
कानपुर। खेत में हल चलाकर अपने इकलौते बेटे को किसान पढ़ा लिखाकर कलेक्टर, डॉक्टर, मास्टर बनाना चाहता था। पांच से लेकर 18 साल की उम्र पार कर चुके बेटे को उसने कभी पैसे की कमी खलने नहीं दी। पर एकदिन बेटे की गंगा में डूबकर मौत की खबर उसे मिली। जिसे सुन कर किसान के पैरों के तले से जमीन खिसक गई और वह रोता-बिलखता गंगा के तट पर पहुंचा। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्ट के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने मौत के कारण की रिपोर्ट के साथ शव को पिता को सुपुर्द कर दिया। लेकिन जवान बेटे के गंगा में डूब कर मौत से पिता संतुष्ट नहीं हुआ और सरसैया घाट स्थित छोटे से गड्ढे में शव को रखकर मौत के कारण का पता लगाने के लिए सरकारी सिस्टम से मिड़़ गया। कोर्ट, कचहरी, थाना और चौकी के वह लगातार 345 दिन से चक्कर लगा रहा है, पर उसकी शिकायत पर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं। किसान ने बताया कि बेटे को मारकर शव को गंगा में फेंका गया है और इसका प्रमाण फोरेंसिक साइंस लैब यानी विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के जरिए पुलिस को मिल चुका है, बावजूद वह हत्या के बजाए केस को आत्महत्या का रूप देकर केस को बंद करने में तुली है।
क्या है पूरा मामला
शिवराजपुर थानाक्षेत्र के माना ताला गांव निवासी महेशचंद्र शर्मा पेशे से किसान हैं और इकलौते बेटे सौरभ व पत्नी के साथ रहते थे। बेटे को वह पढ़ा लिखाकर सरकारी अफसर बनाना चाहते थे। इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद महेशचंद्र ने अपने बेटे को कानपुर भेज दिया और वह यहां से बीएससी कर रहा था। गर्मी की छुट्टियों में सौरभ अपने गांव गया हुआ था। इसी दौरान वह 30 मई 2017 की सुबह वह अपने दोस्तों के साथ घर के बाहर बैठा था। कुछ देरबाद वह कहीं गुम हो गया। पिता ने उसके दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने सौरभ के बारे में जानकारी नहीं दी। दोपहर के वक्त कुछ गांववालों ने सौरभ के गंगा में डूब जाने की खबर महेशचंद्र को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों को पानी में उतारा, लेकिन शव नहीं मिला। दो दिन बाद एक जून की रात दो बजे कुछ मछुआरे जाल डालकर मछली पकड़ रहे थे। सौरभ का शव उनके जाल में फंस गया। उसे गंगा किनारे लाकर महेश को सूचना दी। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया तो रिपोर्ट में डूबने के कारण दम घुटने से मौत होने की पुष्टि डाक्टरों ने की।
शव का फिर से हुआ पोस्टमार्टम
डॉक्टर की रिपोर्ट देख महेश संतुष्ठ नहीं थे। उन्हें बेटे की हत्या होने का शक था। इसी के चलते उन्होंने बेटे का शव गंगा किनारे सरैया घाट पर सुरक्षित गाड़ दिया और प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देना शुरू किया। 20 जुलाई को उन्होंने जिलाधिकारी को प्रार्थना देकर बेटे का पुनः पोस्टमार्टम कराने की अपील की। जिलाधिकारी के आदेश पर 4 अगस्त को पांच डाक्टरों के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम किया। इसकी वीडियोग्राफी भी हुई। महेश बेटे का शव निकालकर पोस्टमार्टम हाउस तक ले गए थे। पांच डाक्टरों के पैनल ने शव विघटित (डीकम्पोस्ड) होने के आधार पर कोई भी सलाह देना असंभव बताया और शव परीक्षण के लिए एफएसएल भेज दिया। हालांकि पांच डाक्टरों के पैनल ने डूबने से हुई मौत पर शव में पाए जाने छह लक्षणों का जिक्र भी किया। 16 फरवरी 2018 को एफएसएल रिपोर्ट आई। जिसमें कई छेद मिले।
कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
महेशचंद्र ने बेटे के शव को पोस्टमार्टम हाउस से ले जाकर फिर गड्ढे में रख दिया और फिर पुलिस के पास गया, लेकिन थानेदार ने उसे डांट डपक कर भगा दिया। पीड़ित ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय लिया। उसने अपने करीबी वकील विजय कुमार दीक्षित से मदद मांगी। वकील ने पूरे प्रकरण को समझा और उसे न्याय का भरोसा दिया। वकील विजय कुमार ने बताया कि एफएसएल रिपोर्ट में कहा गया कि पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उक्त छह लक्षण नहीं बताए गए हैं। यह एंटीमार्टम ड्राउनिंग (मृत्यु पूर्व डूबने से हुई मौत) न होकर पोस्टमार्टम ड्राउनिंग (मृत्यु के पश्चात डूबना) हो सकता है। रिपोर्ट में मौत का कारण सदमा या कोमा बताया गया। अधिवक्ता के मुताबिक ऐसे में पहली मेडिकल रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में है। शव का पोस्टमार्टम फिर से कराए जाने की लिए वह जल्द ही कोर्ट में पीड़ित का पक्ष रखेंगे और एक डॉक्टरों के साथ मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग न्यायाधीश से करेंगे।
अखिलेश से लेकर सीएम से लगा चुका है फरियाद
महेश ने बताया कि एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद वह अब तक 21 से ज्यादा प्रशासनिक, पुलिस और मंत्रियों को प्रार्थना पत्र दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। महेश ने बताया कि जिस वक्त बेटे की मौत हुई थी तो प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव थे। हमने तत्कालीन मंत्री अरूणा कोरी को एक ज्ञापन सीएम अखिलेश यादव के नाम दिया और बेटे के मौत के कारण की जांच पुलिस के बजाए अन्य एजेंसियों से कराए जाने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ और बिल्हौर से भाजपा विधायक को भी शिकायती पत्र दे चुके हैं पर वहां से कोई जवाब नहीं मिला। मामले पर एसओ चंद्रदेव सिंह ने बताया कि पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफएसएल रिपोर्ट में कुछ भिन्नता है इसीलिए एफएसएल रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर जी. खान से लिखित में बयान मांगा है। उनका बयान मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।’
Published on:
02 May 2018 05:05 pm
बड़ी खबरें
View Allकानपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
