कटनी. रोजाना की तरह शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में किसान कृषि उपज मंडी उपज लेकर पहुंचे, लेकिन किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा। एक भी किसानों से खरीदी नहीं हुई। यह समस्या किसी एक किसान नहीं बल्कि सैकड़ों किसानों के साथ यह समस्या रही। इसकी मुख्य वजह थी तीसरे दिन भी हम्मालों की हड़ताल। अपनी मांग को लेकर मंडी के हम्माल और मजदूर तीसरे दिन भूख हड़ताल पर रहे। मंडी कार्यालय के सामने जमकर नारेबाजी करते हुए अपनी मांग पूरी कराने के लिए हुंकार भरी। हालांकि देरशाम तक हम्मालों की इस मांग को लेकर मंडी प्रशासन स्तर पर कोई हल नहीं निकला। वहीं हम्मालों ने अपना रुख साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं पूरी की जातीं हैं तो वे अनिश्चित कालीन हड़ताल पर ही रहेंगे। हम्मालों की हड़ताल से पिछले तीन दिनों से मंडी में खरीदी आदि का पूरा करोबार प्रभावित रहा। सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है वे भाड़ा लगाकर उपज लेकर पहुंचे थे। खरीदी न होने के कारण वे यहां पर फंस हुए हैं। इसके अलावा जो अनाज यहां पर बिक चुका है उनकी भराई व लोडिंग के लिए भी परेशानी जा रही है। मंडी में हर जींस की बिक्री प्रभावित है। बता दें कि यहां पर औसतन 250 से अधिक किसानों से प्रतिदिन 6 हजार क्विंटल से अधिक की खरीदी होती है। मंडी में प्रतिदिन ढाई से तीन करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जो प्रभावित रहा।
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अल्टीमेटम के बाद भी नहीं सुनवाई
रज्जुल निषाद, प्राणनाथ पटेल, दिनेश शर्मा, राजू निषाद, किशन, दुर्गा प्रसाद, मिलाप आदि ने बताया कि हम्मालों की मजदूरी पिछले तीन वर्षों से नहीं बढ़ाई गई। मजदूर 8 रुपये प्रति बोरा के हिसाब से दी जा रही है, जो महंगाई के इस दौर में काफी कम है। बच्चों का जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। इसे बढ़ाकर 12 रुपये किया जाए। हम्मालों ने कहा कि 21 जनवरी को भी मांग पत्र दिया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 21 जून को को भी चेतावनी दी गई, फिर भी ध्यान न देने से मजबूरी में उन्हें प्रदर्शन का रुख अख्तियार करना पड़ा।

दिनभर चला बातचीत का दौर
इस समस्या को लेकर शुक्रवार को दिनभर हम्मालों और मंडी अधिकारियों के बीच बातचीत चली। हालांकि मंडी सचिव के अवकाश पर हैं। सिहोरा मंडी के सचिव प्रभार संभाले हैं। हम्मालों की मांग पर मंडी प्रशासन किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचा। दिनभर बातचीत का दौर जारी, रहा, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला।

किसानों को करनी पड़ी पल्लेदारी
किसान मंडी में उपज बेचने के लिए पहुंच तो गए थे, लेकिन उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। इस दौरान किसान लोडर वाहन व ट्रैक्टर में अनाज लेकर पहुंचे थे, पल्लेदार व मजदूर न मिलने के कारण कुछ लोगों को खुद ही वाहन से अनाज उतारना पड़ा। यह समस्या पिछले तीन दिनों से बनी हुई है, लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला।
इनका कहना है
23 जुलाई 2018 को रेट बढ़ाया गया था। 7 रुपये था वह हम्माल और तुलवाटी को मिलाकर 11 रुपये किया गया था। हर दो साल में रेट बढ़ाने का प्रावधान है। अभी दो साल नहीं हुए। हम्मालों की मांग पर अन्य मंडियों से भी रेट मंगाए गए हैं। यदि कहीं पर ज्यादा रेट होगा तो उसकी समीक्षा कर इसे मंडी समिति से चर्चा कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
राकेश पनिका, मंडी निरीक्षक कटनी।