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शेड से टपकता पानी, रिसती दीवारें और सड़ती फ्लोरिंग, खेल का मैदान बना खतरे का अड्डा

बैडमिंटन, कबड्डी और कुश्ती कोर्ट की हालत जर्जर, कोर्ट पर चोट के डर से लडखड़़ाते हैं कदम

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कटनी

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Balmeek Pandey

Aug 11, 2025

sports complex in very bad condition

sports complex in very bad condition

कटनी. शहर का एकमात्र माधवनगर सर्किट हाउस के समीप स्थित खेल परिसर इस समय पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। खिलाडिय़ों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर मिलना चाहिए, वहां वे हर रोज जान जोखिम में डालकर अभ्यास करने को मजबूर हैं। जर्जर छतों से टपकता पानी, रिसती दीवारें, सड़ते गद्दे और अब कोर्ट की खतरनाक स्थिति ने खिलाडिय़ों की शारीरिक और मानसिक परीक्षा शुरू कर दी है।
सबसे गंभीर स्थिति बैडंिटटन कोर्ट है। बारिश के मौसम में यहां की स्थिति खेत से भी बदतर हो जाती है। जगह-जगह फिसलन और पानी भरने से खिलाडि़ों को अभ्यास व खेलने में भारी परेशानी होती है। खिलाडिय़ों ने बताया कि जब दौड़ते हैं तो हर कदम पर लगता है जैसे पैर मुड़ जाएगा, घुटनों में झटका लगता है और मन में डर बैठ जाता है कि कहीं आज चोट न लग जाए। बैडमिंटन कोर्ट में पानी टपकने से वुडन फ्लोरिंग पूरी तरह से सड़ रहा है। खिलाड़ी रोज़ डस्टबिन और टॉवेल लगाकर पानी सुखाते हैं, ताकि गिरने से बच सकें। जहां एक ओर सरकारें खेलो इंडिया जैसे अभियानों से खिलाडिय़ों को बढ़ावा देने की बात करती हैं, वहीं जमीनी स्तर पर कटनी जैसे जिलों में खिलाड़ी पीड़ा और जोखिम के साथ मैदान में उतरने को मजबूर हैं।

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फिसलकर गिर रहे खिलाड़ी

यहां तक कि ट्रैक की ऊपरी सतह पर कई जगहों गैप हो गया जिससे खिलाड़ी रनिंग करते वक्त फिसलकर घायल हो रहे हैं। कई खिलाडिय़ों को घुटनों और टखनों में गंभीर चोटें आ चुकी हैं। बावजूद इसके, उन्हें अभ्यास जारी रखना पड़ता है क्योंकि प्रतियोगिताएं सिर पर हैं और विकल्प कोई नहीं। स्थानीय खिलाडिय़ों का कहना है पैर फिसलते हैं, बैलेंस बिगड़ता है, कई बार रैकेट छूट जाता है। डर के साथ प्रैक्टिस करना पड़ता है।

कबड्डी और कुश्ती गद्दे हो रहे बेकार

बारिश के पानी से कबड्डी और कुश्ती के गद्दे भीग गए हैं, जिससे वे फफूंद से भर गए हैं। खिलाडिय़ों को त्वचा संबंधी बीमारियों का डर सता रहा है। गद्दों की गंध से भी मुश्किल होती है, लेकिन न कोई कार्रवाई हो रही है, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था।

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बिजली की व्यवस्था भी बनी जानलेवा

रिसते पानी की वजह से बिजली के बोर्डों में करंट आने का खतरा बना हुआ है। दीवारों से पानी बहता हुआ बोर्डों तक पहुंच रहा है, लेकिन न खेल विभाग और न ही जिला प्रशासन मरम्मत के लिए कोई कदम उठा रहा है। यहां के एग्जास्ट फैन भी ठीक से काम नहीं कर रहे। पयाप्त रोशनी की भी व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा खिलाडिय़ों के लिए आने वाली सामग्री भी खराब हो रही है।

फाइलों में फंसा सुधार प्रस्ताव

खेल परिसर की मरम्मत के लिए 1.5 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है, लेकिन बजट को स्वीकृति नहीं मिली है। नतीजा यह है कि सुधार कार्य सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। खिलाड़ी और कोच लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन न तो खेल विभाग के अधिकारी सक्रिय हो रहे हैं, न ही पुलिस व जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है। जनप्रतिनिधियों को तो मानो कोई सरोकार ही नहीं है।