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मेजर सलमान से थर-थर कांपते थे दहशतगर्द, 80 से ज्यादा देश के दुश्मनों को कर चुके थे ढेर

पिता ने कहा था 100 को मरोगो तो दूंगा ओबराय होटल में पार्टी, हर दिन आतंकियों को मारने के बाद दर्ज करवाते थे संख्या

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remembering major salman today on the date of kargil day in kanpur

मेजर सलमान से थर-थर कांपते थे दहशतगर्द, 80 से ज्यादा देश के दुश्मनों को कर चुके थे ढेर

कानपुर। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कानपुर शहर का आम-ओ-खास दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति प्रज्जवलित कर उन्हें श्रृद्धांजलि दी। दिल्ली के इण्डिया गेट की तर्ज पर यह ज्योति अनवरत अनन्तकाल तक प्रज्जवलित रहेगी। इस मौके पर कैप्टन आयुष यादव, मेजर सलमान खान, गनर गोपाल स्वरूप् की परिवारवालों को सम्मानित किया गया। वहीं आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले क्रान्तिकारी और भगत सिंह के साथी शिव वर्मा का परिवार भी मौजूद रहा। 19वीं वर्षगांठ पर शहीद मेजर सलमान के माता-पिता को सम्मानित कर सपूत को याद कर सबकी आंखें भर आईं। सलमान 2005 में आतंकियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हुए थे। शहीद के भाई इकरार ने एक किस्से का जिक्र करते हुए बताया कि सलमान ने शहादत से एक दिन पहले फोन कर बताया था कि अब्बू से कह देना 80 को मार चुका हूं, जल्द ही सौ आतंकियों का काम तमाम कर दूंगा। पार्टी के लिए पैसे जमा कर लें दो माह के बाद होटल ओबराय में परिवार के साथ बैठ कर भोजन करूंगा।
...तो उन्हें सलमान की जीत का एहसास
26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को खदेड़ कर कारगिल की पहाड़ियों में कब्जा जमाया था। इस जंग में मां भारतीय के सैकड़ों सबूतों ने बलिदान देकर पहाड़ों में तिरंगा फहराया था। आंतकियों से लड़ते-लड़ते शहीद मेजर सलमान खान के परिजनों का कहना है कि जब-जब कारगिल विजय दिवस आता है, तो उन्हें सलमान की जीत का एहसास होता है। सलमान के जन्मदिन या बरसी पर भी आंखें नम होती हैं लेकिन फख्र महसूस होता है। शहीद मेजर सलमान के भाई इकरार अहमद खान बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दिक्षा फतेहपुर जिले के बिंदगी तहसील के गांव मिस्सी में हुई थी। इकरार बताते हैं कि वो बचपन से बहुत तेज थे और दौड़ में अव्वल रहते थे। सलमान को देश भक्तिगीत बहुत पसंद थे और गांव के रिटायर्ड फौजियों से उनके किस्से सुना करते थे। उन्होंने पहले ही अपना रास्ता सेना में जाने का बना लिया था।
अब्बू ने रखी थी शर्त
इकरार ने बताया कि एनडीए में ट्रेनिंग के बाद जब सलमान को आर्मी में कमीशन मिला और वो अफसर बन गए। कश्मीर में तैनाती के दौरान जब भी आतंकियों को मारते तो घर में फोन कर अब्बू से कहते, अब्बू जान पांच को मारा है, जल्द ही आंकड़ा सौ के पार पहुंचा दूंगा। तब अब्बू कहते कि बेटे जब 100 आतंकियों को मार गिराओगे तो होटल ओबराय में ग्रांड पार्टी होगी। मगर, वो मौका आया नहीं। बड़े भाई के मुताबिक सलमान ने 80 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। जब वो शहीद हुए तो 100 का आंकड़ा पूरा होने में चंद नंबर ही बाकी थी। किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। ये काउंटिंग पूरी होने से पहले ही मेजर सलमान शहीद हो गये। कमीशन मिलने के बाद जब सलमान लेफ्टिनेंट बने तो उन्हें फर्स्ट पोस्टिंग सिख रेजीमेंट पठानकोट में मिली। उन दिनों कारगिल वॉर छिड़ी हुई थी। . उनकी यूनिट को भी मोर्चे पर फौरन मूवमेंट के ऑर्डर्स मिले।
