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मानवता की मिसाल: इस मुस्लिम शख्स ने 10 साल में चार हजार 11 हिंदू बेेटियों के कराए विवाह

- मानवता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है, शायद सभी धर्मों में लोगों को यही शिक्षा दी जाती है। हम तभी जिंदा है जब हमारे भीतर इंसानियत जिंदा है। इसलिए हमें सभी धर्म-जाति, कौम से हटकर इंसानियत दिखानी चाहिए। आज भले ही धर्म के नाम पर खूब राजनीति हो रही हो, लेकिन समाज में ऐसे लोग भी हैं जो कौम से बढ़कर मानवता को समझ रहे हैं। - ऐसे ही हैं पीरबाबा देवरीटोला निवासी व वार्ड क्रमांक 10 बहोरीबंद क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य डॉ. एके खान। जिन्होंने गरीब और जरुरतमंद कन्याओं के हाथ पीले कराकर मिसाल बन गए हैं। - पिछले 10 साल में डॉ. खान ने चार हजार 11 बच्चियों के विवाह कराए हैं।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Jul 10, 2019

Muslim person's unique story of social service in katni

Muslim person's unique story of social service in katni

कटनी. मानवता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है, शायद सभी धर्मों में लोगों को यही शिक्षा दी जाती है। हम तभी जिंदा है जब हमारे भीतर इंसानियत जिंदा है। इसलिए हमें सभी धर्म-जाति, कौम से हटकर इंसानियत दिखानी चाहिए। आज भले ही धर्म के नाम पर खूब राजनीति हो रही हो, लेकिन समाज में ऐसे लोग भी हैं जो कौम से बढ़कर मानवता को समझ रहे हैं। ऐसे ही हैं पीरबाबा देवरीटोला निवासी व वार्ड क्रमांक 10 बहोरीबंद क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य डॉ. एके खान। जिन्होंने गरीब और जरुरतमंद कन्याओं के हाथ पीले कराकर मिसाल बन गए हैं। पिछले 10 साल में डॉ. खान ने चार हजार 11 बच्चियों के विवाह कराए हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि डॉ. खान ने सिर्फ 14 मुस्लिम कन्याओं की शादी में मदद की है जबकि 3 हजार 997 हिंदू लड़कियों के विवाह में मदद की है। इस साल 180 बेटियों के विवाह में मदद के लिए आगे आए हं। इसके साथ ही पन्ना जिले की 385, जबलपुर की 12 बेटियों के ब्याह में मदद की है।

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बर्तन, अनाज व नकद की करते हैं मदद
हर मां-बाप का सपना होता है कि उसकी बेटी की डोली धूमधाम से उठे, लेकिन गरीबी परिस्थिति व अन्य कारण से यह संभव नहीं हो पाता। ऐसी गरीब बेटियों की शादी के लिए समाजसेवी एके खान मदद कर रहे हैं। जैसे ही उन्हें जान पड़ता है कि कहीं पर जरुरतमंद बेटी का ब्याह हो रहा है तो वे खुद सामग्री लेकर पहुंच जाते हैं, या फिर घर आने पर मदद के लिए पहुंचते हैं। हर बच्ची की शादी में 32 नग छोटे-बड़े बर्तन सहित अनाज, तेल व आर्थिक मदद करते हैं। बकायदा मंडप के नीचे बेटी के पैर पखारकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हर साल 6 से 7 लाख रुपये जरुरतमंद कन्याओं के विवाह में लगा रहे हैं।

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इसलिए आया भाव
डॉ. एके खान ने बताया कि इस्लाम धर्म में साफ कहा जाता है कि तीर्थ तबतक जायज नहीं है जबतक आपके आसपास बालिग बच्चियां शादी के लायक हैं। एके खान बेटियों के हाथ पीले करने के अलावा नशामुक्ति के खिलाफ, जन समस्याओं को लेकर हमेशा आंदोलन करते हैं। हर समय वृद्धों को भोजन कराने तत्पर रहते हैं। उनका मानना है कि माता-पिता की सेवा और जरुरतमंदों की मदद, सत्य से बढ़कर कुछ भी नहीं है।