script20 मिनट में इंजन बदलकर ट्रेन को रवाना करने का दावा, लेकिन बड़े जंक्शन में बन रही यह स्थिति, तर्क भी हैरानी भरे | Serious negligence of railway management in delay of trains | Patrika News

20 मिनट में इंजन बदलकर ट्रेन को रवाना करने का दावा, लेकिन बड़े जंक्शन में बन रही यह स्थिति, तर्क भी हैरानी भरे

locationकटनीPublished: Jan 12, 2020 09:16:04 pm

Submitted by:

balmeek pandey

इन दिनों कोहरा व ठंड के कारण रेल यातायात पर काफी प्रभाव पड़ा है। कई ट्रेनें 7 से 8 घंटे देरी से चल रही हैं। वहीं ट्रेनों के विलंब में रेलवे प्रबंधन की बेपरवाही सामने आती है। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार की रात सारनाथ एक्सप्रेस का सामने आया।

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कटनी. इन दिनों कोहरा व ठंड के कारण रेल यातायात पर काफी प्रभाव पड़ा है। कई ट्रेनें 7 से 8 घंटे देरी से चल रही हैं। वहीं ट्रेनों के विलंब में रेलवे प्रबंधन की बेपरवाही सामने आती है। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार की रात सारनाथ एक्सप्रेस का सामने आया। ट्रेन समय पर आने के बाद भी अपने निर्धारित समय से एक-दो मिनट नहीं बल्कि 10 मिनट देरी से रवाना हुई। यह स्थिति सिर्फ सारनाथ के साथ नहीं अन्य ट्रेनों के साथ बनती है। रेलवे प्रबंधन की पूर्व से तैयार न होने के कारण ट्रेनें बेवजह देरी से गंतव्य के लिए रवाना होती है। जानकारी के अनुसार ट्रेन सारनाथ एक्सप्रेस शुक्रवार की रात 9 बजकर 22 मिनट पर प्लेटफॉर्म क्रमांक 3 पर आर्ई। इसमें डीजल इंजन अलग करने के बाद इलेक्ट्रिक इंजन जोड़कर 20 मिनट में याने कि 9 बजक 42 मिनट में रवाना करना था। यह ट्रेन 9 बजकर 52 मिनट पर रवाना हुई। बेवजह स्टेशन में 10 मिनट तक खड़ी रही। ऐसे में यात्रियों को परेशानी होती है।

 

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15 और 20 मिनट का ही फिक्स है समय
रेल प्रबंधक को पॉवर चेंज करने के लिए मात्र 15 व 20 मिनट का ही समय तय किया गया है। एक इंजन को काटकर दूसरा इंजन जिस ट्रेन में लगाना होता है उसके लिए 20 मिनट का समय तय किया गया है। सतना तक के लिए एसी इंजन में डीजल जोड़कर भेजा जाता है, वह सतना में कटता है। ऐसी प्रक्रिया 50 ट्रेनों में चल रही है। इसमें एक दिन में औसतन 28 ट्रेनें प्रतिदिन रहती हैं। इनमें 15 मिनट का ही समय तय किया गया है। जिनमें केवल इंजन बदला जाता है ऐसी 12 जोड़ी ट्रेनें हैं। 24 ट्रेनों में डीजल की जगह एसी व एसी की जगह डीजल लगाया जाता है।

 

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तीन समय में होती है देरी की वजह
रेल अधिकारियों के अनुसार 24 घंटे में तीन बार ट्रेनों की अधिकता के कारण लेट होने की स्थिति बनती है। शाम को 5 बजे से अप-डाउन दोनों ट्रेनें रहती हैं, जो रात 10 बजे तक यह स्थिति रहती है। जनता एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, संघमित्रा एक्सप्रेस, चित्रकूट, काशी, महानगरी, गरीबरथ, पैसेंजर ट्रेनों का आना-जाना रहता है इस कारण कई ट्रेनें लेट हो जाती हैं। रात में एक बजे से सुबह 6 बजे भी यही स्थिति बनती है। पवन एक्सप्रेस, कामायनी, रेवांचल, नवतनवा, सारनाथ एक्सप्रेस, गोंडिया, पैसेंजर सहित अन्य अन्य ट्रेनों के परिचालन में समस्या हो जाती है। वहीं सुबह 8 बजे से पवन, महाकौशल, इंटरसिटी, गोंदिया सहित अन्य ट्रेनों के 10 से 15 मिनट के अंतराल में ट्रेनें होने के कारण यह समस्या होती है।

 

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खास-खास:
– प्रतिदिन 42 ट्रेनों में पॉवर बदलने अपनाई जा रही है कटनी जंक्शन में प्रक्रिया, कई बार बढ़ भी जाती है संख्या।
– अधिकारियों का तर्क 9.25 में चौपन पैसेंजर चलाने के कारण सारनाथ हुई लेट, जबकि 21.15 पर किया जाना था रवाना।
– कर्मचारियों की लेट लतीफी और अकुशल प्रबंधन के कारण बनती है स्थिति, प्रेशर न बनने और आगे ट्रेनें रवाना होने का रहता है बहाना।
– इंजनों को जोडऩे और समय पर ट्रेनों को न रवाना करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर नहीं होती कोई कार्रवाई।

इनका कहना है
इसके पहले चौपन पैसेंजर निकाली गई थी, इस कारण सारनाथ 10 मिनट लेट हुई। ट्रेनों में कई बार पॉवर जुडऩे के बाद प्रेशर बनने में समय लगता है, या फिर कोई ट्रेन आगे गई है तो यह स्थिति बनती है। अचानक कोई समस्या आने पर भी कुछ देरी हो जाती है, ट्रेनें तय समय पर रवाना हों इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।
संजय दुबे, स्टेशन प्रबंधक कटनी।

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