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CG illegal sand mining: जंगल में फर्जी पट्टे की आड़ में बड़े पैमाने पर कटे पेड़, वन क्षेत्र में ही डंप हो रहे रेत, ऐसे हुआ खुलासा…

CG illegal sand mining: प्रदेश में कवर्धा जिले के सबसे घने जंगल में अवैध तरीकों से रेत उत्खनन हो रहा है। इस क्षेत्र से लगातार इमारती लकड़ियों की चोरी हो रही है। इससे जुड़ें लगातार कई बड़े मामले सामने आ रहे हैं।

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CG illegal sand mining

CG illegal sand mining: सबसे घने जंगल कहे जाने वाला क्षेत्र रेंगाखार परिक्षेत्र लगातार वन क्षेत्र में अतिक्रमण के कई बड़े-बड़े मामले आ चुके हैं। साथ ही इस क्षेत्र से लगातार इमारती लकड़ियों की चोरी हो रही है। साथ ही साथ वन क्षेत्र में बड़ी तादाद में ट्रैक्टर से रेत का परिवहन किया जा रहा है। वहीं वन विभाग में नए डीएफओ के आगे बाद के कार्रवाई तो की जा रही है, लेकिन पूर्ण रुप इस पर विराम लगाने की आवश्यकता है।

CG illegal sand mining: जानें पूरा मामला

बता दें कि वन परिक्षेत्र रेंगाखार द्वारा तीन दिन पहले कक्ष क्रमांक 132 बीट तितरी सर्किल समनापुर क्षेत्र के सर्किल अधिकारी मुकेश घरते द्वारा संरक्षित वन क्षेत्र के नदी से अवैध रेत भरते हुए ट्रैक्टर को जब्त किया गया है। ट्रैक्टर को जब्त कर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई किया गया। लगातार अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाने के लिए वन विभाग कार्रवाई करने का प्रयास तो करती है।

ऐसे हो रहे अवैध रेत उत्खनन

परंतु कुछ वन विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता के कारण अवैध परिवहन पर चाहे वह रेत संबंधित हो लकड़ी संबंधित हो या वन क्षेत्र का अतिक्रमण कर खेती करने का मामला हो या वन संपदा का परिवहन करते हो विभाग के हाथ खाली होते हैं। वन विभाग ज्यादा कार्रवाई नहीं कर सकते, क्योंकि अधिकतर गाड़ियां तो क्षेत्रीय नेताओं की होती है जिनकी गाड़ी धड़ले से चलती है जिसे देखकर आम आदमी भी उनके आड़ में अपनी गाड़ी चलाते हैं।

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CG illegal sand mining: गाड़ी अगर वन विभाग द्वारा पकड़ी जाती है तो उस पर दबाव बनाकर गाड़ी छुड़ा लिया जाता है। वन विभाग कई लोगों की गाड़ी भी पहले पकड़े हैं जिन्हें दबाव डालकर छुड़ा लिया गया है या वन विभाग ने कार्यवाही कर दिया है तो एक स्टांप में एफि डेविट देकर गाड़ी को छुड़ा लिया गया। गाड़ी छूटने के बाद फिर रेत का ही अवैध व्यापार करने में लग जाते हैं। वन विभाग के अधिकारी भी जानते हैं कि कार्रवाई करते ही कोई ना कोई गाड़ी छुड़ा देगा।

रेंगाखार के वनांचल क्षेत्र में पीएचई, पीडब्लूडी, जल संसाधन, मंडी बोर्ड, पंचायत विभाग, वन विभाग के निर्माण कार्य चल रहे हैं। वहां पर वन क्षेत्र के रेत का उपयोग किया जा रहा है। जबकि इस वन क्षेत्र का रेत में गुणवत्ता नहीं है। वनांचल क्षेत्र के बड़े-बड़े बिल्डिंग हो या कोई अन्य निर्माण कार्य हो जो एक से डेढ़ साल 2 साल में भवन चटक जाते हैं, दरारें आ जाते है।

