हिंडौन सिटी में 9 वर्ष की मूकबधिर बालिका के साथ हुई दिलदहला देने वाली घटना का पुलिस ने हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। शनिवार को पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि इस घटना को अंजाम पीड़िता के माता-पिता और मामा ने दी है। पुलिस ने कहा है कि जांच के दौरान मिले साक्ष्य इस बात की पुष्टि करता है कि पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता जो जलाया, फिर बचने के लिए तीनों ने मिलकर झूठी कहानी बनाई और दुष्कर्म जैसी घटना होना का रूप दिया। हालांकि, उपचार के दौरान जब पीड़िता से पुलिस ने बयान रिकॉर्ड की तब बयानों में पीड़िता द्वारा एक व्यक्ति द्वारा पेट्रोल से जलाना बताया गया और अपने साथ दुष्कर्म जैसी घटना नहीं होना बताया गया।
दरअसल, 9 मई को थाना नई मण्डी हिण्डौनसिटी पर सूचना मिली कि एक 9 वर्षीय मूक-बधिर बच्ची जली हुई हालत में अस्पताल में भर्ती हुई है। सूचना के बाद थाना नई मण्डी हिण्डौन सिटी पुलिस हॉस्पिटल जाकर मूक-बधिर बच्ची के बयान दर्ज करने के प्रयास किये गये। बालिका बयान देने की स्थिति में नहीं थी। बच्ची के माता पिता द्वारा घटनाक्रम के बारे में हिण्डौन अस्पताल में कुछ भी नहीं बताया गया। बालिका को एसएमएस जयपुर रैफर किए जाने पर अगले दिन नई मण्डी पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने एसएमएस जयपुर गई, लेकिन परिजनों से वहां भी अधिक जानकारी नहीं मिली।
घटना के 2 दिन बाद पीड़िता के पिता करन सिंह पुत्र रूप सिंह निवासी दादनपुर थाना टोडाभीम द्वारा थाना नई मण्डी हिण्डौनसिटी पर सोच समझकर एक रिपोर्ट पेश की गयी जिसमें अपनी लड़की को 9 मई की सुबह 10 बजे करीब दो अज्ञात व्यक्तियों द्वारा जलाकर रेलवे लाईन की तरफ भागना बताया गया। उक्त रिपोर्ट पर मुकदमा अनुसंधान प्रारंभ किया गया। 14 मई को पीड़िता के अनुवादक द्वारा उपचार के दौरान एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में बयान दर्ज किये गये और बयानों की वीडियोग्राफी की गयी। बयानों में पीड़िता द्वारा एक व्यक्ति द्वारा पेट्रोल से जलाना बताया गया और अपने साथ दुष्कर्म जैसी घटना नहीं होना बताया गया। इसके बाद 20 मई को पीड़िता की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।
ऐसे हुआ घटना का खुलासा
अनुसंधान में यह पाया गया कि पीड़िता की उसकी मां से लडाई होने के उपरान्त गुस्सा होकर भाग कर स्वयं को ज्वलनशील पैट्रोल से जलाने की कोशिश के फलस्वरूप पीड़िता को बर्न इंजरी हुई। मां द्वारा इस तथ्य को छुपाकर मौके से संदिग्ध पैट्रोल वाली बोतल को लाकर अपने घर में छिपाया गया और पुलिस को घटना के बाद इस सम्बंध में कोई भी जानकारी नहीं दी गई। दो दिन उपरान्त सोच समझकर दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। पीड़िता के मामा द्वारा पीड़िता को ललित शर्मा की 9 वर्ष पुरानी फोटो पहचान करवाकर इस केस में ललित को आरोपी बनाने की कोशिश की गई।
मेडिकल बोर्ड के फाईनल ओपिनियन के अनुसार पीड़िता के मृत्यु के लगभग 24 घण्टे के बीच Organophosphorous Insecticide कीटनाशक का सेवन पीड़िता को कराया गया। इस जहर के सेवन के उपरान्त पीड़िता की सांस फूलने पर दिनांक 19 मई को डॉक्टर्स द्वारा ऑक्सीजन सपोर्ट लगाने की औपचारिक सहमति मांगी गई लेकिन उद्देश्यानुसार मामा राजेश द्वारा माता पिता से विचार विमर्श कर लिखित में सहमति से इनकार किया गया। जिसके चंद घण्टों उपरान्त ही 19-20 मई की मध्य रात्रि को पीड़िता की मृत्यु हो गई।
Updated on:
16 Jun 2024 01:51 pm
Published on:
15 Jun 2024 10:03 pm