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छूटे हुए गांवों को जोड़ा, सैकड़ों किसानों को मिली बड़ी राहत, धान बेचने किसानों को नहीं मिला था केंद्र

locationकटनीPublished: Jan 01, 2020 11:54:57 am

Submitted by:

balmeek pandey

हर दिन बदलते मौसम से किसान चिंतित हैं। बारिश के कारण जहां किसानों की रबी सीजन की बोवनी प्रभावित हो रही है तो वहीं समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए सैकड़ों किसान परेशान थे। धान बेचने के लिए किसानों के नाम साफ्टवेयर में न होने व गांव के नाम छूटे होने से काफी परेशान थे।

6948 quintal paddy purchased so far in Bhandarpur committee

किसानों को मिली राहत

कटनी. हर दिन बदलते मौसम से किसान चिंतित हैं। बारिश के कारण जहां किसानों की रबी सीजन की बोवनी प्रभावित हो रही है तो वहीं समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए सैकड़ों किसान परेशान थे। धान बेचने के लिए किसानों के नाम साफ्टवेयर में न होने व गांव के नाम छूटे होने से काफी परेशान थे। किसानों की इस समस्या को पत्रिका ने 27 दिसंबर के अंक में ‘किसानों के नहीं जुड़े नाम तो किया हंगामा’ नाम शीर्षक से उजागर किया। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और किसानों की समस्या का समाधान किया गया। बाकल केंद्र के सभी किसानों के नाम अब साफ्टवेयर में दिखने लगे हैं, जिससे किसान अब परेशान नहीं होंगे। जानकारी के अनुसार बहोरीबंद क्षेत्र के कुआं खरीदी केंद्र में नीमखेड़ा और छुरिया गांव को जोड़ दिया गया है। इसी तर बरही केंद्र में जमुआ, हदरहटा की समस्या का समाधान हुआ है। हदरहटा केंद्र में मेढ़की, मेडऱा, हदरहटा, हर्रवाह व बिरूहली गांव को जोड़ा गया है। बाकल केंद्र में छुरिया, गाड़ा, खमतरा, खखरा, पटना, खरही जोड़ा गया है। कुआं केंद्र में नीमखेड़ा, बडख़ेरा व कूडऩ में कैमोर, जुझारी को जोड़ा गया है।

 

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परिवहन की अब भी समस्या
धान का परिवहन न होने के कारण अब भी किसान व केंद्र प्रभारी परेशान हैं। धान रखने जगह न होने से किसानों को दिक्कत हो रही है। बता दें कि अबतक 11 हजार 500 कृषकों से 90 हजार टन धान की खरीदी हो चुकी है। अभी तक मात्र 70 हजार टन का ही उठाव हो पाया है। 36 हजार 22 किसानों ने धान बेचने पंजीयन कराया है। अभी तक किसानों के लिए 160 करोड़ रुपये जारी हुए हैं, लेकिन खातों में सिर्फ 42 करोड़ रुपये का ही भुगतान हुआ है। वहीं मौसम खराब होने से बचाव के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।

इनका कहना है
जिले में जिन-जिन गांवों के किसानों की समस्या आई थी उसका समाधान करा दिया गया है। किसानों के नाम जोड़ दिए गए हैं और साफ्टवेयर में भी दिख रहे हैं। अब आसानी से किसान उपज बेच सकते हैं। परिवहन की गति धीमी है। भुगतान भी प्रक्रिया में है।
पीके श्रीवास्तव, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी।

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