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मिसाल: 407 पंचायतों में से 36 ऐसी जिनमें गर्भवती-प्रसूता व शिशु की नहीं हुई मौत, मिलेगा विशेष सम्मान

स्वास्थ्य विभाग ने कराया सर्वे, भोपाल में पीएम की मौजूदगी में होगा कार्यक्रम, दी जाएगी अन्य टीम को प्रेरणा, एसआरसी रिपोर्ट में मातृ व शिशु मृत्य दर का आंकड़ा भी जिले में घटा, सरपंच-सचिव, एएनएम, आशा व सीएचओ होंगी सम्मानित

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कटनी

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Balmeek Pandey

Sep 08, 2025

HIV Positive Mother Breastfeeding

HIV Positive Mother Breastfeeding (photo- freepik)

बालमीक पांडेय @ कटनी. विवाह के बाद हर दंपत्ति व उनके परिवारजनों का सपना होता है कि उनके घर में सुंदर किलकारी गूंजे। महिला के गर्भधारण करते ही सदस्यों में खुशी का ठिकाना नहीं होता, लेकिन नौ माह तक गर्भ में बच्चे को रखने वाली प्रसूता बच्चे को जन्म देते समय काल कलवित हो जाए या फिर नवजात दम तोड़ दे तो फिर सारी खुशियां गम में बदल जाती हैं। जिले व प्रदेश में मातृ व शिशु की मृत्यु न हो, इसके लिए कवायद चल रही है। विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। गर्भधारण से लेकर प्रसव व 5 साल तक के बच्चों की निगरानी हो रही है। इसका परिणाम यह सामने आया है कि जिले कि 407 ग्राम पंचायतों में से 36 ग्राम पंचायतें मिसाल बनकर सामने आई हैं।
36 ग्राम पंचायतों एक साल में एक भी मातृ व शिशु मृत्यु दर्ज नहीं की गई। ऐसी पंचायतों की टीम को आगामी दिनों में भोपाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करेंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट तैयार कर विभाग को भेजी है। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग एक अप्रेल 2024 से 31 मार्च 2025 तक यह डाटा तैयार किया है कि कितनी मातृ मृत्यु दर्ज की गई हैं व कितनी 0 से 5 साल तक शिशु मृत्य हैं। इस वित्तीय वर्ष में अबतक 11 महिला की मौत हो गई है। वहीं 170 बच्चों ने अबतक दम तोड़ दिया है। हालांकि जिले में निगरानी के चलते मातृ व शिशु मृत्युदर का आंकड़ा घटा है, जो राहत की खबर है।

जिले में मृत्य दर में सुधार

हाल ही में एसआरएस द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कटनी जिले में मातृ व शिशु मृत्युदर में रिकॉर्ड सुधार हुआ है। कटनी जिले में प्रति लाख प्रसव में 164 महिलाओं की मौत हो जा रही थी, जो अब 142 हो गई है। वहीं शिशु मृत्यदर का आंकड़ा प्रति एक हजार बच्चा पैदा होने पर मौत का आंकड़ा 29 था जो घटकर 27 हो गया है। वहीं आइएमआर 40 से घटकर 37 पर आया है जबकि 5 साल के अंदर तक बच्चों कीमौत का आंकड़ा 49 था जो घटकर 44 हो गया है।

ये पंचायतें जिनमें नहीं हुई मौतें

जिले के 6 ब्लॉक में 36 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां पर एक साल में एक भी मातृ व शिशु मृत्यु नहीं दर्ज की गई। रीठी जनपद में 56 ग्राम पंचायतों में से हथकुरी, गुरजीकलां, डांग, घनिया, निटर्रा, ढुढऱी, बडग़ांव, पिपरिया परौहा 8 पंचायतें शामिल है। विजयराघवगढ़ ब्लॉक की 74 ग्राम पंचायतों में से 7 कुंदरेही, पडख़ुरी, गौरहा, धनवाही, तिमुआ, कुटेश्वर व सिजहरा शामिल है। बहोरीबंद ब्लॉक की 79 पंचायतों में एक निमास, बड़वारा की 66 ग्राम पंचायतों में से सिर्फ एक बिजौरी, ढीमरखेड़ा जनपद की 73 ग्राम पंचायतों में से खुसरी व कटनी की 56 ग्राम पंचायतों में से बिचुआ, देवरीहटाई, पिपरिया, पड़ुआ, पिपरौंध, गुलवारा, जुहली, देवराखुर्द, मड़ई, घंघरीकला, घंघरीकला, मझगवां फाटक, कूड़ो, मतवार पड़रिया, डिठवारा, विस्तरा, कैलवारा खुर्द व देवरी मिलाकर 18 पंचायतें शामिल हैं।

प्रोत्साहित होगी टीम

इस सर्वे के बाद राजधानी में पीएम के हाथों टीम सम्मानित होगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो इसमें ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, सीएचओ को सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान का मुख्य उद्देश्य यह रहगी कि अन्य टीम भी इन पंचायतों से प्रेरणा ले और मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने के लिए प्रयास करें।

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बच्चों के मौत की यह है स्थिति

बच्चों की मौत का सिलसिला जिले में सामान्य नहीं है। 2019-20 में 1138 बच्चों ने दम तोड़ा था, जिसके बाद तीन साल तक संख्या एक हजार के नीचे थे। 2020-21 से क्रमश: 959, 747, 920 रही है। इसके बाद 2023-24 में 1221 व 2024-25 में आंकड़ा 227. 1 प्रतिशत के साथ 1342 पहुंच गया था, जो अब थोड़ा घटा है।

गर्भवती व प्रसूताएं कालकलवत

जिले में गर्भवती व प्रसूताएं भी सुरक्षित नहीं हैं। 11 वर्ष में 504 प्रसूताओं ने बेपरवाही के चलते दम तोड़ दिया है। मां बनने की खुशी ने इनको मौत तक पहुंचा दिया है। 2022-23 में 64, 2023-24 में 62 तो वहीं चालू वर्ष 2024-25 में अबतक 52 महिलाएं काल कलवित हो चुकी हैं।

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इन कारणों से हो रही मौतें

जिले में बच्चों के मौत की मुख्य वजह निमोनिया, इंफेक्शन, डिहाइड्रेशन, हाइ फीवर, सेप्सिस, बर्थ एक्सपेक्सिया, बच्चों को दूध पिलाने के बाद डकार न दिलाने के कारण मौत हो रही है। इसी प्रकार महिलाओं की सेहत से खिलवाड़ बवज बन रही है। महिलाओं में पीपीएच, पीआइएच, एकलेम्सिया, कार्डियक अरेस्ट, एनीमिया, शॉक के कारण मौत हो रही है। 70 फीसदी महिलाओं में एनीमिया होता है, इससे गर्भवती महिलाओं की समस्या और भी बढ़ जाती है। कई प्रकार के साइड इफेक्ट होते हैं।

वर्जन
जिले में मातृ व शिशु मृत्यु दर सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। टीकाकरण, सुरक्षित प्रसव से लेकर कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि 36 ग्राम पंचायतों में एक साल में एक भी मातृ-शिशु मृत्य नहीं हुई। ऐसी पंचायतों की सूचना विभाग को भेजी गई है। आगामी दिनों में भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में पीएम टीम को सम्मानित करेंगे।
डॉ. राज सिंह ठाकुर, सीएमएचओ।