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CG Ajab-Gajab: गार्डन घुमने पहुंचा तेंदुआ… बगल में अस्पताल, मरीज-परिजन दहशत में काट रहे रात

CG Ajab-Gajab: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में एक अजब गजब मामला देखने को मिला है। जहां एक तेंदुआ गार्डन घूमने पहुंचा, जिसकी खबर से पूरे गांव में हड़कंप मच गया है। सबसे हैरान की बात तो यह है कि जहां तेंदुआ आया वहीं बगल में अस्पताल भी है।

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CG Ajab-Gajab

CG Ajab-Gajab: गरियाबंद में तेंदुए इतने बढ़ गए हैं कि अब शहर में भी बेधड़क आना-जाना कर रहे हैं। पिछले साल रावणभाठा तक पहुंचे तेंदुए अब पूरा शहर घूमकर पेट्रोल पंप की ओर भी आने लगे हैं। हाल ही में ऐसे एक तेंदुए को सांई मंदिर गार्डन में देखा गया, जो बाउंड्रीवॉल पर बैठा था। कुछ लोगों ने इसकी तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर वारयल की थी।

CG Ajab-Gajab: तेंदुए की तस्वीर हुई वायरल

CG Ajab-Gajab: फिर क्या था? सांई मंदिर के बगल ही जिला अस्पताल भी है। दूर-दराज के गांवों से यहां इलाज के लिए आए लोगों के बीच जब से 50 मीटर दूर तेंदुए (CG Ajab-Gajab) के आने की खबर फैली है, तब से उनकी नींद हराम हो गई है। लोग दहशत में रात काटने को मजबूर हैं। तेंदुए के इस ओर आने की बात भी कही जा रही है।

बताते हैं कि तेंदुआ पिछले एक हफ्ते से गरियाबंद की पहाड़ी में डेरा जमाए बैठा है। पहाड़ी पर बैठे तेंदुए की तस्वीर भी खूब वायरल हुई। (CG Ajab-Gajab) इसकी सूचना वन विभाग को लोगों ने दी थी। इसके बाद वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि शाम होने के बाद पहाड़ी की ओर या अंधेरी जगहों पर न जाएं।

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लेकिन, बीती रात शहर के अंदर सांई मंदिर गार्डन की बाउंड्रीवॉल में तेंदुआ (CG Ajab-Gajab) दिखाई दिया है, जिसके बाद से लोगों में दहशत व्याप्त है। अब देखना होगा कि रहवासी इलाके में एक बार फिर तेंदुआ दिखाई देने के बाद प्रशासन लोगों की सुरक्षा को लेकर क्या इंतजाम करता है?

तेंदुए की चहलकदमी

CG Ajab-Gajab: ये पहली बार नहीं है जब गरियाबंद में तेंदुआ देखा गया है। इससे पहले भी पिछले साल रावणभाठा और जनपद पंचायत के पास भी तेंदुए की चहलकदमी देखी गई थी। इसकी तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई थी। तब करीब पखवाडे़भर तक शाम होने के बाद वन अमले को सुरक्षा की दृष्टि से तैनात कर दिया जाता था, जो पूरी रात ड्यूटी कर लोगों को सतर्क रहने और घर से बाहर न निकलने की समझाइश देते थे।

बता दें कि गरियाबंद जंगल से घिरा है। यहां सांई मंदिर की पहाड़ियां सालों पुरानी है। यहां मांद भी है। इससे पता चलता है कि ये बाघ व तेंदुओं का पुराना ठिकाना है। माना जा रहा है कि तेंदुआ अब भी यहीं है।

लोगों से सतर्क रहने की अपील

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व डिप्टी डायरेक्टर वरूण जैन पत्रिका को बताते हैं कि तेंदुओं के आबादी वाले इलाकों में आने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार मादा अपने बच्चों के लिए आसान तलाश की खोज में गांव, शहर के करीब आ जाती हैं। कई बार दांत टूटने या कमजोर होने की वजह से वृद्ध तेंदुए भी आबादी वाले इलाकों में आते हैं, ताकि भोजन आसानी से मिल जाए। सुरक्षा की दृष्टि से लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

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