कौशांबी. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह भले ही लाख दावे करते हों, लेकिन सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है। कौशांबी का जिला अस्पताल खुद ही इलाज का मोहताज है, यहां न तो समय से डॉक्टर रहते हैं और न ही मरीजों को दवाएं मिल पाती है।
अस्पताल में आने वाले तमाम मरीज व उनके तीमारदारों को बाहर से दवाएं खरीदने को मजबूर होना पड़ता है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भी डॉक्टर व कर्मचारी दिखाई नहीं देते, स्ट्रेचर के अभाव में मरीजों को उनके तीमारदार कंधे पर लादकर अस्पताल के अंदर पहुंचते हैं।
कौशांबी जिले की 18 लाख की आबादी के लिए संयुक्त जिला अस्पताल खुला है, अस्पताल में प्रतिदिन कई हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीजों को देखने के लिए सुबह आठ बजे से डॉक्टरों को अपने चेंबर मे बैठने की व्यवस्था है, लेकिन यहां दस बजे से पहले अधिकतर डॉक्टर नहीं पहुंचते।
इंतजार के बाद डॉक्टर जब मरीजों को देखते तो हैं, लेकिन ज़्यादातर को दवाओं को बाहर से खरीदने के लिए पर्चा लिख देते हैं। वहीं इस संबंध में दवा वितरण के प्रभारी का कहना है कि उनके पास जो दवाएं हैं वह मरीजों को वितरित करते हैं।
वहीं जब अस्पताल के सीएमएस से जब बात किया गया तो उनका कहना था कि उनके यहां शत प्रतिशत डॉक्टरों की मौजूदगी रहती है। मरीजों के लिये 225 तरह की दवाएं वितरण के लिए उपलब्ध है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि दवाओं के लिए बाहर मेडिकल स्टोर का सहारा लेना पड़ता है तो वह इसकी जांच कराएंगे।
BY- SHIV NANDAN SAHU