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CG News: इलाज के अभाव में बैगा छात्र की मौत, आश्रम अधीक्षक पर लगा आरोप

CG News: आश्रम के अधीक्षक गणेश डहरिया का कहना है कि ऽबच्चा खेल रहा था, अचानक पेट दर्द हुआ। हमने तत्काल दवा दी और परिजनों को सूचित कर दिया।

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CG News: इलाज के अभाव में बैगा छात्र की मौत, आश्रम अधीक्षक पर लगा आरोप

बालक छात्रावास भवन (Photo Patrika)

CG News: कुकदूर क्षेत्र के ग्राम कुई स्थित आदिवासी बालक आश्रम में चौथी कक्षा में पढ़ने वाले बैगा छात्र की मौत होने का मामला सामने आया है। मृतक छात्र विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय से बताया जा रहा है, जिन्हें संविधान राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहकर विशेष संरक्षण प्रदान करता है।

मृतक छात्र मनेश के पिता मिनकु बैगा निवासी छिन्दीडीह ने बताया कि अपने साथियों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान सीनियर बच्चों से किसी बात को लेकर विवाद और मारपीट हुई। इसके बाद अचानक उसे पेट दर्द की शिकायत हुई। आश्रम अधीक्षक ने छात्र को सामान्य दवा देकर परिजनों को बुलाया और बिना अस्पताल ले जाए घर भेज दिया। छिन्दीडीह घने जंगलों के बीच बसा गांव है, जहां स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है। तबियत बिगड़ने पर बच्चे को अस्पताल ले जाया जाना चाहिए था।

आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध होने के बावजूद जिमेदार ने लापरवाही क्यों दिखाई। गरीब बैगा समाज के बच्चे आश्रम में भगवान भरोसे ही रहकर पढ़ाई रह रहे हैं। गांव में इस घटना को लेकर आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी अधीक्षक पर सत कार्रवाई हो और आश्रमों की व्यवस्था की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की जा रही है। वहीं मामले में आश्रम के अधीक्षक गणेश डहरिया का कहना है कि ऽबच्चा खेल रहा था, अचानक पेट दर्द हुआ। हमने तत्काल दवा दी और परिजनों को सूचित कर दिया। रविवार होने के कारण अस्पताल की सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं।ऽ

बदइंतजामी की पोल

इस तरह के मामले सामने आने पर सुदूर वनांचल क्षेत्र में चल रहे आश्रम छात्रावास व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या ऐसे घटना के लिए ही सरकार पानी की तरह पैसे बहा रही है। यह घटना न केवल आश्रम की बदइंतजामी, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलती है। आश्रमों में बच्चों को न तो समय पर भोजन मिलता है न स्वास्थ्य सुविधा। कई अधीक्षक वर्षों से एक ही जगह जमे हैं और छात्रावास भवन में रहते तक नहीं। राज्य सरकार ने सभी आश्रमों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था, लेकिन आज तक अमल नहीं हुआ है।

सरकारी डॉक्टरों की टीम महीने में सिर्फ औपचारिक दौरा करती है। देश में जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रऽ कहकर विशेष संरक्षण देने का दावा किया जाता है। उन्हीं बैगा समुदाय के बच्चों को आज भी इलाज, भोजन और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्यों रहना पड़ रहा है। जिस पर जिमेदारों को सोचने की जरूरत है।