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MP के इस जिले में जंगल बनाएंगे सैकड़ों गांवों को अमीर, जानिये कैसे होगा कमाल

locationकटनीPublished: Feb 28, 2018 12:11:38 pm

Submitted by:

balmeek pandey

पुलिस, फ्लाइंग स्क्वायड व समितियों की मदद से होगा कार्य, विभाग ने बनाई कार्य योजना

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forest house

कटनी. माफिया लगातार वन संपदा का दोहन कर राजस्व की क्षति पहुंचाते आ रहे हैं और पर्यावरण संतुलन के लिए भी घातक बन रहे हैं। अब ऐसे माफियाओं की खैर नहीं रहेगी। वन विभाग ने वनों व वन संपदा को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए ठोस योजना तैयार की है। इससे हरित क्रांति तो आएगी ही साथ ही जंगल अब बदहाल गांव की तस्वीर भी बदलेंगे। वन संपदा के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए वनों की बागडोर ग्राम वन समितियों को सौंपी जाएगी। समिति इनकी रक्षा करेगी उत्पादों को बाजार में बेचेगी और इससे जो आय होगी इसे गांव और जंगल के विकास में खर्च किया जाएगा। वन विभाग टीम तैयार कर रहा है जो लगातार जंगलों की निगरानी करेंगी और वन, वन्यप्राणियों और वन संपदा को बचाएंगी। इस दौरान यदि कोई भी व्यक्ति वन संपदा को क्षति पहुंचाते पाया जाता है या फिर उत्पाद को जंगल से लेकर जाता है तो उस पर जैव विविधता अधिनियम के तहत गिरफ्तारी कर जुर्माना सहित वैधानिक दंड की कार्रवाई विभाग सुनिश्ति करेगा। वनो के मनमाफिक व्यवसायिक उपयोग पर लगाम लगाने के साथ ही हर माह समितियों की बैठक होगी। वनों की सुरक्षा और ग्राम विकास की समीक्षा होगी। खास बात यह रहेगी कि ग्रामीणों घरेलू उपयोग के लिए पूर्व की तरह ही वन उत्पाद जंगल से प्राप्त कर सकेंगे।

 

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ये है जंगलों में खास
कटनी जिले के जंगल में आधा दर्जन से अधिक उत्पाद भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जंगल में मुख्य रूप से आंवाल, चिरायता, बेलगूदा, हर्रा, महुआ, चिरौंजी और मरोर फली की बहुतायत है, जिसका औषधि के क्षेत्र में विशेष महत्व है और बाजार में महंगे दाम पर ये औषधिया मिलती हैं।

ऐसे संरक्षित होगी वनोपज
वन विभाग ग्राम वन समितियों के माध्यम से वनोपज को संरक्षित करेगा। जरुरत पडऩे पर इसमें फ्लाइंग स्क्वायड और पुलिस की मदद ली जाएगी। वनोपज तैयार होने पर समितियां विभाग के माध्यम से ऑक्सन व सीधे बाजार में उपज बेचकर रुपए कमाएंगी। वनोपज के विक्रय से प्राप्त होने वाली रकम समितियों के पास रहेगी।

 

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गांव के विकास में होंगे खर्च
आंवला, चिरायता सहित अन्य जंगली उत्पादों से होने वाली आय जब अधिक मात्रा में हो जाएगी तो उसे गांव के विकास बिजली, पानी, सड़क, हरितक्रांति सहित वनों को संरक्षित करने में खर्च की जाएगी।

इनका कहना हैं
जिले के जंगल में कई ऐसी वन उत्पाद हैं जिसका लोग दोहन कर विभाग को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा। इन उत्पादों को समितियों के माध्यम से विक्रय कर गांव और जंगल की सुरक्षा में खर्च किए जाएंगे। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।
अजय कुमार पांडे, डीएफओ, कटनी

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