
सीएम योगी के चलते स्कूलों के दिन बहुरे, डिजिटल के जरिए एबीसीडी सीखेंगे बच्चे
कानपुर। सर्वशिक्षा अभियान के तहत हर साल करोड़ों रूपए सरकारी स्कूलों के नाम पर खर्च कर दिए जाते हैं, बावजूद वहां बच्चों की संख्या नहीं बढ़ती। इसी के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ ने अब सरकारी स्कूलों को हाईटेक करने का प्लॉन बनाया है। जल्द ही कानपुर के सरकार स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देंगे। इन स्कूलों की पढ़ाई अब डिजिटल होने जा रही है। जल्द प्राथमिक स्कूलों की किताबों को क्वीआर कोड से जोड़ा जाएगा। बच्चे स्मार्ट फोन पर इस कोड को स्कैन करेंगे और पूरे चैप्टर के ऑडियो-वीडियो को देख सुन सकेंगे। इस तरह सरकारी स्कूल की किताबों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल देश में पहली बार यूपी में होगा और इसकी शुरूआत एक अस्गत से कानपुर में हो जाएगी।
हाईटेक होंगे सरकारी स्कूल
देश हाईटेक हो रहा है। लेनेदेने से लेकर कारोबार को पूरी तरह से डिजिटल से जोड़ दिया गया है। प्राईवेट स्कूल और कॉलेज बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए कम्प्यूटर की बारीकियों को सिखा रहे हैं, लेकिन देश के सरकारी स्कूल आज भी पुरानी परप्मरा के तहत चलते हैं। मस्साब घर का काम-काज निपटा कर स्कूल पहुंचते हैं और कखग का ज्ञान देकर अपने घर को निकल जाते हैं। लेकिन सीएम योगी ने सरकारी स्कूलों के साथ मस्साब को बदलने का बीणा उठाया है। अब स्कूली बच्चे ककहरा के साथ-साथ एबीसीडी के अलावा डिजिटल के जरिए शिक्षा से दक्ष होंगे। इसकी शुरूआत यूपी के कानपुर से शहर स्थित गंगा के किनारे बसे में शंकरपुर सराय गांव में जल्द होने वाली है। यहा के बच्चों की किताबों में एक क्यूरेड कोड दिया होगा, जो कठिन से कठिन सवाल का चल चंद सेकेंड में कर देगा।
इस स्कूल में शुरू होगी हाईटेक शिक्षा
कानपुर के गंगा किनारे स्थित शंकरपुर सराय गांव में प्री-हायर सेकेण्डरी स्कूल है। यह स्कूल पूरी तरह से हाईटेक है और कान्वेंट की तरह यहां बच्चों को शिक्षा दी जाती है। यहां के टीचरों को कम्प्यूटर और मोबाइल चलाने में महारथ हासिल है और वो इसी के जरिए बच्चों को भी कम्प्यूटर से लेकर डिजिटल एजूकेशन की बारीकियों से दक्ष कर रहे हैं। क्लास में टीचर जो कुछ पढ़ाते है, उसे दोहराने के लिये या और अच्छे से समझने के लिये बच्चों को ट्यूशन नहीं लेनी पड़ती, बल्कि वे किताब के हर चैप्टर पर बने क्यूआर कोड को किसी स्मार्ट फोन पर स्कैन करते हैं और घर जाकर पूरा चैप्टर का ऑडियो सुन सकते हैं या वीडियो क्लास देख सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो कॉन्वेंट की महंगी किताबों से को सरकार की मुफ्त किताबों ने कसकर चित कर दिया है।
इसके चलते मिला तोहफा
गंगा के किनारे स्थित यह सरकारी स्कूल कान्वेंटों को पीछे छोड़ आगे निकल गया है। यहां के टीचर बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे है, तो वहीं स्कूल के अंदर वो सारी सुविधाएं मौजूद हैं जो अन्य स्कूलों में नहीं है। इसी के चलते पूर्व डीएम सुरेंद्र सिंह ने इस स्कूल में डिजिटल एजूकेशन की शुरूआत कराने के लिए शासन को अगवत कराया। शिक्षांमत्री के अनुमोदन के बाद स्कूल में कुछ क्यूआर कोड वाली किताबों की खेप आ चुकी हैं। साथ ही अगले माह तक बची किताबें स्कूल में पहुंच जाएंगी। कानपुर के सभी स्कूलों में क्यूआर कोड के साथ किताबें देने से पहले वहां के टीचरों को इसकी बारीकियों से अगवत कराया जाएगा। डीएम विजय विश्वा सपंत ने कहा कि कुछ दिनों के बाद सरकारी स्कूल बदल जाएंगे। वहां भी अच्व्छी शिक्षा बच्चे पा सकेंगे।
चल रहा है परीक्षण
स्कूल की पिं्रंसिपल शशि मिश्रा ने बताया कि ये अभी क्यूआर कोड वाली किताबों को परीक्षण के तौर पर लाया गया है। लेकिन पहले तीन दिनों में बच्चों और शिक्षकों के बीच इसका जबरदस्त रिस्पॉस देखने को मिला है। छात्र गूगल के प्ले स्टोर पर जाकर दीक्षा एप डाउनलोड करेंगे। प्लेस्टोर में यह एप सहज के नाम से है। एप को डाउनलोड करने के बाद जिस चैप्टर को पढ़ना हो। किताब से उसका क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद बाद फोन पर बच्चों हर सवाल का तत्काल जवाब मिल जाएगा। शशि मिश्रा ने बताया कि अगर किसी चैप्टर को क्यूआर कोड के जरिये तो देखा जा सकता है लेकिन किताब के प्रकाशन से सम्बन्धित कोई जानकारी चाहिये तो वो किताब के कवर पेज पर छपे बारकोड को स्कैन करके देखी जा सकती है। बार कोड, क्यूआर कोड और कागज पर छपी किताबों की सामग्री में कोई भिन्नता न आ जाये, इसे लेकर भी हम भी।
स्कूल की तरफ से दिए जाएंगे मोबाइल
बच्चों ने स्कूल में खुद का बैंक खोला हुआ है। बैंक के मैनेजर, कर्मचारी व कैशियर छात्ऱ-छात्राएं हैं। कक्षा आठ की छात्रा संध्या ने बताया कि हम लोग खर्च के लिए मिलने वाले पैसों से कुठ अपने स्कूल के बैंक में जमा करते हैं और जरूरत पढ़ने पर बिना ब्याज के पैसे हमें मिल जाते हैं। संध्या ने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल मैम ने इसकी शुरूआत की थी । वो अपने वेतन से हर माह बैंक में पैसे जमा करती है। साथ ही अन्य टीचर भी कुछ रूपया बच्चा बैंक में जमा करते हैं छात्रा ने बताया कि पहले चरण में पांच स्टूडेंट्स को मोबाइल फोन खरीदने के लिए पैसा दिया जाएगा। सभी छात्र उन्हीं के मोबाइल के जरिए हाईटेक शिक्षा गृहण करेंगे। स्कूल में डिजिटल एजूकेशन की शुरूआत होने से छात्रों के साथ ही टीचर व अभिभावक गदगद हैं।
Published on:
15 Jul 2018 02:53 pm
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