरे खेमें को हरा दिया और जिसका बदला 2017 विधानसभा में लिया गया। निकाय चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और पूर्व विधायक अजय कपूर आपने-सामने खुलकर आ गए। पूर्व विधायक उषा रत्नाकर शुक्ला को मेयर का टिकट दिलवाने के लिए दिल्ली में डेरा जमाए रहे तो वहीं पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश ने सीधी पार्टी हाईकमान से मिलकर आलोक मिश्रा की पत्नी बंदना मिश्रा को टिकट दिलवा दिया। जिससे नाराज होकर अजय कपूर ने उषा को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतार दिया। राज बब्बर के दखल के बाद अजय कपूर पीछे हटे। लेकिन मतदान के दौरान उन्होंने ऐसी चाल चली की बंदना मिश्रा चुनाव हार गई।
रार के चलते मिली थी हार

लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस के अंदर जबरदस्त रार चल रही थी, जिसका नतीजा रहा कि नगर की सीटों में पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बढ़त बनाई, लेकिन गोविंद नगर, किदवई नगर और महाराजपुर में उन्हें उम्मीद से बहुत कम वोट मिले। इन सीटों की ऐसी कई बस्तियां थी, जहां पहले कांग्रेस के लिए ही वोट पड़ता था, लेकिन 2014 में इसके विपरीत हुआ। सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि जब तक हम साउथ पर कब्जा नहीं करते, तब तक पंजे को जिता पाना मुश्किल है। इसके लिए कानपुर के दोनों नेताओं को एक साथ आना होगा और पार्टी को नए उम्मीदवार को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारना होगा। अगर ऐसा होता है तो भाजपा को हम आसानी से मात देने में कामयाब हो सकते हैं। वहीं कांग्रेस में कई दावेदारों के नाम आगे बताए जा रहे हैं, पर पार्टी हाईकमान 2109 के चुनाव में स्थानीय के बजाए बाहरी चेहरे पर दांव लगा सकता है। जिसकी चर्चा इनदिनों तिलकहॉल में सुनी जा सकती है।