सलमान ने मांगी थी चौकी
उन दिनों को याद करके इकरार बोले कि तब वॉर के दौरान अक्सर सलमान से फोन पर बात हो जाया करती थी। उसकी पोस्टिंग चौपट चौकी पर थी। ये वो चौकी है जहां कोई फौजी अफसर जाना पसंद नहीं करता, क्योंकि वहां कोई जिंदा नहीं बचता। ऐसा इसलिए क्योंकि ये चौकी ऊंचाई पर बनी पाकिस्तानी चौकी से काफी नीचे है। इसलिए पाकिस्तानी फौजी आसानी से भारतीय जवानों को निशाना बना लेते हैं। मगर, सलमान रियर वारियर था. न सिर्फ वो इस चौकी पर तैनात रहा. बल्कि, वॉर में दुश्मनों को भी सबक सिखाया। सलमान के भाई बताते हैं कि कारगिल वार के दौरान पाकिस्तानी सेना ने कईबार चौकी पर हमला बोला, लेकिन भारतीय सेना के जवानों के आगे उसकी एक नहीं चल सकी। चौकी पर निडर होकर सलमान व उनके जवान पहरेदारी करते रहे। वार के खत्म होने के बाद सलमान घर आए और यूद्ध के बारे में हम सबको बताया।
कुपवाड़ा में हुए थे शहीद
किदवई नगर रेजीडेंट व ऑर्डनेंस फैक्ट्री से रिटायर मुश्ताक अहमद व हाउस वाइफ रशीदा बेगम के बेटे सलमान का जन्म 22 अक्टूबर 1978 को फतहुपुर जिले की तहसील बिंदकी के मिस्सा गांव में हुआ था। पांच भाई-बहनों इकरार, अर्शिया, कामरान और उमरा में सलमान चौथे नंबर पर थे। 5 मई 2005 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के गांव में मुठभेड़ में उत्तरी कश्मीर के डिविजनल कमांडर समेत दो आतंकियों को मार गिराया। मुठभेड़ में मेजर सलमान के तीन गोलियां लगीं। 7 मई 2005 को वो शहीद हो गए। सिक्ख/ 6 राष्ट्रीय राइफल के मेजर सलमान को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। भाई इकरार का कहना है कि उन्हें फख्र है कि सलमान ने देश की रक्षा के लिए जिंदगी कुर्बान की। इस्लाम हमेशा वफादारी की सीख देता है। उसने अपने मजहब और मुल्क दोनों का फर्ज अदा किया है।
छोटे सलमान सेना करेंगे ज्वादन
शहीद मेजर सलमान खान के परिवार के बड़े बेटे इकरार अहमद ने अपने बेटे का नाम सलमान रखा और उन्हें सेना में ज्वाइन करने के लिए खुद ट्रेंड कर रहे हैं। इकरार के मुताबिक हमने तय किया कि घर में जिस भाई के बेटा होगा, उसका नाम सलमान रखेंगे और उसे फौज में अफसर बनाएंगे। वो बोले, खुदा ने हमारी सुनी भी। कुछ साल पहले मेरे बेटा हुआ। जैसा तय था, हमने बेटे का नाम सलमान रखा। आने वाले दिनों में उसे फौज में अफसर भी बनाएंगे। सलमान अभी मर्सी मेमोरियल स्कूल का स्टूडेंट है, लेकिन फौज को लेकर उसका जज्बा देखते ही बनता है। इकरार बताते हैं कि बेटे को ये तो नहीं मालूम कि उसके चाचा कितनी बहादुरी का काम कर गये हैं, लेकिन उसकी बातें जब-जब सुनता हूं तो यह एहसास पक्का हो जाता है कि जैसे मेरा भाई मेरे बेटे के रूप में वापस लौट आया है। जब-जब इसे देखता हूं, भाई का बचपन, उसकी शरारतें याद आ जाती हैं.।