कार्रवाई शुरू होते दुकान छोड़कर भागे ये व्यापारी
जैसे ही टीम ने चंद्र लाल प्रीतमदास ग्रेन मर्चेंट में जांच कार्रवाई शुरू की वैसे ही व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकानों की शटर बंद कर चंपत हो गए। इस दौरान वंश गोपाल राम प्रसाद साहू, श्री मुरली चंद जी, मोहन लाल सोहन लाल साहू, नारायणदास हीरालाल, राजेश कुमार अजय कुमार साहू, दुर्गा प्रसाद, नीरज लाल साहू, केशव भंडार, प्रतीक ट्रेडर्स, जेके ट्रेडर्स, विशाल स्वीट्स, रमेश कुमार, आशीष कुमार चौरसिया पान मसाला, श्री मोहनलाल ट्रेडर्स, मेसर्स श्री कृष्णा ट्रेडर्स, दाल चावल आटा ट्रेडर्स सहित अन्य व्यापारी अपनी-अपनी प्रतिष्ठानों को बंद करके गायब हो गए।
व्यापारियों ने कहा-कंपनियों पर हो कार्यवाही
झंडा बाजार में कार्रवाई के दौरान व्यापारियों ने कार्रवाई का विरोध भी किया। उनका कहना था कि छोटे व्यापारियों में कार्रवाई की बजाय बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई की जाए। जहां पर खाद्य सामग्री दाल, चावल, गोली-बिस्किट सहित अन्य खाद्य सामग्री तैयार होती है वहां पर कार्रवाई होनी चाहिए। व्यापारियों को यह नहीं पता होता कि इसमें मिलावट है कि नहीं। ऐसे में वे कार्रवाई में बेवजर फंसते हैं।
व्यापारियों ने दिखा अजीबो-गरीब तर्क
कार्रवाई के दौरान शटर बंदकर भागने वाले व्यापारियों ने तो अजीबो-गरीब तर्क दिया। एक व्यापारी का कहना था उसके यहां एक बार कार्रवाई हुई थी तो लगभग 20 साल तक प्रकरण चला था। केश दर्ज होते ही 10 हजार की फीस के साथ वकील का मीटर चालू हो गया था। लाखों रुपये बर्बाद हुई। कोर्ट-कचहरी व अधिकारियों के चक्कर काटने पड़े वह अलग। इसलिए जब अधिकारी दुकान में सैम्पल ही नहीं ले पाएंगे तो फिर कोई समस्या ही नहीं रहेगी।
कैमोर में भी की कार्रवाई
शहर के बाद टीम कैमोर पहुंची। यहां पर मामा स्वीट्स कैमोर में दबिश दी। खोवा बर्फी, श्रीराम आइसक्रीम पॉर्लर कैमोर से अमूल मिल्क के सैंपल लिए। कार्रवाई के दौरान टीम ने 22 नगर अमूल मिल्क, 3 किलोग्राम छेना, 2 किलोग्राम देशी बड़ा और पांच किलोग्राम मटर खराब पाए जाने पर नष्ट कराया।
इनका कहना है
चंद्रलाल प्रीतमदास ग्रेन मर्चेंट में सैंपलिंग की गई है। जांच के दौरान लाइसेंस भी नहीं मिला। तुअर दाल में टूटन अधिक होने के कारण मिलावट की आशंका है, जिसका सैंपल लेकर राज्य प्रयोगशाला भेजा जाएगा। दुकानें बंद होने से अन्य दुकानों में कार्रवाई नहीं हो पाई।
डीके दुबे, फूड इंस्पेक्टर, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग।