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ये है 8वीं शताब्दी के भोलेनाथ का चमत्कारी मंदिर, अंग्रेजों ने चोट पहुंचाने पर निकल पड़ी थी खून और दूध की धार

locationकटनीPublished: Aug 08, 2022 12:40:47 pm

Submitted by:

Faiz

-8वीं शताब्दी के भोलेनाथ का चमत्कारी मंदिर-अंग्रेजों के चोट पहुंचाने पर निकल पड़ी थी खून और दूध की धार-पत्थरों की बेजोड़ नक्काशी पर खड़ा है मंदिर-खजुराहों की तर्ज पर तराशी गई हैं यहां की मूर्तियां-दर्शन-पूजन के लिए उमड़ रहे श्रद्धालु

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ये है 8वीं शताब्दी के भोलेनाथ का चमत्कारी मंदिर, अंग्रेजों ने चोट पहुंचाने पर निकल पड़ी थी खून और दूध की धार

कटनी. श्रावण के महीने में भगवान भोलेनाथ की देशबर में विशेष अराधना की जा रही है। इसी के चलते हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसे चमत्कारी शिवालय के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी अनूठी परंपरा और मान्यता के लिए जाने जाते हैं। एक विशेष रहस्य को संजोए कटनी जिले के रीठी तहसील के अंतर्गत नांदचांद स्थित भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। यहां पर सावन में बाबा की अराधना के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हर मंदिर की अपनी एक विशेषता होती है, लेकिन यहां की खासियत हर एक पत्थर पर बेजोड़ नक्काशी तो है ही, साथ ही इससे जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य भी हैं।


इलाके के ग्रामीणों का मानना है कि, शिव मंदिर बहुत ही प्राचीन काल का है। 8वीं शताब्दी में भव्यता के साथ मंदिर का निर्माण हुआ था। ग्रामीण सुरेश कुमार लोधी बताते हैं कि, अंगेजों के शासनकाल में मंदिर को खंडित करने का प्रयास किया गया था। जब मंदिर की मूर्तियों को खंडित करने के लिए उसपर चोट पहुंचाई गई तो किसी से खून तो किसी से दूर की धार बह पड़ी थी। मूर्तिों पर आज भी चोट के निशान हैं। कहा जाता है कि, इस नजारे को देखखर अंग्रेज भी मंदिर से तुरंत भाग खड़े हुए थे।

 

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तो दोबारा हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

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फिलहाल, मंदिर में स्थित कई मूर्तियां पन्ना संग्राहालय में रखवा दी गई हैं। यहां पर पीबी राजा रहते थे, उन्होंने भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। भूमि प्रकट शिवलिंग हैं। हलनी पटेल ने दोबारा मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया गया था और आज मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से भोलेनाथ के भक्त पहुंचते हैं।


अद्भुत है यहां की नक्काशी

य विशेष मंदिर अपनी अद्भुत नक्काशी के लिए भी जाना जाता है। रोचक कहानियों से ये मंदिर भरा पड़ा है। मंदिर पुरातत्व विभाग के आधीन है। मंदिर का निर्माण स्थानीय पत्थरों से किया गया है। कारीगरों ने पत्थर को तराशकर मंदिर बनाया है। मंदिर की मोटी दीवारें, उन पत्थरों में धार्मिक, सांस्कृतिक आकृतियां लोगों को बड़ा ही आकर्षित करती हैं। मंदिर को देखने के लिए यहां लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं।


तस्वीरें करती हैं आकर्षित

खजुराहो मंदिर की तर्ज पर मंदिर की दीवारों में बनी मूर्तियां आकर्षण का केंद्र हैं। कई देवी-देवाताओं, देवता जिनमें सवारी करते हैं उन पशु-पक्षियों की मूर्तियां अद्भुत हैं। मंदिर में देवीजी की भी स्थापना हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए लोग पहुंचते हैं। यहां पर पत्थरों के सुंदर फूल, कलश बहुत ही बेहतर तरीके से बनाए गए हैं। शिलालेख भी यहां की खासियत हैं। मंदिर में तो वैसे प्रतिदिन सैकड़ों लोग दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

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