
Municipal Council Meeting
कटनी. चार माह के बाद नगर निगम सामान्य सम्मिलन (परिषद की बैठक) सोमवार को हुआ। दोपहर 12 बजे से नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक की अध्यक्षता में शुरू हुई परिषद की बैठक का दिनभर का सत्र नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी व कारगुजारी की भेंट चढ़ा रहा। पूरे समय पार्षद सदन से कार्रवाई की मांग करते रहे। क्योंकि नगर निगम अधिकारी न तो पार्षदों के पत्रों पर जवाब देते और ना ही काम करते, इससे क्षुब्ध हैं। अधिकारियों के इस रवैया से न सिर्फ कांग्रेस पार्षद बल्कि सत्तापक्ष वाली नगर सरकार भाजपा खेमे के पार्षद भी खासे रुष्ट हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बहत्वपूर्ण बैठक थी, क्योंकि इसमें बजट को पास किया जाना था, लेकिन अधिकारियों द्वारा अधूरी जानकारी देने के कारण पार्षदों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद बजट पास नहीं हो पाया और बैठक स्थिगित हो गई। बैठक में नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक आयुक्त सहित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर तल्ख दिखे, उन्होंने यहां तक कहा कि आयुक्त को तो कोई जानकारी ही नहीं रहती। वहीं दूसरी पार्षद मिथलेश जैन, पार्षद मौसूफ अहमद व अन्य पार्षदों ने जमकर सत्तापक्ष को घेरा।
जैसे ही प्रस्ताव क्रमांक-2 मेयर इन काउंसिल की बैठक 9 अप्रेल के प्रस्ताव क्रमांक 19 में की गई अनुशंसा अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 का पुनरीक्षित एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रस्तावित बजट के संबंध में चर्चा शुरू हुई। महापौर ने बजट प्रतिवेदन पढऩा शुरू ही किया था कि कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद मिथलेश जैन ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि धारा 83 की उपधारा 3 बजट सम्मेलन में बजट के साथ-साथ जो एजेंडा भेजा जाएगा उसमें संपत्तियों की सूची भेजना चाहिए। संपदा शाखा नहीं बता पाई कि निकाय की कितनी संपत्तियां हैं। परिषद को संपत्तियों से भी अवगत कराया जाए। कई पार्षदों ने सहमति दी कि संपत्तियों की जानकारी दी जाए, क्योंकि कई संपत्तियां खुर्द-बुर्द कर दी गईं हैं। जैने ने कहा कि अधूरी जानकारी में बजट पेश करेंगे तो असंवैधानिक होगा, क्योंकि राज्य शासन ने प्रावधान तय किया है। इस पर आयुक्त ने स्वीकार किया कि गलती हो गई है, जिस अधिकारी ने लापरवाही की है उसपर कार्रवाई की जाएगी। अतत: यह हुआ कि महापौर प्रतिवेदन भी नहीं पढ़ पाईं। बैठक स्थगित हो गई और अब 28 मई को फिर बजट आदि पर चर्चा होगी।
लंच के बाद जैसे ही चर्चा हुई तो सबसे पहले धारा 17 के तहत प्रश्र पर बात चली। इसके बाद परिषद की बैठक एजेंडों पर पहुंची। प्रस्ताव क्रमांक-1 में निकाय में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता देने का लाभ प्रदान करने पर चर्चा हुई। सदन में लाभ देने की सहमति बनी। इस पर पार्षद मिथलेश जैन ने पूछा कि वित्तीय भार कितना आएगा तो उपायुक्त ने कहा कि लगभग 30 लाख रुपए। पूछा गया कि नियमित कर्मचारी कितने हैं तो ओएस ने बताया कि 935 कर्मचारी हैं, इनके मान से लगभग 72 लाख रुपए साल का खर्च आ रहा था। दूसरे अधिकारी ने कहा कि 415 कर्मचारी है। अधिकारी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहे थे। इस पर मिथलेश जैन ने कहा कि नियमित के साथ मस्टर, फिक्स व विनियमित कर्मचारियों को भी चिकित्सा भत्ता दिया जाए। इस पर आगामी बैठक में चर्चा के के बाद निर्णय लेने की बाद कही गई।
