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शोध में खुलासा, बिजली बनाने में कानपुर का कचरा नम्बर वन

locationकानपुरPublished: Aug 01, 2022 11:07:05 am

Submitted by:

Snigdha Singh

UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर का कचरा बड़े ही काम का है। यहां का कचरा खाद के लिए तो बेहतर ही है लेकिन साथ ही बिजली के लिए भी नंबर वन है।

UP Kanpur's waste number one in making electricity and compost

UP Kanpur’s waste number one in making electricity and compost

कानपुर भले ही दूषित शहरों में अव्वल रहता हो पर यहां का कचरा भी काम का है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खाद और बिजली बनाने के लिए इसे काफी उपयुक्त माना गया है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एचबीटीयू के प्रोफेसर दीपेश सिंह, रिसर्च स्कॉलर अभिषेक दीक्षित, एडिथ काउन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के संजय शुक्ला ने शहर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर पिछले 14 वर्षों में हुए कार्यों का अध्ययन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना की है। इसका प्रकाशन इंटरनेशनल शोध पत्रिका जर्नल ऑफ मटेरियल साइकिल एंड वेस्ट मैनेजमेंट जापान में प्रकाशित हुआ है। शोध में स्पष्ट किया गया है कि जो मानक निर्धारित हैं, कानपुर का कचरा उस पर पूरी तरह खरा उतरा है। अध्ययन के मुताबिक ठोस अपशिष्ठ यानी सॉलिड वेस्ट का कार्बन/नाइट्रोजन का रिजल्ट 27.64 है, जबकि आदर्श सीमा 26 से 31 तक मानी जाती है।
संस्कृति बताता है यहां का कचरा

शोध पत्र में बताया गया है कि शहर से निकलने वाला कचरा यहां की संस्कृति भी बताता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो कचरा निकलता है वह मुख्य रूप से घरों का है। शेष इंडस्ट्री का कचरा होता है जो खतरनाक श्रेणी में होता है। कचरा शहर की क्षेत्रीय गतिविधियां, खानपान, सांस्कृतिक परंपराएं, सोशियो इकोनॉमिक गतिविधियां, मौसमी उतार-चढ़ाव पर भी आधारित होता है। कचरे में 40 फीसदी बायोडिग्रेबल, प्लास्टिक, लेदर, रबर, ग्लास आदि शामिल है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के आधार पर 50 रुपये प्रति किचन की दर बताई गई है। इस बात पर ध्यान देना होगा कि शहर का लिट्रेसी रेट 79.65 है और 26 फीसदी आबादी स्लम एरिया में रहती है। वहीं, इसकी औसत कैलोरिफिक वैल्यू 2288 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम है जो बिजली उत्पादन के लिए भी सही है।
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शहर में कूड़े के आंकड़े

1600 टन कूड़े का रोजाना उत्पादन

1200 टन कूड़े का रोजाना प्लांट के जरिए होता निस्तारण
500 टन प्लास्टिक कचरे का रोजाना उत्पादन

50 टन प्लास्टिक कचरे का प्लांट में बनता एमआरएफ

150 टन कचरा होता है रीसाइकिल

200 टन प्लास्टिक कचरा रोजाना नाले-नालियों में जा रहा
100 टन प्लास्टिक कचरा कूड़ा बीनने वाले रोजाना उठा रहे

देश में 10वें स्थान पर है कानपुर

शोध पत्र के अनुसार देश के सर्वाधिक ठोस अपशिष्ठ पैदा करने वाले 46 शहरों में कानपुर दसवें स्थान पर है। वर्ष 2020 तक के आंकड़ों पर अप्रैल 2022 में प्रकाशित इस शोध पत्र में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि अब मात्रा अधिक हो गई है।
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