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UP Tourism: घूमने के लिए लोगों को क्यों पसंद आता है कौशांबी, जानिए वजह?

UP Tourism : साल 1997 में इसे प्रयागराज से अलग जिला बनाया गया। कौशांबी दक्षिण में चित्रकूट, उत्तर में प्रतापगढ़, पश्चिम में बांदा, फतेहपुर और पूर्व में प्रयागराज से सटा है।

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UP Tourism Bauddh and Jain Mandir in Kaushambi

कौशांबी

यूपी में घूमने के लिए बहुत से जगह हैं लेकिन कौशांबी जिले की बात ही अलग है। घूमने के लिए इस जिले में कई टूरिस्ट स्पॉट हैं। वीकेंड पर कौशांबी के टूरिस्ट प्लेस को एक्सप्लोर कर सकते हैं। कौशांबी का इतिहास प्रचीन काल से है। आइए आज जानते हैं इस इस जिला के बारे में।

साल 1997 में इसे प्रयागराज से अलग जिला बनाया गया। कौशांबी दक्षिण में चित्रकूट, उत्तर में प्रतापगढ़, पश्चिम में बांदा, फतेहपुर और पूर्व में प्रयागराज से सटा है। इस जिले से संगम नगरी प्रयागराज की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। इतिहासकारों की माने तो कौशांबी वस्तस जिले की राजधानी हुआ करती थी।

गौतम बुद्ध ने यहां किया था चर्तुमाषा
वर्तमान समय में यमुना तट के किनारे बसे ये जिला गौतम बुद्ध के लिए भी जाना जाता है। यहां महात्मा बुद्ध धन्ना सेठ घोषिता राम के आमत्रंण पर आए थे। गौतम बुद्ध ने यहां चर्तुमाषा किया था। कौशांबी के खूबसूरत बौद्ध मंदिरों में से के कंबोडियन बुद्ध विहार मंदिर है। इस मंदिरों को कंबोडिया सरकार ने बनवाया था।

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यहां महात्मा बुद्ध से जुड़े कई प्रतिमाएं देखने को मिल जाएंगी। ये मंदिर भारत के अलावा विदेशों में भी प्रसिद्ध है। मंदिर के परिसर में कई प्रकार के पेड़-पौधे लगे हैं। मध्ययुग के प्रसिद्ध कवि संत मलूकदास का जन्म कौशांबी में ही हुआ था। यहां स्थान उनकी जन्म और कर्म भूमि है।

यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है नवरात्रि के समय
मलूकदास का का धार्मिक ऐतिहासिक स्थान मंझहान तहसील क्षेत्र में स्थित है। ऐसा कहा यां के मंदिर परिसर में आपको कई प्रतिमाएं देखने को मिल जाएंगी। यहां प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मां शीतला देवी का मंदिर भी है। नवरात्रि के समय यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

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इतिहासकारों के अनुसार, महाभारत काल में पाडंव द्रोपदी संग वनवास के समय कड़ा धाम स्थित माता शीतला देवी के दर्शन किए थे। इस मंदिर में तीन बार आरती होती है। वहीं इस मंदिर को माता शीतला कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

आप यहां ट्रैकिंग भी कर सकते हैं
कौशांबी में आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं, इसके लिए आपको प्रभास गिरी पहाड़ जाना होगा। यह पभोसा गांव में है। इस पहाड़ पर जैन मंदिर है। यहां पहुंचने के लिए 184 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है। मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां रखी हैं। जैन धर्म के अनुसार छठवें तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभु ने इसी पहाड़ी पर तपस्या की थी।