
कांग्रेस के अन्य दावेदारों में बेचैनी
महराजगंज. कांग्रेस से गठबंधन में बसपा के स्पष्ट रूप से न कहने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं के चेहरे खिल उठे हैं। इसलिए कि अब उनके चुनाव लड़ने का मैदान साफ हो गया है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को आरएसएस का एजेंट कहने पर मायावती की कांगे्रस के नेताओं ने आलोचना शुरू कर दी है। जिले के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मायावती का कथन उल्टा चोर कोतवाल को डांटे के मुहावरे को चरितार्थ करने वाला है।
कहा कि कौन नहीं जानता मायावती भाजपा की मददगार रही हैं। इस बार भाजपा के दबाव के कारण ही वे कांग्रेस से गठबंधन के मुद्दे पर दूर भाग रही हैं। सपा यद्यपि की अभी भी बसपा से गठबंधन की आस लगाए बैठी है लेकिन अंदरखाने की खबर है कि कांग्रेस के बिना बसपा से गठबंधन का हश्र सपा जानती है। कांग्रेस के एक बड़े नेता के अनुसार मुमकिन है कि ऐसी स्थित में अब सपा भी बसपा से गठबंधन की बहुत इच्छुक न हो लेकिन कांगे्रस से सपा के गठबंधन की संभावना बरकरार है। इस बीच महराजगंज संसदीय क्षेत्र में एक चर्चा तेज हो गई है कि इस सीट से पूर्व सांसद स्व हर्षवर्धन की पुत्री सुप्रिया को कांग्रेस से चुनाव लड़ने की हरी झंडी मिल गई है।
समाजवादी पृष्ठिभूमि के स्व हर्षवर्धन 1985 में पहली बार जनता पार्टी से जिले के फरेंदा विधानसभा सीट विधायक चुने गए थे उसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में जनतादल से एमपी चुने गए। इसके बाद कई लगातार हार के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 2004 में वे कांग्रेस केे टिकट पर लोकसभा का चुनाव हार गए लेकिन 2009 में इसी पार्टी से भारी बहुमत से जीतने में सफल रहे। 2014 का चुनाव हारने के बाद उनका बीमारी की वजह से निधन हो गया। बहुत कम समय तक कांग्रेस में रहने के बावजूद वे सोनिया और राहुल के काफी करीब हो गए थे। पूर्वांचल की राजनीति में इन्हें नेता जी के नाम से जाना जाता था।
मौजूदा समय में स्व हर्षवर्धन के वारिस के नाम पर एक मात्र उनकी पुत्री सुप्रिया ही हैं जो विदेश में किसी न्यूज चैनल में अच्छे पद पर कार्यरत र्थीं। हर्षवर्धन की मौत के बाद सोनिया और राहुल महराजगंज से सुप्रिया को चुनाव लड़ाने को इच्छुक रहे हैं लेकिन किन्ही कारणों से सुप्रिया अपना पत्ता खोलने से कतराती रही हैं। लेकिन अब उन्होंने अपने स्व पिता की राजनीतिक विरासत सभालने का मन बना लिया है। इसका आगाज चार अक्टूबर को स्व हर्षवर्धन की पुण्यतिथि पर उनके द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा से हुआ। इस कार्यक्रम में जिले के कोने कोने से स्व हर्षवर्धन के हजारों समर्थक जुटे थे और सभी ने एक स्वर से सुप्रिया से अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने की अपील की। कार्यक्रम में अपने स्व पिता के समर्थकों से मिले प्रेम और स्नेह से गदगद सुप्रिया ने कहा कि वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने को तैयार हैं।
कहा कि इसके लिए सोनिया और राहुल की ओर से झंडी मिल गई है। अब मैं आप के बीच हूं। क्षेत्र में सुप्रिया केवल स्व हर्षवर्धन की बेटी के नाते नहीं जाना पहचाना चेहरा है। वे अपने पिता के रहते उनके राजनीतिक कार्यक्रमों को बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहने के नाते भी लोगों के दिलों दिमाग में रची बसी हुई हैं।
इधर सुप्रिया के कांग्रेस के टिकट से सामने आने की घोषणा के बाद कई कांग्रेसी चेहरों में बेचैनी स्वाभाविक है। इस सीट से दो और नाम भी थे जो स्वयं को लोकसभा का उम्मीदवार होने का दावा करते थे। इनमें एक प्रदेश कांग्रेस कमंटी के महामंत्री विरेंद्र चैधरी और दूसरे वरिष्ठ कांग्रेस नेता तलत अजीज। विरेंद्र चैधरी फरेंदा विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन कभी 60 हजार तो कभी 75 हजार वोट पाकर भी जीत नहीं सके। इसी तरह मोहतरमा तलत अजीज भी विधान सभा और लोकसभा का चुनाव लड़ी तो हैं लेकिन उनके हिस्से में भी जीत नसीब नहीं हुई। अब सुप्रिया के खुलकर मैदान में आ जाने के बाद कांग्रेस के अन्य दावेदारों की प्रतिक्रिया क्या होती है,यह देखने की बात होगी।
Published on:
05 Oct 2018 09:29 pm
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