छत से पानी टपकने लगता है, जैसे कई मामले आ चुके हैं। कहीं न कहीं सभी विभाग को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि स्थानीय वन क्षेत्र का रेत उपयोग ना हो उच्च अधिकारी संबंधित विभागों के इंजीनियरों को स्पष्ट रूप से आदेश कर दें कि यहां के रेत से कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा क्योंकि रेत में गुणवत्ता नहीं है।

फर्जी वन पट्टे का खेल

CG illegal sand mining: वन परिक्षेत्र रेंगाखार के लिए वन क्षेत्र में अतिक्रमण भी एक बड़ा चैलेंज जिस पर कुछ दिन पहले फर्जी वन पत्रों के मामले में एफ आईआर दर्ज हुई है। वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है कि वह समस्त लोगों की पहचान हो सके जिन्हें फ र्जी वन पत्र दिया गया है और जिन्होंने उसके आधार पर वन क्षेत्र पर काबिज है जिसमें कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हो गई है लेकिन मास्टर माइंड फ रार है।

सूत्रों के अनुसार वन विभाग लगातार फर्जी वन पत्रों की जांच कर रही है ताकि सूची बनाकर उन फर्जी वन पत्रों को शून्य किया जा सके। लेकिन वन विभाग के लिए यह बड़ी चुनौती है। वर्तमान में वन विभाग एड़ी चोटी लगा चुकी है। वन विभाग ने आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों से वन पत्र के आधार पर पिछले वर्ष 2022-23 मे जितने लोगों ने खेती कार्य के लिए कर्ज लिया है और पिछले वर्ष धान बेचा है उनके नाम, पिता का नाम एवन पत्र के क्रमांक, वन पत्रों की छायाप्रति जैसे कुछ रिकॉर्ड मांगे हैं लेकिन सेवा सरकारी समिति के प्रबंधक सूची नहीं दे रहे हैं।

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एक समिति ने दिया भी है तो आधी अधूरी जानकारी दिया है। पूर्ण सूची नहीं है जिसमें भी कुछ लोग फ र्जी वन पत्र के दायरे में आ रहे हैं। वहीं पांच सहकारी समितियाें ने तो अभी तक सूची ही नहीं दिया है। ऐसे में सवाल उठते हैं कहीं सहकारी समितियां के भी तो कोई भूमिका नहीं है। जबकि यह वन क्षेत्र के हजारों एकड़ जमीन का मामला है।

जंगल से ही रेत उत्खनन किया जा रहा

CG illegal sand mining: वर्तमान में वनांचल क्षेत्र के समस्त सरकारी कामों के लिए जंगल से ही रेत का उत्खनन किया जा रहा है जिसमें रेंगाखार से मुख्य नदी वन परिक्षेत्र कार्यालय से लगा नाला। अडवार नाला, समशान घाट के पीछे का नाला, बरेंडा नाला, रामपुर नाला, पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के सामने वाला नाला, सुतिया नाला, खब्बा नाला, पथरा टोला नाला, उमरीया नाला, तरमा नाला, तितरी तरमा नाला से ट्रैक्टर माजदा के माध्यम से रेट परिवहन किया जाता है।

जिसका अधिकतर वन क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र में आता है जिसमें वन कर्मचारी के बीच मन मोटाव व कुछ लोगों की संलिप्तता और स्टाफ की कमी के कारण तेजी से वन संपदा का दोहन हो रहा है। यहां मुख्य मार्ग से ही माफि याओं ने रास्ता बना लिया है जो आम लोगों को स्पष्ट दिखता है।

वन विभाग न उन रस्ताओं को बंद कर रही है न ही वहां तार फेंसिंग कर रहा है। यहां जिन रस्तों से ट्रैक्टर घुसती है वहां जेसीपी से खुदाई कर सकते है या फिर वहां पर किसी वन कर्मचारी, चौकीदार की ड्यूटी लगाया जा सकती है ताकि वहां पर गाड़ी न घुस सके।