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गरीबों पर दोहरीमार: आवास बने नहीं और 1299 हितग्राहियों के तैयार हो रहे बैंक ऋण प्रकरण, अभी मात्र 35 फीसदी ही हुआ काम

- जिन शहरी गरीबों के पास पक्के आशियाने नहीं हैं, जमीन का अभाव है या फिर किराये के मकान में रहकर गुजारा कर रहे हैं ऐसे लोगों के लिए पीएम आवास के माध्यम से आशियाने की सौगात मिलनी है, साथ ही जो लोग महंगी जमीन खरीदकर मोटी रकम खर्च करते हुए आवास बनाने में समक्ष नहीं हैं ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्की छत मुहैया कराने केंद्र सरकार की बड़ी योजना चल रही है। इस बड़ी योजना में नगर निगम कटनी काफी पीछे चल रहा है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Nov 01, 2019

Arbitrary with beneficiaries in Nagar Nigam katni PM Awas yojna

Arbitrary with beneficiaries in Nagar Nigam katni PM Awas yojna

कटनी. जिन शहरी गरीबों के पास पक्के आशियाने नहीं हैं, जमीन का अभाव है या फिर किराये के मकान में रहकर गुजारा कर रहे हैं ऐसे लोगों के लिए पीएम आवास के माध्यम से आशियाने की सौगात मिलनी है, साथ ही जो लोग महंगी जमीन खरीदकर मोटी रकम खर्च करते हुए आवास बनाने में समक्ष नहीं हैं ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्की छत मुहैया कराने केंद्र सरकार की बड़ी योजना चल रही है। इस बड़ी योजना में नगर निगम कटनी काफी पीछे चल रहा है। प्रदेश में कटनी शहर 9वें स्थान पर है तो वहीं मात्र डेढ़ साल में 33 फीसदी काम ही हो पाया है। काम में हो रही लेटलतीफी पर न तो ठेकेदार पर निगम अफसर कोई कार्रवाई किए और ना नोडल अधिकारियों पर। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि मई 19 तक आवासों का निर्माण कर आवंटन कर देना था, लेकिन नगर निगम नहीं कर पाया। अब एक साल के लिए मई 2020 तक समयावधि बढ़ा दी गई है। नगर निगम के पास सात माह का समय शेष है। अभी भी 67 फीसदी काम बकाया है। हैरानी की बात तो यह है कि बगैर आवास दिए ही नगर निगम हितग्राहियों पर बोझ डालने की तैयारी में है। नवंबर माह में 1399 हितग्राहियों को ऋण स्वीकृत कराने की तैयारी में है। ऐसे में हितग्राहियों पर किराया के बोझ के साथ ही किस्त का भार पड़ जाएगा और मकान मिलेगा नहीं।

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यह है फेज-1 की स्थिति
पीएम आवास फेज-1 के तहत झिंझरी में आवासों का निर्माण चल रहा है। यहां पर अभी तक मात्र 30 फीसदी काम हुआ है। झिंझरी में 792 इडब्ल्यूएस और एलआइजी के 384 आवास बनने बनने हैं। 740 का नगर निगम ने लॉटरी सिस्टम से एक माह पहले आवंटन भी कर दिया है। एलआइजी में 16 लाख 50 हजार, एमआइजी का 19 लाख 25 हजार रुपये भी निर्धारित कर दिए हैं। ये आवास 117 लाख रुपये की लागत से बन रहे हैं। यहां पर बीआरपीए एसोसिएट द्वारा निमार्ण कार्य धीमी गति से कराया जा रहा है फिर भी जिम्मेदार कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।

फेज-2 की भी नहीं स्थिति बेहतर
फेज-2 के तहत प्रेमनगर खिरहनी में आवासों का निर्माण हो रहा है। यहां पर भी मात्र 35 से 40 प्रतिशत काम हो पाया है। यहां पर 1744 इडब्ल्यू एस आवास बनने और 1056 एलआइजी का काम चल रहा है। आवंटन 507 इडब्ल्यू का हो गया। यहां पर 214 करोड़ रुपये लागत से आवासों का निर्माण हो रहा है। यहां पर कल्याण टोल द्वारा निर्माण धीमी गति से किया जा रहा है, इसके बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे।

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यह है देरी की वजह
नगर निगम के नोडल अधिकारी सिर्फ एक ही राग अलाप रहे हैं कि शुरुआती दौर में जमीन का आवंटन देरी से हुआ इसके चलते निर्माण में देरी हुई। दो हेक्टेयर जमीन का आवंटन अभी भी शेष है। ड्राइंग डिजाइन लेट मिलने और ठेकेदारों द्वारा विलंब से काम शुरू करने की बात कह रहे हैं। नगर निगम अधिकारी हितग्राहियों को बैंकों से लोन दिलाने के लिए एक नंवबर को बैंकर्स की मीटिंग कर रहे हैं, लेकिन आवास बने नहीं तब भी।

खास-खास:
- नोटिस तक सीमित रही ठेकेदारों पर कार्रवाई, सिर्फ काम में तेजी लाने ही जारी हुए निर्देश।
- ट्राइपॉट एग्रीमेंट की तैयारी में नगर निगम, अधूरे फ्लैट बेंचकर रुपये जुटाए जाने की तैयारी में ननि
- नवंबर माह में फेज-1 में 112 लोगों को व फेज-2 में 350 लोगों को आवास दे देने का दावा।
- कई हितग्राही पहले से रुपये जमा कर चुके हैं इसके बाद भी नहीं मिला आवंटन, बाद वालों का लिस्ट में नाम।

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इनका कहना है
शुरुआती दौर में काम धीमा था। अब एक साल के लिए समयावधि बढ़ाई गई है। मई तक आवास पूर्ण करने है। 30 फीसदी काम हो गया है। नवंबर माह में साढ़े चार सौ से अधिक हितग्राहियों को आवास आवंटित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऋण स्वीकृति के बाद जो राशि आएगी उससे ही काम में तेजी आएगी। डेढ़ लाख रुपये सेंट्रल, डेढ़ लाख रुपये स्टेट और दो लाख अर्बन लोक बॉडी का है। दो लाख हितग्राही को देना है। अभी हितग्राहियों ने 20 हजार रुपये जमा करा दिया गया है, उनके ऋण प्रकरण स्वीकृत कराए जा रहे हैं। चुनौतीपूर्ण कार्य है इसलिए ऐसा निर्णय लिया गया है। इसके लिए एमआइसी से भी अनुमोदन है।
शैलेंद्र शुक्ला, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम।