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MP Election 2023: बरवाड़ा में भाजपा का कब्जा, धीरेंद्र बहादुर ने कांग्रेस से छीन ली सीट

मध्यप्रदेश का कटनी जिला राजनीतिक रूप में बेहद महत्व रखता है। जिले की बड़वारा विधान सभा सीट सीट एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

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कटनी

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Sanjana Kumar

Nov 05, 2023

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मध्यप्रदेश का कटनी जिला राजनीतिक रूप में बेहद महत्व रखता है। जिले की बड़वारा विधान सभा सीट सीट एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यह सीट जिले की वो सीट है जिस पर कांग्रेस को 2018 के चुनाव में जीत मिली थी। यहां से भाजपा के प्रत्याशी धीरेंद्र बहादुर सिंह धीरू ने चुनाव जीत लिया। धीरू को 112916 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी विजय राघवेंद्र सिंह (बसंत सिंह) को 61923 वोट मिले। तीसरे नंबर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अरविंद सिंह टेकाम रहे। उन्हें 10060 वोट मिले। 17 नवंबर को बरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 73.05 फीसदी मतदान हुआ था।

कितने वोटर, कितनी आबादी

2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बड़वारा सीट पर 11 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा। कांग्रेस के विजयराघवेंद्र सिंह को 84,236 वोट मिले तो बीजेपी के मोती कश्यप को 62,876 वोट मिले. कांग्रेस के विजयराघवेंद्र को 21,360 मतों के अंतर से जीत मिली थी। तब के चुनाव में बड़वारा सीट पर कुल वोटर्स 2,17,756 थे, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,13,866 थी तो, महिला वोटर्स की संख्या 1,03,886 थी। इसमें कुल 1,68,194 (79.0%) वोटर्स ने वोट डाले। NOTA के पक्ष में 3,783 (1.7%) वोट आए थे।

कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

बड़वारा सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 1990 से लेकर अब तक यहां पर 4 दलों को जीत मिली है. 1990 में कांग्रेस को जीत मिली तो 1993 में जनता दल के खाते में यह जीत गई। 1998 में यह सीट कांग्रेस के पास आ गई। 2003 के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड को यहां से जीत मिली। लेकिन 2008 से यह सीट बीजेपी के पास आ गई. मोती कश्यप ने 2008 के बाद 2013 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2014 के उपचुनाव में भी वह विजयी रहे। फिर 2018 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास चली गई. तब विजयराघवेंद्र सिंह विधायक बने थे।

सामाजिक-आर्थिक ताना बाना

बड़वारा सीट पर करीब 2.36 लाख मतदाता हैं, और यह सीट एसटी के लिए रिजर्व है। यहां सबसे अधिक संख्या पिछड़े वर्ग के लोगों की है और करीब 45 फीसदी वोटर्स हैं। इसी तरह अनुसूचित जनजाति के करीब 25 प्रतिशत वोटर्स हैं, जिसमें कोल, गौड़ और भूमिया बिरादरी के लोग शामिल हैं। सामान्य श्रेणी के 17 फीसदी वोटर्स आते हैं, जिनमें ब्राह्मण ठाकुर और कायस्थ बिरादरी के लोग शामिल हैं।

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