
शिवलिंग
बालमीक पाण्डेय@कटनी। बारडोली की धरा में एक से बढ़कर एक रहस्य समाए हुए हैं, काई स्थान विज्ञान को चुनौती दे रहा है तो कोई रहस्यों के कारण लोगों को दांतो तले अंगुलिया दबाने मजबूर कर देता है। उन्हीं में से एक है रीठी क्षेत्र का ग्राम कैमोरी। जहां पर बने तीन कुंड किसी चमत्कार से कम नहीं। यही वजह है कि इस स्थान पर हमेशा लोगों की भीड़ उमड़ती है। खास बात यह है कि यहां पर स्थापित वर्षों पुराने शिवलिंग की पूजा स्वयं नाग कर रहे हैं। यहां पर बने तीन कुंडों में नागों का झुंड रहता है जो शिवलिंग के चोरो तरफ घूमता रहता है। लोग इनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं और पूजन करते हैं। जनश्रुति है कि यहां पर राजा कर्ण विशेष प्रयोजन के लिए पहुंचते थे। मनोरथ की पूर्ति भी इसी स्थान से होती थी। शिवलिंग के चारो तरफ पत्थर से नाग फन निकालकर देखते रहते हैं।
कुंडो में समाया है रहस्य
रिकॉर्ड तोड़ बरसात हो या फिर सूखा की साल घोषित हो जाए। जिले के सभी जलाशय सूख जाएं या फिर बाढ़ आ जाए। ये तीन चमत्कारी कुंड हमेशा एक समान जलस्तर से भरे रहते हैं। इनका पानी ना ही कम होता है और ना ही ज्यादा। पाचन शक्ति को ठीक करना इनकी खासियत है। यही नहीं राजा कर्ण से भी यहां की रोचक कथाएं जुड़ी हैं। रीठी तहसील क्षेत्र ग्राम पंचायत अंडिया के ग्राम कैमोरी स्थित इन कुंडों को आया कुंड के नाम से जाना जाता है। यहां समीप ही एक सिद्ध आश्रम भी बना है। चारों ओर चट्टानों से घिरा प्रकृति का अनूठा उपहार ये स्थान गर्मी में सुहावने मौसम का एहसास करा देता है। बताते हैं कि यहां पर एक ऐसी शिला भी है जो किसी भी तरह की असहनीय पीड़ा को भी दूर करती है।
दवा नहीं दुआ
आश्रम में रह रहे बालगोविंद व पूर्व सरपंच अभिजीत तिवारी ने बताया, इस स्थल पर कोई दवा नहीं बल्कि सिद्ध बाबा की दुआ काम करती है। लोगों की मान्यता है कि यह बाबा का ही प्रताप है कि इतनी भीषण गर्मी में कुंड जलमग्न हैं। बालगोविंद ने बताया कि जिसे पाचन क्रिया की समस्या हो यदि इस कुंड का जल पी लेता है तो उसकी हमेशा के लिए पाचन क्रिया एकदम ठीक हो जाती है।
त्यागी बाबा ने प्राप्त की थी सिद्धी
अभिजीत ने बताया, यहां त्यागी बाबा रहते थे। जिन्होंने इसी स्थान से सिद्धी प्राप्त की थी। वे क्षेत्र के महान संतो में से एक थे। उसी समय यहां पर बने शिवमंदिर , सिद्ध आश्रम व कुंडों का जीर्णोद्धार कराया गया था। इन तीनों कुंडों में एक में अधिक व 2 कुंडों में घटते क्रम में पानी रहता है, जो वर्ष भर इसी रूप में रहता है बारिश में यह कुंड अपने इसी स्वरूप में रहते हैं।
राजा कर्ण की सभा
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, राजा कर्ण बिलहरी से यहां पहुंचते थे। ये उनका सभा स्थल था। यहां पर बैठकर मंत्रियों से सलाह-मश्वराा करते थे। साथ ही देवी के भक्त राजा कर्ण सूर्योदय से पूर्व चंडी देवी के मंदिर व सिद्ध बाबा के पास आते थे। बताते हैं कि वे उन्हें प्रसन्न करते थे ताकि राजकोष में सदैव धन बना रहे।
Published on:
04 Mar 2018 11:53 am
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