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मानसून से पहले ही गंभीर नदी के छलक उठे आठ एनीकट, जल संकट से मिलेगी राहत

पांचना बांध से गत दिनों छोड़े पानी से गंभीर नदी के पेटे में बने एनीकट लबालब हो गए हैं। मानसून से पहले सभी आठ एनीकटों पर चादर चलने से नदी तटवर्ती क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ने से गर्मियों में जल संकट से राहत रहेगी।

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anicuts of Gambhir river

हिण्डौनसिटी। भगवान महावीर की रथ यात्रा को लेकर पांचना बांध से गत दिनों छोड़े पानी से गंभीर नदी के पेटे में बने एनीकट लबालब हो गए हैं। मानसून से पहले सभी आठ एनीकटों पर चादर चलने से नदी तटवर्ती क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ने से गर्मियों में जल संकट से राहत रहेगी।

दरअसल, दिगबर जैन अतिशय क्षेत्र में भगवान महावीरजी के वार्षिक मेले में रथ यात्रा में भगवान जिनेंद्र के गंभीर नदी के जल से अभिषेक की परम्परा के लिए पांचना बांध से पानी छोड़ा जाता है। इस बार रथयात्रा से 4 दिन पूर्व बांध से 300 एमसीएफटी पानी छोड़ा गया था। आमतौर पर नदी पेटा के सूखे रहने से नदी में श्रीमहावीरजी से कुछ किलोमीटर आगे पहुंच थम जाता था।

लेकिन गत वर्ष जिले में अच्छी बारिश होने से अगस्त माह में पांचना बांध से छोड़े पानी से एनीकटों की वजह से नदी पेटा में नमी थी। ऐसे में मेंडी, कटकड़, देवबाबा दानालपुर, श्रीमहावीरजी, किरवाड़ा, भोपुर, सिद्ध आश्रम, सिघनिया-मूडिया व महू इब्राहिमपुर गांव बने एनीकटों पर लबालब होने के बाद चादर चलने से मानसून के दिनों सा दृश्य बन गया है।

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विभाग के कनिष्ठ अभियंता उमेदसिंह बताया कि मानसून सीजन में बांध से पानी छोड़ने पर एनीकटों में भराव से भूजल स्तर में इजाफा हुआ था। एनीकटों की वजह से नदी पेटा में नमी होने से इस बार पानी बांध से 48 किलोमीटर दूर महवा मार्ग पर महू के एनीकट को लबालब करते हुए जिले क्षेत्र 60 किलोमीटर के नदी पेटे को तर करते हुए भरतपुर जिले की ओर बह निकला था।

दो माह बाद फिर होंगे लबालब

जल संसाधन विभाग के सूत्रों के अनुसार अप्रेल से जून तक की भीषण गर्मी के दौरान लबालब एनीकटों में भूमि के पानी सोखने से जल स्तर कम होगा। साथ ही इससे भूजल स्तर रिचार्ज होगा। एनीकटों के रीतने से पहले ही मानसून आने से नदी पेटे में बने एनीकटों की फिर से भरने की उम्मीद है।

तीन एनीकटों का निर्माण है प्रस्तावित

विभागीय सूत्रों के अनुसार बारिश में नदी से व्यर्थ बहने वाले पानी के संचय और भूजल रिचार्ज को लेकर तीन एनीकटों को निर्माण प्रस्तावित है। ताकि जिले की सीमा तक भूजल स्तर को सुधारा जा सके। इसके तहत नदी पेटे में तिघरिया, सीतापुर-चुरारी व रीजवास में 60 करोड़ की लागत से एनीकट निर्माण का प्रस्ताव है।

प्रत्येक में होता 3से 5 एमसीएफटी जल भराव

जल संसाधन विभाग के सूत्रों के अनुसार नदी पेटे में 200-250 मीटर चौड़ाई में दो मीटर ऊंचे एनीकट में 2 किलोमीटर पीछे तक जलभराव रहता है। नदी पेटे की चौड़ाई के आधार पर एक एनिकट में 3 से 5 एमसीएफटी पानी का भराव होता है। विभाग के 8 एनीकटों में औसतन 30 से 35 एमसीएफटी जलभराव होता है। बांध से इस बार भगवान महावीर की रथ यात्रा को लेकर 300 एमसीएफटी पानी नदी में छोड़ा गया था।

इनका कहना है

श्रीमहावीरजी मेले के उपलक्ष्य में पांचना बांध से छोडे़ गए पानी से गंभीर नदी में बने एनीकट ओवरफ्लो हो गए। सभी एनीकट लबालब हैं। भूमिगत रिचार्ज होने से गर्मियों में नदी तटवर्ती गांवों में पेयजल संकट से राहत रहेगी। मानसून से एनीकटों के फिर लबालब होने पर वाटर रिचार्ज का क्रम बरकरार रहेगा।

उम्मेदसिंह, कनिष्ठ अभियंता, जलसंसाधन विभाग, हिण्डौनसिटी