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Digital Payment: गांवों में बढ़ रहा कैशलेस ट्रांजेक्शन का क्रेज, डिजिटल पेमेंट से हो रहा लेनदेन, गुमटी और ठेला वाले भी उठा रहे लाभ

Digital Payment: डिजिटल पेमेंट में काफी तेजी से उछाल आया है। अब अधिकतर लोग पैसों का लेनदेन UPI के जरिए ही करते हैं। नोटबंदी और कोरोना के बाद से ये चलन कम से कम हो गया है। बड़े दुकानों के अलावा ठेला और गुमटी के दुकानदार तक क्यूआर कोड के माध्यम से पेमेंट ले रहे हैं।देश में डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त ग्रोथ रिकॉर्ड हुआ है।

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Digital Payment: गांवों में बढ़ रहा कैशलेस ट्रांजेक्शन का क्रेज, गुमटी और ठेला वाले भी उठा रहे लाभ

Digital Payment: कोरोना काल के बाद से नगदी और एटीएम की उपयोगिता कम हो चुकी है। इसके विपरित डिजिटल पेमेंट से ही अधिकतर लेनदेन हो रहे हैं। मोबाइल के माध्यम से ही बाजार में सब्जी से लेकर बड़ी खरीदारी का भुगतान हो रहा है। यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये डिजिटल पेमेंट का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। बड़े दुकानों के अलावा ठेला और गुमटी के दुकानदार तक क्यूआर कोड के माध्यम से पेमेंट ले रहे हैं। इससे जेब में नकदी रखने की समस्या का संकट दूर हो गया है।

डिजिटल पेमेंट इस तरह से चलन में आ चुका है कि शहर में अधिकतर लेनदेन मोबाइल से ही हो रहा है। वर्तमान में 5 रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक के लिए ऑनलाइनल लेनदेन हो रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े लेनदेन के लिए लोग खासकर युवा वर्ग यूपीआई के ऑप्शन को चुन रहे हैं। स्थिति तो यह है कि 5 रुपए की चाय पीने वाले भी डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। युवा वर्ग तो पर्स में रुपए रखना ही कम दिए हैं। एक तर्क यह दिया जाता है जेब में रुपए होने पर खर्च अधिक होता है, जबकि ई वॉलेट से कम खर्च होते हैं। हालांकि अन्य लोग इसके विपरित सोचते हैं।

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यहां पर सबसे अधिक भुगतान
कवर्धा शहर में डिजिटल पेमेंट का अधिकतर उपयोग मॉल में खरीदारी में होती है। मॉल में खरीदी के बाद नगद का भुगतान तो एमदम से कम हो चुका है। इसके अलावा चाय-कॉफी शॉप, पेट्रोल पंप में डिजिटल पेमेंट से भुगतान हो रहा है। वहीं चुनिंदा लोग ही एटीएम का उपयोग करते हैं, जबकि अधिकतर लोग ई पेमेंट ही कर देते हैं।

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हर साल 100 से अधिक मौत हो रही
मार्च 2020 में केन्द्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडॉउन घोषित किया तो सारे लेनदने और दुकानदारी व खरीदारी धरी रह गई। लॉकडॉउन के बाद जब लोग घरों से बाहर निकले तो संक्रमण के डर से नगद लेनदने से दूर होते गए और डिजिटल लेनदेन करने लगे।