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कटनी

जिला अस्पताल को मिली बड़ी सुविधा, ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट शुरू

Blood component separation unit started

कटनीDec 07, 2024 / 12:33 pm

balmeek pandey

Blood component separation unit started

Blood component separation unit started

थैलेसीमिया के मरीजों को राहत, प्राइवेट अस्पतालों को भेजी गई जानकारी, सैकड़ों मरीजों को होगा फायदा

कटनी. जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के उद्देश्य से ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट की शुरुआत की गई है। इस नई सुविधा के जरिए रक्त के विभिन्न घटकों को अलग कर जरूरतमंद मरीजों को सही समय पर उपलब्ध कराया जाएगा। खासतौर पर थैलेसीमिया और गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों और मरीजों को इससे बड़ा लाभ मिलेगा। बता दें कि इस मुद्दे को पत्रिका द्वारा प्रमुखता से उजागर किया गया था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आए और आवश्यक पहले करते हुए ब्लड सेप्रेशन यूनिट को शुरू कराया है। कटनी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस सुविधा को मरीजों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए और भी नई योजनाएं लाई जाएंगी। इस पहल से कटनी के सैकड़ों मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी और जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
थैलेसीमिया मरीजों को राहत
ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट की शुरुआत के साथ, अब थैलेसीमिया के मरीजों को बार-बार पूरी खून चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होगी। यूनिट की मदद से सिर्फ आवश्यक घटक, जैसे कि रेड ब्लड सेल्स या प्लेटलेट्स, अलग कर मरीजों को दिए जा सकते हैं। इससे न केवल मरीजों की रिकवरी बेहतर होगी, बल्कि रक्त की बर्बादी भी रुकेगी। जिला अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, हर महीने करीब 600 से अधिक मरीजों को इस नई सुविधा का लाभ मिलेगा। इसमें डेंगू, कैंसर, और सर्जरी के मरीज भी शामिल हैं, जिन्हें समय पर प्लेटलेट्स या प्लाज्मा की आवश्यकता होती है।
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प्राइवेट अस्पतालों को भेजी गई सूचना
कटनी जिला अस्पताल ने इस सुविधा की जानकारी प्राइवेट अस्पतालों और ब्लड बैंकों को भी साझा की है, ताकि जरूरत पडऩे पर वहां से भी मरीजों को रिफर किया जा सके। यह कदम उन मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा जो आर्थिक समस्याओं के कारण प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। इस यूनिट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं, जो तेजी से और सुरक्षित तरीके से रक्त के घटकों को अलग कर सकती हैं। ब्लड बैंक प्रभारी ने बताया कि इस सुविधा के जरिए इलाज में लगने वाले समय और खर्च दोनों को कम किया जा सकेगा।
यूनिट से होंगे कई फायदे
इस यूनिट के शुरू हो जाने से जिले के मरीजों को कई लाभ होंगे। अभी एक डोनर से मिला खून सिर्फ एक मरीज के काम आ रहा है, लेकिन कंपोनेंट यूनिट के जरिए यह खून चार मरीजों के लिए उपयोगी हो सकेगा। प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, पीआरबीसी और क्रायो को अलग करने की सुविधा मिलने से थैलेसीमिया, डेंगू, बर्न केस, मलेरिया, एनीमिया और प्लेटलेट्स की कमी वाले मरीजों का बेहतर इलाज संभव होगा। यूनिट शुरू होने से मरीजों को अब अन्य शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
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सांसद निधि से भी आई है मशीन
बता दें कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दो साल पहले 30 लाख रुपए की लागत से एफ्रासिस मशीन अस्पताल को दी गई है, जो अभी तक उपयोग में नहीं लाई जा रही थी। इस मशीन से ब्लड कंपोनेंट निकालने के लिए लाइव डोनर की जरूरत होती है और प्रक्रिया में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। इसके अलावा, एक किट की लागत 5 हजार रुपए होती है, जो सिर्फ एक या दो मरीज के लिए ही काम आती है। बजट की कमी के चलते यह मशीन भी फिलहाल अनुपयोगी पड़ी हुई है। अब विभाग इसके उपयोग के लिए भी पहल करेगा।
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लाइसेंस प्रक्रिया के कारण हुई दोरी
ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट को शुरू करने के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया दो साल से पूरी नहीं हो पा रही थी। दस्तावेजों की कमी और निर्माण में खामियों का हवाला देकर एजेंसी बार-बार लाइसेंस जारी नहीं कर रही थी। लगभग तीन माह पहले लाइसेंस की प्रक्रिया हो गई थी, लेकिन सेंटर का संचालन निजी एजेंसी के माध्यम से कराने के कारण देरी हो रही थी। अब सेंटर के शुरू होने से बड़ी राहत मिलेगी।
वर्जन
बल्ड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट पर काम शुरू हो गया है। सेंटर में थैलेसीमियों के मरीजों को सुविधा दी जाने लगी है। निजी अस्पतालों को भी सेंटर चालू होने के संबंध में सूचना जारी कर दी गई है। अब एक यूनिट रक्त चार मरीजों के काम आ सकेगा।
डॉ. मोहित श्रीवास्तव, ब्लड बैंक प्रभारी।

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