राष्ट्रगीत के साथ जैसे ही सम्मिलन शुरू हुआ तो प्रश्नकाल में पार्षद राजेश भास्कर ने पूछा कि हर साल बजट लेट क्यों पेश हो रहा है, आखिर देरी क्यों हुई। 25 फरवरी से बजट सम्मेलन बुलाने पत्राचार हो रहे हैं, फिर भी ध्यान नहीं दिया गया, पार्षद मिथलेश जैन ने कहा कि 30 नवंबर तक आयुक्त को बजट बनाकर देना चाहिए व 15 फरवरी तक एमआइसी व परिषद से पास हो जाना चाहिए। 8 अप्रेल को एमआइसी में गया। इस बीच जो वित्तीय संकट हुआ इसका दोषी कौन है। इस नगर सरकार का यह तीसरा बजट है। हर बार लेटलतीफी हो रही है। अधिकारी किस निद्रा में हैं। इस मामले में जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए। इस पर अध्यक्ष मनीष पाठक ने आयुक्त को जवाब देने कहा तो आयुक्त नीलेश दुबे ने कहा कि उनके पास बजट मार्च में आया है। देरी हुई है। इस पर सदन की जैसी मंशा है उसी के अनुसार जांच करा ली जाए। जो दोषी होंगे कार्रवाई होनी चाहिए। मिथलेश जैन ने फिर कहा कि अधिकारी कुर्सी में बैठकर कुछ भी कर रहे हैं।
परिषद में प्रस्ताव क्रमांक 4 में संपत्तिकरण, समेकित कर, उपभोक्ता प्रभार दरों आदि में वृद्धि को शामिल किया गया था। हालांकि इस पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन कांग्रेस पार्षद मौसूफ अहमद ने कहा कि 31 मार्च के बाद क्या कोई कर बढ़ाने की एक्ट अनुमति देता है क्या। इस पर जब अध्यक्ष ने जवाब देने कहा तो आयुक्त तल्ख हो गए और कहने लगे कि वे वन-टू-वन डिबेट नहीं कर पाएंगे। इस पर पार्षद ने कहा कि वे तो जानकारी चाहेंगे, उन्हें भी डिबेट का शौंक नहीं है।
पार्षद मिथलेश जैन ने कहा कि राजीव गांधी कॉम्पलेक्स के मामले में कहा कि 22 करोड़ 60 लाख देने का न्यायालय से फैसला हो गया है। नगर निगम हर न्यायालय में केस हारती गई। हर बार की बैठक में मैने कहा कि इस संबंध में चर्चा की जाए। इसमें तो नगर निगम की बिल्डिंग बिक जाएगी। हम बिकने को आ गए हैं, नगर निगम रोड में आ जाएगा। ऐसे में जरूरी है सभी सदस्य अपने कर्तव्यों का पालन करें।
परिषद की बैठक में शहर के नालों की सफाई का मुद्दा उठा। नगर निगम ने सिर्फ 10 नालों की सफाई को शामिल किया गया है, शेष शामिल नहीं है। इसपर पार्षदों ने आपत्ति दर्ज कराई तो आयुक्त व महापौर दोनों ने कहा कि अन्य नालों की भी सफाई होगी। इस दौरान कटायेघाट के स्वीमिंग पूल का भी मुद्दा उठा। पार्षद मिथलेश जैन ने कहा कि यह नीतिगत विषय था, तो बगैर परिषद की अनुमति के कैसे टेंडर हो गया और कंपनी को दे दिया गया। अध्यक्ष ने तो यह भी कि पहलगाम में आतंकी हमले में लोग मारे गए थे, लोगों में रोष व शोक था, लेकिन यहां पर उद्घाटन कराया गया। इस पर अधिकारी जवाब नहीं दे पाए।
झलकियां…
बैठक की झलकियां
यह भी रहा खास
Published on:
20 May 2025 06:11 am
बड़ी खबरें
View Allकटनी
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
