31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छत्तीसगढ़ के बॉर्डर समीप पहुंचा गजराज

पंडरिया ब्लॉक के आखरी बॉर्डर के गांवों के आसपास गजराज पहुंच चुका है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के बॉर्डर वनांचल गांवों की ओर ग्रामीणों को सावधान करने की आवश्यकता है ताकि समय रहते वह सावधान हो जाए, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

2 min read
Google source verification
छत्तीसगढ़ के बॉर्डर समीप पहुंचा गजराज

छत्तीसगढ़ के बॉर्डर समीप पहुंचा गजराज

कवर्धा. कबीरधाम जिले में पिछले साल से लगातार हाथियों का आवागमन हो रहा है। अभी फिर से इनके आगमन की सुबबुगाहट है। क्योंकि बॉर्डर के उस पार है, जो कभी जिले की सीमा में प्रदेश कर देंगे।इस बार हाथियों की संख्या सात है। पंडरिया ब्लाक के वन विभाग की टीम शुक्रवार को तेलियापानी लेदरा, सेदूरखार, रुख्मीददर तक दौरा किए और उसके बाद नहीं गए। अभी लगतार हाथियों का दल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाके में है। जिले के बॉर्डर गांवों में कोई मुनादी तक नहीं की गई है। कोई जिम्मेदार वनरक्षक अपने मुख्यालय तक में नहीं है। यहां लोगों को पता भी नहीं है बजाग के जंगलों में फि र हाथी पहुंच चुका है।
इस बार हाथियों की दिशा बदल चुकी है। मध्यप्रदेश के करंजिया से गोपालपुर के जंगलों में थे। गांव तेलियापानी लेदरा से 10किलोमीटर की दूरी में थे। हाथियों का दल गोपालपुर से ठाठ पथरा, चाडा होते हुए बजाग के जंगलों में प्रवेश किया है। मध्यप्रदेश के विभागीय अधिकारी साहिल गर्ग ने बताया कि अभी हाथियों के दल किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। लगातार वन विभाग के टीम निगरानी रख रही है और समीप गावो में मुनादी करवा दी गई है। जितने भी गांव है वहां के वनरक्षक की ड्यूटी लगाई गई है। हाथियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के स्टाप का अलग अलग सिप्ट किया गया है।

यहां नहीं दे रहे ध्यान
अभी लगतार हाथियों का दल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाके में है। जिले के बॉर्डर गांवों में कोई मुनादी तक नहीं की गई है। कोई जिम्मेदार वनरक्षक अपने मुख्यालय तक में नहीं है। यहां लोगों को पता भी नहीं है बजाग के जंगलों में फि र हाथी पहुंच चुका है।
यह रूट निर्धारित
अचानकमार अभ्यारण से होकर मध्यप्रदेश के करंजिया, बजाग, गोपालपुर से होते हुए छत्तीसगढ़ के तीनगड्डा, तेलियापानी लेदरा, चूलटोला, पकरीपानी, रुखमीदादर, धूड़सी, बोड़ला ब्लाक के पंडरीपानी, केशमर्दा, बाकी, चेन्द्रदार, सुखझर, दलदली, गबोड़ा से होते हुए फेन अभ्यारण्य से होते हुए कान्हा केसली में प्रवेश करते हंै। हर बार हाथियों के दलों में इनकी संख्या कम ज्यादा होती रहती है। मतलब एक ही दल प्रवेश नहीं कर रहा कई दल इस ओर रुख कर रहे हैं।