
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद कानपुर के 300 दीनी मदरसों की मान्यता पर संकट के बादल छा गए है। इन मदरसों में किस तरह का निसाब यानी पाठ्यक्रम चल रहा है, इसको लेकर 15 सितंबर से सर्वे शुरू हो जाएगा। दरअसल ये मदरसे दारुल उलूम देवबंद या बरेली शरीफ के दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालित किए जाते हैं। लेकिन इनकी मान्यता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सर्वे कराने का फैसला किया गया है। क्योंकि आरटीई के तहत सभी शिक्षण संस्थानों की मान्यता होना जरूरी है। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद मदरसों को मान्यता देता है, जिसमें जो अनुदानित मदरसे हैं उनके शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार वेतन देती है। शेष मान्यता प्राप्त मदरसों की परीक्षाओं का संचालन केवल बोर्ड करता है।
सभी शहरों में सर्वे का कार्य शुरू
बता दें कि प्रदेश में ऐसे कई मदरसे हैं जिसने पास बोर्ड की मान्यता नहीं होने के बावजूद उनका संचालन हो रहा है। यह दीनी मदरसे हैं जिसमें उनका अपना पाठ्यक्रम है। इन सभी मदरसों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। जिसके चलते प्रदेश के सभी शहरों में सर्वे का कार्य शुरू किया गया है। सर्वे के दौरान ये पता लगाया जाएगा कि मदरसा कहां चल रहा है और उसमें कितने छात्र अध्ययन कर रहे हैं। वहीं जिन मदरसों का संचालन बिना मान्यता के हो रहा है, उन्हें नोटिस दिया जाएगा। वहीं आरटीई के अन्तर्गत बिना मान्यता वाली सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद किया जाएगा।
दीनी मदरसों की मान्यता बोर्ड से नहीं
उधर, मदरसों में सर्वे को लेकर मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही, शहर काजी का कहना है कि मदरसों को लेकर जो नीति बनाई गई है, वह अभी तक सामने नहीं आई है। उनका कहना है कि मदरसों में सर्वे की बात कही गई है, लेकिन इनमें दीनी मदरसों को लेकर स्पष्ट बात नहीं कही गई है। बरेली शरीफ से बात होती रहती है लेकिन अभी वहां से कोई दिशा.निर्देश नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि दीनी मदरसों में सिर्फ मजहबी अध्यन कराया जाता है। इनकी मान्यता मान्यता बोर्ड से संभव नहीं है।
Published on:
06 Sept 2022 09:53 am
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