
Rabies infection due to dog bite spread to railway pointsman
कटनी. अवारा श्वान के हमला एक रेलवे कर्मचारी को भारी पड़ गया है। श्वान के काटने के कारण उसमें रेबीज फैल गया है और वह श्वान की तरह हरकत करने लगा है। जानकारी के अनुसार मुड़वारा रेलवे स्टेशन में पॉइंट्स मैन के पद पर प्रदीप पटेल (28) निवासी गायत्रीनगर पदस्थ है। 7 जनवरी को रात्रि 12 बजे ड्यूटी करके घर जा रहा था, तभी रास्ते में उसे श्वान ने काट लिया था। युवक का उपचार जिला अस्पताल में चल रहा था। प्रदीप के भाई दिलीप टेल ने बताया कि प्रदीप को एंटी रैबीज के तीन इंजेक्शन लग गए थे। चौथा इंजेक्शन बुधवार को लगना था। बुधवार को वह ड्यूटी में अचानक अजीबोगरीब हरकत करने लगा। गंभीर हालत में उसे स्टेशन प्रबंधक बीपी सिंह ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हालत प्रदीप की इतनी खराब हो गई थी कि वह श्वान की तरह न सिर्फ हरकतें कर रहा है बल्कि वह लोगों को काटने के लिए दौडऩे लगा है। इसके चलते जिला अस्पताल में प्रदीप को पलंग में बांधकर उपचार शुरू किया गया। इस वाक्ये को देखकर लोगों को रोंगटे खड़े हो गए। प्वाइंट्समैन को रेबीज का रिएक्शन फैलने की सूचना पर तत्काल अधिकारी-कर्मचारी मौके पर पहुंचे।
स्टेशन प्रबंधक ने दिखाया हौंसला
सुबह साढ़े सात बजे मुड़वारा स्टेशन प्रबंधक बीपी सिंह को एएसएम मनोज ने जानकारी दी कि प्रदीप अजीब हरकत कर रहा है। बहुत ज्यादा दौड़ लगा रहा है। इसे घर जाने दू क्यां। सूचना पर तत्काल बीपी सिंह मौके के लिए रवाना हुए। रास्ते में टीआरडी ऑफिस के पास पड़ा प्रदीप पड़ा मिला। लोग भीड़ लगाकर उसकी हरकत देख रहे थे। हरकत के कारण उसे कोई नहीं पकड़ रहा था। स्टेशन प्रबंधक ने हिम्मत जुटाई। कुछ लोगों की मदद रस्सी से उसको पकड़कर ऑटो में बैठाया और जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उपचार शुरू कराया। रेलवे के चिकित्सक भी मौके पर पहुंची। हालत में सुधार न होने और बिगडऩे पर उसे जबलपुर रैफर किया गया। युवक का उपचार विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर में जारी है। उपचार के बाद हालत में सुधार बताया जा रहा है।
बढ़े हैं श्वान, खत्म है एंटी रैबीज
शहर सहित जिलेभर में जहां अवारों श्वानों की संख्या बढ़ गई है तो वहीं जिला अस्पताल में एंटी रेबीज का स्टॉक 27 फरवरी से खत्म हो गया है। पिछले एक पखवाड़े से पड़ोसी जिलों से मंगाकर काम चलाया जा रहा था, लेकिन अब स्थिति खराब है। स्टोरी प्रभारी एमएस यादव ने बताया कि स्टॉक खत्म है। बता दें कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन 80 से अधिक मरीज एंटी रेबीज का टीका लगवाने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। ऐसे में रैबीज का संक्रमण बढऩे का खतरा बढ़ गया है। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम भी अवारा श्वानों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
सूचना पर पहुंचे अधिकारी-कर्मचारी
जैसे ही रेलवे के अधिकारी-कर्मचारियों को पता चला कि प्रदीप को रेबीज फैल गया है तो सभी जिला अस्पताल पहुंचे। इस दौरान वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के सदस्य पहुंचे। इस दौरान बलवंत बजेठा, एनके पांडेय, बीपी सिंह, राकेश पांडेय, राजकिशोर सिंह, केके दुबे, अनुज सोनी आदि मौजूद रहे।
इनसे फैलता है रैबीज
सीएस डॉ. एसके शर्मा का कहना है कि श्वान बिल्ली, लोमड़ी, लकड़बग्घा, गीदड़, नेवला व भेडिया ऐसे जानवर हैं जिनके काटने से जानलेवा वायरल बीमारी होती है। जिसे रेबीज कहते हैं। जानवर के काटने यानी एनिमल बाइट के बाद 24 घंटे में विशेषज्ञ से संपर्क कर इलाज न लिया जाए तो मरीज की मौत तक हो सकती है। कई शोधों और रोगियों की संख्या देखकर सामने आया है कि रेबीज के 91.4 प्रतिशत मामले केवल श्वान के काटने के होते हैं। पालतू जानवर होने के बावजूद 40 प्रतिशत डॉग ऐसे हैं जिन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई जाती है। विशेषज्ञों से जानिए एनिमल बाइट के इलाज एवं सावधानी के बारे मेंद्ध
लक्षण पहचानें
जानवर द्वारा काटी हुई जगह पर सनसनाहट होना प्रारंभिक लक्षण है। इसके अलावा तेज बुखार, गले में खराश, सिरदर्द होने पर सतर्कता जरूरी है। तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें।
गंभीर अवस्था
एक बार ठीक होने के बाद भी यदि सनसनाहट महसूस हो तो यह गंभीर अवस्था हो सकती है। मरीज को बहुत पसीना आना, आंखों से पानी आना, हवा या पानी से डर, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, मौत का डर रहता है। काटने के बाद जरूरी नहीं कि वायरस तुरंत असर करे, कई बार 20-60 दिनों के अलावा माह या सालों में भी इसका असर लक्षण बनकर उभरता है। यह काटी गई जगह पर निर्भर करता है। इसलिए काटने के तुरंत बाद डॉक्टर को दिखाएं।
सावधानी बरतें
फस्र्ट एड के तौर पर डॉग बाइट के घाव को साबुन और पानी से करीब 10 मिनट लगातार धोएं। आयोडीन या टिंचर को घाव पर डालें। ड्रेसिंग न करें। इसके बाद विशेषज्ञ के पास जाएं। पालतू जानवर के व्यवहार में करीब 10 दिनों तक बदलाव महसूस हो तो सावधानी बरतें। कई बार टीके लगे जानवर के काटने से भी वायरस होता है। कारण ये जानवर गर्म खून के होते हैं जो वैक्सीन के असर को भी कम कर देते हैं।
यह है इलाज
काटने के तुरंत बाद विशेषज्ञ मरीज को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाते हैं। जिसे तीसरे, चौथे और सातवें दिन दोबारा लगाते हैं। जरूरत के अनुसार एंटीवायरल दवा भी देते हैं। डॉग बाइट पर पानी से धोने के बाद त्रिफला या नीम काढ़ा से धोएं। कई बार सांप या बिच्छू के डसने, छिपकली, ततैया, मधुमक्खी, चूहे जैसे जानवरों से भी परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि ये जीव ज्यादा जहरीले नहीं होते। लेकिन फिर भी डॉक्टरी परामर्श लेकर इलाज लेना जरूरी है।
Published on:
05 Mar 2020 08:02 am
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