
Reserve Bank of India: आप सबने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया’। फिलहाल, यह मुहावरा तो कायम है, लेकिन बाजारों से अठन्नी गायब हो चुकी है। वो अठन्नी, जो कभी चाय-पान के ठेलों में चलती थी। वो अठन्नी, जिसे कभी लोग 1-2 रुपए के सिक्के की तरह इस्तेमाल किया करते थे।
आपको बता दें कि अठन्नी (50 पैसे का सिक्का) भारत में लंबे समय तक प्रचलन में रही। लेकिन 30 जून 2011 के बाद, भारत सरकार ने 50 पैसे से कम मूल्य के सभी सिक्कों का प्रचलन समाप्त कर दिया। हालांकि, 50 पैसे का सिक्का अभी भी कानूनी तौर पर वैध है, लेकिन यह बाजार में अब आम तौर पर देखने को नहीं मिलता। अब सवाल यह उठता है कि यह अठन्नियां गई कहां?
रिजर्व बैंक की कानपुर शाखा के आंकड़े बता रहे हैं कि बाजार में लगभग 1500 करोड़ (15 अरब) अठन्नियां हैं। यह गुल्लकों, दानपात्रों, दुकानों के गल्लों में हैं या फिर गला दी गईं, कोई नहीं जानता। फिलहाल, बाजारों में यह लेन-देन से गायब है। इसी चार अक्तूबर को रिजर्व बैंक ने प्रचलित नोट और सिक्कों की ताजी रिपोर्ट जारी की है।
महंगाई का असर: जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती गई, 50 पैसे और उससे कम के सिक्कों की क्रय शक्ति बहुत कम हो गई। लोग इन्हें उपयोग करने में रुचि खोने लगे और इन्हें संभाल कर रखने का चलन भी कम हो गया।
सिक्कों की ढलाई लागत: अठन्नी बनाने की लागत भी धीरे-धीरे बढ़ती गई, जो उसके मूल्य से ज्यादा हो गई। इससे सिक्कों को बनाना असार्थक हो गया।
बाजार में उपयोग की कमी: दुकानदार और उपभोक्ता दोनों ने अठन्नियों का इस्तेमाल करना लगभग बंद कर दिया। छोटे लेन-देन में भी इन्हें लेने और देने में परेशानी महसूस की जाने लगी, इसलिए इन्हें धीरे-धीरे चलन से बाहर कर दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में कुल 134 अरब सिक्के बाजार में हैं। इनका मूल्य 348 अरब रुपए है। इनमें सबसे छोटा सिक्का 50 पैसे का है। रिजर्व बैंक ने 700 करोड़ रुपए मूल्य की अठन्नियां बाजार में उतार रखी हैं, पर इनका दिखना दुर्लभ है। अठन्नी तो दूर अब एक रुपए का नया छोटा स्टील का सिक्का भी प्रचलन में बेहद कम है। यह ज्यादातर नेग देने वाले लिफाफों में चिपका मिलता है।
रिजर्व बैंक 2000 रुपए का एक नोट बदलने पर 250 रुपए के सिक्के देता है। हालांकि इनमें अठन्नी नहीं होती। मौजूदा समय में एक रुपए के छोटे सिक्के दिए जा रहे हैं। सिक्के ज्यादातर रिजर्व बैंक से सीधे नयागंज बाजार पहुंचते हैं, जहां सौ सिक्कों के बदले 90 या 85 रुपए के नोट मिलते हैं।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सचिव ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन प्रवीण मिश्रा ने बताया कि अठन्नी आरबीआई की सबसे छोटी वैध मुद्रा है। बाजार ने इसका प्रचलन बंद कर दिया है। यह कानूनी रूप से गलत है।
Updated on:
19 Oct 2024 09:48 am
Published on:
19 Oct 2024 09:40 am
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