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भोरमदेव के प्राचीन शिवलिंग पर चढ़ाया 24 किलो चांदी का सुरक्षा कवच, विशेष अनुष्ठान के साथ ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रारंभ

छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से विख्यात भोरमदेव मंदिर के शिवलिंग पर 24 किलो का चांदी का सुरक्षा कवच चढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से प्राचीन शिवलिंग के क्षरण से रोकना है।

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भोरमदेव के प्राचीन शिवलिंग पर चढ़ाया 24 किलो चांदी का सुरक्षा कवच, विशेष अनुष्ठान के साथ ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रारंभ

भोरमदेव के प्राचीन शिवलिंग पर चढ़ाया 24 किलो चांदी का सुरक्षा कवच, विशेष अनुष्ठान के साथ ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रारंभ

कवर्धा. छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से विख्यात भोरमदेव मंदिर के शिवलिंग पर 24 किलो का चांदी का सुरक्षा कवच चढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से प्राचीन शिवलिंग के क्षरण से रोकना है। जिसके चलते ही चांदी की मोटी परत से सुरक्षित किया गया है। वसंत पंचमी पर भोरमदेव मंदिर में विशेष पूजन किया गया। इस दौरान यहां के शिवलिंग पर पुराने परत को हटाकर नया चांदी का शिवलिंग-जलहरी सुरक्षा कवच चढ़ाया गया। भोरमदेव मंदिर के पुजारी आशीष पाठक व संतोष पंडित ने विधि-विधान से इस अनुष्ठान को संपन्न कराया।

24 किलो चांदी से निर्मित है सुरक्षा कवच
चांदी से निर्मित इस आकर्षक कवच को राजस्थान के विशेष कारीगर द्वारा दो लाख 51 हजार रुपए से तैयार किया गया है। 24 किलोग्राम वजन चांदी का यह विशेष कवच, भक्तों द्वारा मंदिर में दिए गए आभूषण, गुप्तदान और दान से एकत्र की गई राशि से तैयार की गई है। पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर, नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि शर्मा, कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और श्रद्धालुओं द्वारा चांदी के कवच रूपी शिवलिंग-जलहरी की पूजा अर्चना की गई।

ऑनलाइन दर्शन की सुविधा भी शुरू
भोरमदेव मंदिर की ख्याति को देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए ऑनलाईन दर्शन की सुविधा का भी शुभारंभ किया गया है। बसंत पंचमी के दिन से भोरमदेव मंदिर का घर बैठे यू-ट्यूब के माध्यम से शिवजी के विशेष श्रृंगार और महाआरती के दर्शन अब भक्त कर सकेंगे। कबीरधाम जिला प्रशासन और भोमदेव प्रंबंधन तीर्थ कारिणी समिति द्वारा यह विशेष व्यवस्था की गई है। यू-ट्यूब भोरमदेव कबीरधाम(आरती शाम 5 से 6 तक) टाइप करेंगे तो सुबह 6 से शाम 6 तक यह दिखाई देगा।

कोर्णाक मंदिर (konark temple) जैसी है यहां की स्थापत्य कला
भोरमदेव मंदिर (bhoramdeo temple) की कामुक मुर्तियों के कारण अक्सर इस मंदिर की तुलना खजुराहो से की जाती है। और इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। पर इस मंदिर की स्थापत्य कला काफी हद तक ओडिशा के कोर्णाक सूर्य मंदिर से मिलती जुलती है।

भोरमदेव मंदिर के पास ही मौजूद हैं मंडवा महल, जिसे शादी के मंडप की तरह बनाया गया है। इसलिए इसका नाम मंडवा महल पड़ा। इस मंदिर को नागवंशी राजा रामचंद्र देव और उनकी रानी राजकुमारी अंबिका देवी की शादी के लिए बनाया गया था। मंडवा महल का निर्माण 3049ई. में हुआ माना जाता है।

मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है अष्टभुजी गणेश जी (tantrik ganesh)
भोरमदेव मंदिर (chhattisgarh khajuraho temple) को भगवान भोलेनाथ के नाम से जाना जाता है। पर बहुत कम लोगों को ये मालूम है कि मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के साथ भगवान गणेश (lord ganesha) की प्रतिमा भी स्थापित है। वहां के पंडितों का कहना है कि यह मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा की तरह विश्व में कोई दूसरी प्रतिमा नहीं है। यहां मौजूद भगवान गणेश अष्टभुजी (asthbhuji ganesha) हैं यानि इनकी आठ भुजाएं हैं, जिन्हे तांत्रिक गणेश (tantrik ganesha) कहा जाता है।