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अजीबो-गरीब मामला: 900 लोगों ने पक्का अशियाना लेने से किया इंकार, वजह कर देगी हैरान

हर किसी व्यक्ति का एक सपना होता है कि सुंदर सा उसका एक पक्का आशियाना हो और यदि वह आशियाना मिले तो लेने से इन्कार कर देना यह बड़ा सवाल है। ऐसी ही कुछ मामला सामने आया है शहर में। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि शहर के एक-दो नहीं बल्कि 900 हितग्राहियों ने नगर निगम को पक्के आशियाना लेने से इन्कार कर दिया है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Oct 30, 2019

Priyadarshini Colony half empty, silence even during the day

Priyadarshini Colony half empty, silence even during the day

कटनी. हर किसी व्यक्ति का एक सपना होता है कि सुंदर सा उसका एक पक्का आशियाना हो और यदि वह आशियाना मिले तो लेने से इन्कार कर देना यह बड़ा सवाल है। ऐसी ही कुछ मामला सामने आया है शहर में। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि शहर के एक-दो नहीं बल्कि 900 हितग्राहियों ने नगर निगम को पक्के आशियाना लेने से इन्कार कर दिया है। बता दें कि नगर निगम द्वारा शहर के इंद्रानगर, सरलानगर पहरुआ, प्रेमनगर तिलक कॉलेज के पास व अमीरगंज माधवनगर में करोड़ों रुपये फूंककर इंटीग्रेटेड हॉउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आएचएसडीपी) योजना अंतर्गत 1766 आवासों का निर्माण कराया है। निर्माण कुछ इस कदर कराए गए हैं कि हितग्राहियों ने रुपये जमा करने के बाद भी पक्के मकानों को लेने से इंकार कर दिया है। हितग्राहियों द्वारा मकान लेने से मना किए जाने के बाद नगर निगम के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। अब निगम अफसर किसी तरह दूसरे हितग्राहियों को बुलाकर आवास आवंटित कराने की जुगत में हैं। हैरानी की बात तो यह है लोगों ने निगम अफसरों, कलेक्टर और सीएम तक से शिकायत की, लेकिन न तो सुधार हुआ न योजना पर ठीक से काम।

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1465 का ही आवंटन
हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम द्वारा सिर्फ 1465 हितग्राहियों को ही आवासों का आवंटन कर पाया था, वह भी आधी-अधूरी तैयारी के। हितग्राही को जब लॉटरी सिस्टम से आवास मिला तो वह देखा कि आवास पूर्ण है ही नहीं। कहीं पर छपाई नहीं थी तो कहीं पर खिड़की दरवाजे ही गायब थे। पानी और बिजली की भी व्यवस्था नहीं थी। अधिकांश में दूसरे लोगों ने कब्जा जमा रखा था। इतनाही नहीं पहले 74 हजार रुपये हितग्राही को देना था बाद में डेढ़ लाख डेढ़ लाख रुपये कर दिया गया। राशि बढऩे व गुणवत्ता सही न होने से लोगों का मोहभंग हुआ और आवास लेने से ही इंकार कर दिया है।

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खास-खास
- आठ वर्ष पहले से गरीबों से रुपये जमा करा लिए, हर व्यक्ति से 14-14 हजार रुपये नगर निगम ने कराए जमा।
- नगर निगम को 2100 आवासों को पूर्ण कराने था लक्ष्य, 1766 का ही करा पाए निर्माण वह भी आधे-अधूरे।
- किसी भी ठेकेदार ने आज तक नगर निगम को हैंडोवर नहीं किए आइएचएसडीपी योजना के तहत बने आवास।
- लापरवाह ठेकेदारों पर नगर निगम व मेयर इन काउंसिल ने भी बगैर पैनाल्टी के ही बढाते रहे समय सीमा।
- तय अवधि में निर्माण नहीं कराए जाने से हितग्राही हुए परेशान, रुपये जमा करने के बाद भी नहीं मिला बेहतर आशियाना।
- 280 हितग्राही प्रतीक्षा सूची में हैं, अब नगर निगम इनको आवास देने के लिए शुरू करेगा प्रक्रिया।

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इनका कहना है
शुरू से ही इस योजना में महापौर सहित निगम अधिकारियों ने कमियों पर ध्यान नहीं दिया। प्रगति के संबंध में एक भी समीक्षा नहीं की गई। अफसरों की बेपरवाही के चलते आज यह स्थिति बनी है। इसका खामियाजा गरीब जनता भुगत रही है।
मिथलेश जैन, कांग्रेस पार्षद।

इस योजना के संबंध में मुझे बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। इसको डीसी शैलेंद्र शुक्ला देख रहे हैं। क्यों ऐसी स्थिति बनी यह वही बता पाएंगे। योजना क्यों अधूरी रह गई इस पर ध्यान दिया जाएगा।
आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम।


मेरे समय में आवासों का निर्माण नहीं हुआ है। नौ सौ लोगों के आवंटन कैंसिल हुए हैं। अब जो लोग प्रतीक्षा सूची में हैं उन्हें ये आवास उपलब्ध कराए जाएंगे।
शैलेंद्र शुक्ला, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम।

दूसरों को देंगे आवास
जिन्होंने आवास नहीं लिए हैं उनको कई बार नोटिस दिया गया। शायद वे कहीं और चले गए हैं या फिर नया मकान बना लिया होगा। अब जो प्रतीक्षा सूची वाले हितग्राही हैं उनको आवास आवंटित किए जाएंगे। इसके अलावा नए आवेदन मंगाए जाएंगे। जिन घरों में कब्जा है या कुछ गड़बड़ी है तो उसे ठीक कराया जाएगा।
शशांक श्रीवास्तव, महापौर।